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सरकार ने नए मोबाइल कनेक्शनों के लिए आधार ई-केवायसी को दी अनुमति

August 31, 2016


सरकार ने नए मोबाइल कनेक्शनों के लिए आधार ई-केवायसी को दी अनुमति

सरकार ने नए मोबाइल कनेक्शनों के लिए आधार ई-केवायसी को दी अनुमति

नए मोबाइल कनेक्शन के लिए दस्तावेजों की भारी-भरकम फाइल जुटाना अब बीते जमाने की बात हो गई है। अब, उपभोक्ताओं के पास एक नया विकल्प आया है। वे इंटरनेट पर नए मोबाइल कनेक्शन के लिए आवेदन दे सकते हैं। अपनी पहचान को साबित कर सकते हैं। इतना ही नहीं, उसे एक्टिवेट भी कर सकते हैं। यह सुविधा प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों ही मोबाइल कनेक्शनों के लिए उपलब्ध रहेगी।

इसके लिए उन्हें मोबाइल सिम कार्ड्स की बिक्री केंद्रों पर फिंगर प्रिंट और आधार कार्ड का इस्तेमाल करना होगा। भारत सरकार ने हाल ही में ई-केवायसी से जुड़ी गाइडलाइन जारी की है। उपभोक्ताओं के लिए इसे और आसान करने की कोशिश की गई है। इसके तहत आधार कार्ड का इस्तेमाल करते हुए मोबाइल के लिए आवेदन और उसकी सत्यापन प्रक्रिया को रिकॉर्ड वक्त में पूरा किया जा सकता है।

आधार आधारित नई प्रक्रिया मौजूदा व्यवस्था से बेहतर कैसे है?

इस समय, लोग सिम कनेक्शन हासिल करने के लिए दस्तावेजों पर आधारित प्रक्रिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, इतने सारे फॉर्म्स पर हस्ताक्षर करना और अन्य जानकारी दाखिल करना आसान नहीं होता। इसमें बहुत वक्त लगता है। नई प्रक्रिया के तहत सिम का एक्टिवेशन चुटकी में हो जाता है। यह पुरानी प्रक्रिया के मुकाबले काफी सरल है।
नई प्रक्रिया में जब कोई भी उपभोक्ता अपनी बायोमेट्रिक विवरण और आधार कार्ड विवरण का इस्तेमाल करता है तो यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) उसके आधार पर उस व्यक्ति से जुड़ी जानकारी दे देता है। संबंधित सेवा प्रदाता को यूआईडीएआई से जानकारी मिल जाती है और उसके आधार पर व्यक्ति की पहचान का सत्यापन हो जाता है। यूआईडीएआई से निम्न जानकारी सेवा प्रदाता को मिलती हैः
• नाम
• पता
• जन्म दिनांक
• लिंग
• डिजिटल हस्ताक्षर युक्त फोटोग्राफ्स

डीओटी (दूरसंचार विभाग) ने हाल ही में एक बयान में कहा है कि यूआईडीएआई की ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली डिजिटल जानकारी डिजिटल हस्ताक्षर युक्त होगी। ऐसे में जिस सेवा प्रदाता के पास लाइसेंस होगा, वह अपनी मशीनों के जरिए उस जानकारी का इस्तेमाल सत्यापन के लिए कर सकेगा। इससे उन्हें अपने डाटाबेस में इन आवेदकों का रिकॉर्ड स्टोर करने की अनुमति भी होगी, ताकि वह उन्हें बिना देर किए मोबाइल कनेक्शन जारी कर सके।

इससे लोगों को फायदा कैसे होगा?

सीओएआई (सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के डायरेक्टर जनरल रंजन मैथ्यू का कहना है कि यह फैसला हर संबंधित पक्ष के लिए फायदेमंद होगा। सेवा प्रदाता से लेकर नए मोबाइल कनेक्शन के लिए आवेदन करने वाले तक।
उनके अनुसार, इस फैसले से एक्टिवेशन की प्रक्रिया पहले से काफी आसान हो जाएगी। सत्यापन की प्रक्रिया भी सरल और तेज हो जाएगी। सुरक्षित तो रहेगी ही। उन्होंने उम्मीद जताई कि पहले सत्यापन के लिए 8-10 घंटे लगा करते थे। लेकिन अब इस प्रक्रिया में लगने वाला वक्त काफी हद तक घट जाएगा।

सेवा प्रदाताओं का क्या कहना है

भारती एयरटेल के सीईओ और एमडी, भारत और दक्षिण एशिया, गोपाल विट्टल के मुताबिक उनकी कंपनी भारती एयरटेल इस सुविधा का लाभ उठाने वाली पहली कंपनी बन जाएगी। उम्मीद की जा रही है 21 अगस्त 2016 से ही नई व्यवस्था का इस्तेमाल कंपनी करने लगेगी। वहीं, वोडाफोन का कहना है कि यह समाधान सुरक्षित होने के साथ ही तेज भी है। पर्यावरण हितैषी होने के साथ ही यह प्रक्रिया पेपरलेस है। इसमें कागज भरने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

कंपनी आश्वस्त है कि हर संबंधित पक्ष को इस व्यवस्था का लाभ मिलेगा। जो कंपनी जल्द से जल्द इसका इस्तेमाल करेंगी, वह उतनी जल्दी इसका फायदा उठा सकेंगी।
यह व्यवस्था बहुत ही आसान है। समझिए कि आपको वोडाफोन की सिम लेना है। ऐसे में आपको सिर्फ अपने आधार कार्ड के साथ वोडाफोन स्टोर जाना होगा। आपको कुछ ही मिनट में सिम कार्ड मिल जाएगा और वह एक्टिवेट भी हो जाएगा। वोडाफोन के सीईओ और एमडी सुनील सूद का कहना है कि इस नई सेवा से बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही मोबाइल सेवा प्रदाताओं के लिए कई सारे नियमों का पालन करना भी आसान हो जाएगा।

सूद के मुताबिक, इस प्रक्रिया से वोडाफोन उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित और गोपनीय रहेगी। इससे उनका मोबाइल सेवा के प्रति अनुभव भी बेहतर होगा। सूद ने यह भी कहा कि वोडाफोन के लिए यह सेवा बहुत फायदेमंद साबित होगी। इससे सिम कार्ड जारी करने को लेकर ऑडिट और सरकार से जुड़े मुद्दे नहीं रहेंगे।

डेलॉइट हस्किन्स एंड सेल्स में पार्टनर हेमंत जोशी को लगता है कि यह व्यवस्था नए ग्राहकों को मोबाइल सेवा देने के लिए आने वाली लागत भी कम कर देगी। इसका यह भी मतलब हुआ कि दूरसंचार कंपनियों को फार्म्स को यहां से वहां ले जाने या भेजने के लिए अतिरिक्त प्रयास नहीं करने होंगे। यह फार्म्स के वेरिफिकेशन, स्टोरेज और स्कैनिंग से जुड़ी प्रक्रिया है। जोशी को यह भी लगता है कि कंपनियों के लिए कानूनी बाध्यताओं का पालन आसान हो जाएगा। इससे ऑडिट से जुड़े मुकदमेबाजी से भी निजात मिलेगी।