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ट्रेन टिकट सब्सिडी के लिए सरकार की “गिव-इट-अप” योजना

July 12, 2017


train-ticket-subsidy-hindiएलपीजी सब्सिडी पर चलाये गये सफल अभियान “गिव-इट-अप” के बाद भारत सरकार रेलवे टिकट पर मिलने वाली सब्सिडी पर “गिव-इट-अप” योजना चलाने जा रही है। इसमें यात्रियों को अपनी स्वेच्छा से टिकट पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने की इजाजत होगी ठीक वैसे ही जिस तरह रसोई गैस ग्राहक अपनी सब्सिडी छोड़ सकते हैं। हालांकि कार्यान्वयन की सही तारीख अभी तक आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं की गई है। समाचार रिपोर्टों के आधार पर पता चला है कि “गिव-इट-अप” योजना जुलाई 2017 तक शुरू हो जाएगी।

सब्सिडी छोड़ने के दो स्तर

रेल मंत्रालय ने सब्सिडी छोड़ने की योजना में दो स्तरों को लागू किया है। इसके पहले स्तर में ग्राहक अपनी रेल टिकट पर मिलने वाली सब्सिडी का 50 प्रतिशत हिस्सा तथा दूसरे स्तर में 100 प्रतिशत हिस्सा त्याग सकेंगे।

यह क्यों आवश्यक है?

इस योजना को शुरू करने का मुख्य कारण यह है कि किराये पर दी जाने वाली सब्सिडी के कारण रेलवे विभाग को प्रतिवर्ष भारी नुकसान उठाना पड़ता है।  वर्तमान में, सभी रेल किरायों की लागत का लगभग 43% हिस्सा भारतीय रेलवे द्वारा उठाया जाता है, इस तथ्य के बावजूद कि हर साल करीब 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।

रेलवे के खजाने पर सबसे ज्यादा नुकसान उपनगरीय यात्रा खंड पर यात्रियों को सब्सिडी देने के कारण होता है। उपनगरीय यात्री टिकट की कीमत का केवल 36% हिस्सा ही भुगतान करते हैं, जो नियमित बस किराए की तुलना में काफी सस्ता है। शेष राशि भारतीय रेलवे द्वारा भुगतान की जाती है, जो कि सालाना सब्सिडी राशि का 60% हिस्सा है।

यह कैसे लागू किया जाएगा?

रेलवे किराया त्याग सब्सिडी योजना, जिसे “गिव-इट-अप” विकल्प के रूप में जाना जाता है, उन टिकटों के लिए उपलब्ध होगी जो ऑनलाइन या काउंटर से खरीदे जाते हैं।

रेलवे यात्रियों को टिकट के किराए पर सब्सिडी का बोझ बताने के लिए, रेलवे ने कम्प्यूटरीकृत टिकट पर निम्नलिखित बयान छापा है।

 “भारतीय रेलवे यात्रा में आने वाली लागत का औसतन केवल 57% हिस्सा अर्जित कर पाता है।”

भारी सब्सिडी के बोझ से निपटने के लिए भारतीय रेलवे पहले से ही सितंबर 2016 में श्रेष्ठ ट्रेनों जैसे शताब्दी, दुरंतो और राजधानी एक्सप्रेस में गतिशील किराया दरों को लागू कर चुकी है। इसे आरामदायक किराया सिस्टम कहा जाता है। इसमें 10% टिकटों की बिक्री होने के बाद तीनों एक्सप्रेस ट्रेनों के टिकट की कीमतें बढ़ा दी जाती हैं। इसमें टिकटों की कीमतें उन सीटों या बर्थों की कीमतों के मुकाबले 10% बढ़ा दी जाती हैं जो पहले से आरक्षित हो जाती हैं। इसका मतलब यह है कि यदि 30% टिकट बेचे जाते हैं तो नये टिकटों की कीमत 30% बढ़ जाती है।

वर्तमान में, भारतीय रेलवे अपनी लेखा प्रणाली में सुधार की प्रक्रिया में है और यह सभी चरणों में चरणबद्ध तरीके से सब्सिडी योजना पेश करेगी।

टिकटों का अनुमानित किराया

यद्यपि सटीक सब्सिडी दर अभी तय नहीं हुई हैं सूत्रों ने सुपरफास्ट ट्रेनों की टिकट दरों का अनुमान लगाया है जैसे स्वर्ण मंदिर एक्सप्रेस दिल्ली से मुंबई के बीच चलती है:

टिकट का प्रकार वास्तविक दर (रुपये)  सब्सिडी को छोड़ने के बाद दर (रुपए)
3 एसी 1570 2750
2 एसी 2275 3990

संक्षेप में: एलपीजी सब्सिडी त्याग योजना के तहत एक करोड़ से अधिक रसोई गैस के ग्राहकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर अपनी सब्सिडी राशि को छोड़ दिया है। रेल किराया “गिव-इट-अप” अभियान को टिकट सब्सिडी के माध्यम से रेलवे द्वारा किए गए नुकसान को काफी मात्रा में कवर करने की आशा के साथ शुरू किया जाएगा।