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अमरनाथ यात्रा हमला – बस चालक की बहादुरी ने कई जीवन बचाए

July 14, 2017


amarnath-yatra-attack-hindiआतंकवादियों ने हमारी संसद, हमारी वित्तीय राजधानी (दिल्ली), हमारे सशस्त्र बलों और हमारे सैनिकों पर समय-समय पर कई बार हमले किए हैं। फिर भी वे भारतीयों के साहस को तोड़ने में नाकाम रहें और भारत ने डरने और झगड़ने के अधीन होने से इनकार कर दिया। कुछ दशकों से दो आतंकवादी तत्व हमारे बीच घुसकर हमारे ही लोगों को मारने की कोशिश कर रहे हैं। अब एक बार फिर से, वे हमारे निर्दोष लोगों पर हमला कर चुके हैं, हाल में ही आतंकवादियों ने हमारे तीर्थयात्रियों पर हमला किया है जो उनके सबसे कायरता पूर्ण कृत्यों में से एक है।

अमरनाथ यात्रा पर हमला

सोमवार, 10 जुलाई 2017 को लगभग रात 8.20 बजे, एक 60 सीटर पर्यटक बस नामांकन संख्या जीजे 09 जेड 9976 पर आतंकवादियों के एक समूह ने हमला किया। अमरनाथ यात्रा पूरे देश के हिंदुओं द्वारा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। अमरनाथ यात्रा बस में तीर्थयात्री सवार थे, जो तीर्थ यात्रा करके वापस आ रहे थे। श्रीनगर से जम्मू के रास्ते पर यात्रा बस का टायर पंक्चर हो गया, जिससे उसको बनने में दो घंटे से अधिक का समय लग गया। यह राजमार्ग आतंकवादियों के कारण बेहद संवेदनशील है और यहाँ सभी वाहनों को शाम 5 बजे तक सुरक्षा प्रदान की जाती है। इस समय के बाद, कोई भी वाहन या बसों को इस मार्ग पर चलने की अनुमति नहीं दी जाती है। जैसे ही तीर्थयात्रियों की बस खानबल के नजदीक पहुँची, बंदूकधारियों के एक समूह ने बस और उसके यात्रियों पर गोलीबारी करनी शुरू कर दी। 7 तीर्थयात्री उनकी गोली का शिकार हो गए जबकि 19 अन्य तीर्थयात्री घायल हो गए। बस में सवार अधिकांश तीर्थयात्री महाराष्ट्र और गुजरात राज्य के थे। तत्काल प्रतिक्रियाओं ने सुझाव दिया कि हमला एक धार्मिक प्रेरित था।

बस चालक ने रक्षक का काम किया

वे कहते हैं कि आतंक कोई धर्म नहीं जानता है। उसी तरह यह भी सच हो सकता है कि साहस और मानवता भी कोई धर्म नहीं जानती है, जो निश्चित रूप से इन कठिन परिस्थितियों में एक नायक के रूप में शेख सलीम गफूर भाई ने साबित कर दिया। यह उसी बस के ड्राइवर है जिस बस पर 10 जुलाई को हमला हुआ। जैसे ही आतंकवादियों ने बस को चारों तरफ से घेरा और पहली गोली चली तो सलीम और बाकी यात्रियों ने इस खतरे का अनुमान लगाया जो उस बस में थे। उन्होनें द्रढ़तापूर्वक कार्य किया और रूके नहीं, बस को चलाते रहे जब तक बस पुलिस शिविर तक नहीं पहुँच गई तब तक बस की रफ्तार कम नहीं की। वह अन्य यात्रियों द्वारा बताए अनुसार रास्ते पर बस को अंधेरी सड़क की तरफ चला रहे थे। जाँच रिपोर्टों से पता चला है कि बस पर कुछ मीटरों की दूरी पर दो बार हमला किया गया था।

समाचार एजेंसियों के माध्यम से सलीम ने कहा है कि, “अल्लाह ने मुझे आगे बढ़ने की हिम्मत दी, फायरिंग लगातार हो रही थी लेकिन फिर भी मैं नहीं रुका, बस को चलता रहा।” देश संकट के समय में इस आदमी द्वारा दिखाए गए अनुकरणीय साहस और बुद्धिमानी से सम्मान की भावना के साथ भय में है।

आतंकवादियों ने बस पर दाहिने तरफ से व्यापक हमला किया था, जिससे दाहिनी तरफ बैठे यात्रियों की अधिकतम क्षति हुई और घायल हुए थे। हम केवल स्थिति की गंभीरता का आकलन कर सकते हैं और अगर सलीम ने डर के प्रभाव से हमले के बीच में बस रोक दी होती, तो कितने लोगों की जानें चली गई होतीं।

सलीम की बहादुरी की सराहना में, जम्मू-कश्मीर सरकार और श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) ने अलग-अलग पुरस्कारों की घोषणा की। कुल 5 लाख रुपये का पुरस्कार जल्द ही सलीम को सौंप दिया जाएगा।

घाटी में अधिकतर हमले

उस रात जम्मू के रास्ते पर अनंतनाग जिले (जम्मू और कश्मीर) में तीर्थयात्री बस एकमात्र नहीं थी। बैतंगो में उसी रात एक पुलिस बंकर पर और खनाबल में एक पुलिस नाका पर भी हमला हुआ था। उस रात पुलिस और आतंकवादियों के बीच कई फायरिंग हुई।

जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने शुरुआती रिपोर्टों से यह स्पष्ट किया है कि अमरनाथ यात्रा पर हमले के पीछे कुख्यात आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है। यह भी सूचित किया गया है कि इस हमले के पीछे लश्कर के कमांडर और पाकिस्तानी नागरिक अबू इस्माइल हैं। माना जाता है कि पाकिस्तानी मूल के तीन अन्य आतंकवादियों को भी इस कायरता पूर्ण हमले में शामिल किया गया है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकवादियों के ठिकानों का पता लगाने के लिए एक व्यापक खोज का अभियान शुरू किया है।

महाद्वीप में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा सबसे बड़े आतंकवादी समूह में से एक है। यह 2001 में भारतीय संसद पर हमला और 2008 में मुंबई हमले सहित कई अन्य खतरनाक हमलों का जिम्मेदार है। यह भी माना जाता है कि आतंकवादी संगठन को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का समर्थन प्राप्त है।

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