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मध्यकालीन भारत का अवलोकन

June 13, 2017


संस्कृति और धर्म, कला और भाषा के क्षेत्र में चहुँमुखी विकास के कारण मध्यकालीन अवधि भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण अवधि है। यह अवधि भारतीय संस्कृति पर अन्य धर्मों के प्रभाव की साक्षी है। मध्यकालीन अवधि को चिह्नित करने की शुरूआत राजपूत वंश से हुई है। इस अवधि को शास्त्रीय काल के बाद के युग के नाम से भी जाना जाता है। मध्यकालीन अवधि 8 वीं से लेकर 18 वीं शताब्दी सीई तक है, शुरुआती मध्ययुगीन अवधि 8 वीं से लेकर 13 वीं तक और लेट मध्ययुगीन अवधि 13 वीं से लेकर 18 वीं शताब्दी तक मानी जाती है। प्रारंभिक मध्ययुगीन अवधि में उत्तर और दक्षिण भारत के क्षेत्रीय राज्यों के बीच युद्ध हुआ, जहाँ लेट मध्यकालीन अवधि में मुगलों द्वारा मुस्लिम आक्रमण, अफगानों और तुर्कों के अनेक आक्रमण हुए थे। पंद्रहवीं शताब्दी के अंत में यूरोपीय व्यापारियों ने व्यापार करना शुरू कर दिया और मध्ययुगीन काल के अंत (अठारहवीं शताब्दी के आसपास) तक भारत में एक राजनीतिक दल बन गया था। लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि मुगल साम्राज्य की शुरुआत भारत में मध्ययुगीन काल की समाप्ति है। मध्यकालीन भारत का अवलोकन ।

मुख्य साम्राज्य और मध्ययुगीन काल का घटनाक्रम

राजपूत साम्राज्य- राजपूत पहली बार 7वीं शताब्दी में आये थे। लेकिन इतिहासकारों ने अपने मूल के विभिन्न सिद्धांतों को प्रस्तुत किया है।

तुर्की आक्रमण (सन् 1000 ई0 से 1206 ई0 तक)- इस काल के दौरान उत्तर भारत में महमूद गजनवी ने कई बार आक्रमण किये। उसने कई बार सोमनाथ मंदिर को लूटा था। पृथ्वीराज चौहान ने तराइन की पहली लड़ाई में गौरी को पराजित किया लेकिन दूसरी लड़ाई में उसे गौरी से पराजित होना पड़ा। इसके बाद से ही दिल्ली के सुल्तान (दिल्ली सल्तनत) का शासन काल शुरू हो जाता है।

दास वंश (सन् 1206 ई0 से 1290 ई0 तक)- गौरी ने अपने शासन की बागडोर अपने दास ऐबक को दे दी। ऐबक ने गुलाम वंश को स्थापित करने के साथ ही गजनी से अपने संबंध तोड़ दिए। ऐबक के बाद इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत की गद्दी संभाली। इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार बनवाई और इस काल के दौरान दिल्ली भारत की राजधानी बन गई।

खिलजी वंश (सन् 1290 ई0 से 1320 ई0 तक)- दिल्ली सल्तनत पर जलालुद्दीन खिलजी ने कब्जा कर लिया था। लेकिन अलाउद्दीन खिलजी ने उनकी हत्या करके दिल्ली सल्तनत का पदभार संभाला। खिलजी वंश ने सबसे अधिक शासन दक्षिण भारत पर किया था।

तुगलक वंश (सन् 1320 ई0 से 1412 ई0 तक)- गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलक वंश की नीव डाली। तुगलक वंश के प्रसिद्ध शासक मुहम्मद-बिन-तुगलक और फिरोज शाह तुगलक थे।

सैय्यद और लोदी सुल्तान (सन् 1414 ई0 से 1526 ई0 तक)- सैय्यदों ने एक छोटी अवधि तक दिल्ली पर शासन किया और लोदीयों ने भारत की राजधानी दिल्ली को आगरा में स्थानांतरित किया था। लोधियों की शक्ति में कमी होने के कारण कई छोटे राज्य उभर कर समाने आये। भारत में इन दो राजवंशों के बाद, विजयनगर साम्राज्य (1336 ई0 से 1565 ई0 तक) और बहामनी साम्राज्य (1346 ई0 से 1698 ई0 तक) एक शक्तिशाली साम्राज्यों के रूप में उभरे।

चोल साम्राज्य– चोल वंश दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख साम्राज्यों में से एक था जिसने तमिलनायडु पर शासन किया जो 9 वीं शताब्दी से लेकर 13 वीं शताब्दी तक दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र (चोलमंडलम क्षेत्र) तक विस्तारित हुआ। दक्षिण भारत के चोल राजवंशी अन्य शासकों की तरह नही थे, बल्कि इन्होनें भारत में राजनीतिक, वास्तुकला, सांस्कृतिक क्षेत्रों के लिए विशिष्ट योगदान दिया था। चोल राजवंशों के पास मजबूत सेना और शक्तिशाली नौसेना थी। चोल राजवंश के शासन काल में, बौद्ध धर्म और जैन धर्म काफी हद तक विकसित हुआ। इस के साथ ललित कला, धातु कास्टिंग और साहित्य ने नई ऊंचाइयों को छुआ। 14 वीं सदी में उभरने वाला विजयनगर सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक था। यह राज्य अब कर्नाटक के रूप में जाना जाता है। उस समय के कई प्रसिद्ध यात्रियों ने इस जगह का उल्लेख किया था।

मुगल साम्राज्य (सन् 1526 ई0 से 1857 ई0 तक)- दिल्ली के सुल्तानों के बाद मुगल वंश दिल्ली की राजगद्दी पर बैठे, जो कला, संगीत, संस्कृति और वास्तुकला के महान संरक्षक थे। उन्होंने 1707 तक दृढ़तापूर्वक शासन किया और इसके बाद मुगल साम्राज्य कमजोर और विघटित हो गया। जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर ने सन् 1526 ई0 में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहीम लोदी को हराकर मुगल साम्राज्य की स्थापना की। बाबर ने अपने सभी अनुभवों को तुजुक-ए-बाबरी में दर्ज किया। मुगल शब्द की उत्पत्ति बाबर के मंगोल वंशज से हुई। सन् 1530 ई0 में बाबर के बेटे हुमायूं ने सत्ता संभाली। सन् 1540 ई0 में कन्नौज की लड़ाई में हुमायूं को पराजित कर शेरशाह सूरी ने सत्ता की बागडोर संभाली, लेकिन बाद में हुमायूं ने दिल्ली और आगरा पर फिर से कब्जा कर लिया। उसने भारत में मुगल शासन फिर से स्थापित किया। उसका बेटा अकबर मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना। वह एक महान सम्राट था और अपने पूरे शासन काल में लगभग पूरे भारत को एकता सूत्र में बाँधा था। जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब अन्य मुगल बादशाह हुए।

महान मराठा (सन् 1674 ई0 से 1819 ई0 तक)- हिंदवी स्वराज की स्थापना महान मराठा शिवाजी ने की थी और उन्होनें छत्रपति की उपाधि धारण की।

भक्ति आंदोलन

मध्यकालीन अवधि में सूफी और संत प्रसिद्ध धार्मिक गुरु थे। उस समय ऐसे भक्ति करने वाले संत थे जिनकी शिक्षा बहुत लोकप्रिय थी। उस समय के कुछ महान संत जैसे- गुरुनानक देव जी, रामानुज, रामानंद, कबीर, चैतन्य महाप्रभु, मीराबाई और नामदेव हैं। मध्यकालीन अवधि में लगभग हर संत ने जाति व्यवस्था को चुनौती दी, सभी मनुष्यों को भाईचारे के साथ रहने और ईश्वर की एकता पर जोर दिया। भक्ति आंदोलन के अन्तर्गत जाति या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया था।

कला और पेंटिंग

चित्रकारी एक दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र था जो इस काल के दौरान काफी हद तक विकसित हुआ था। फारसी कला हुमायूँ के साथ भारत आई, हुमायूँ अपने साथ चित्रकारों को भारत लेकर आये थे अधिकांश कलाएं इस्लामिक संस्कृति से प्रभावित थीं। मुगल स्कूल पेंटिंग अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ के शासन काल में  समृद्ध हुई थीं। जहाँगीर एक महान चित्रकार था और उसके शासन काल में मुगल स्कूल की चित्रकला अपने चरर्मोत्कर्ष पर पहुँच गई। उसकी राजसभा में कई प्रसिद्ध चित्रकार थे।

मुगल स्कूल ऑफ पेंटिंग के साथ-साथ, राजपूत और पहाड़ी स्कूलों की चित्रकारी को भी समर्थन मिला। मुगलों द्वारा सुंदर परिदृश्य की शुरूआत की गई। दैनिक जीवन से ग्रामीण कला और सामाजिक दृश्य प्रमुख बन गए।

मध्यकालीन काल अद्भुत काल था और भारत में युद्ध और महान वास्तुकला का युग था। इसके अलावा आज की अधिकांश क्षेत्रीय भाषाएँ इस काल के दौरान विकसित हुई हैं। यह काल धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस काल में कई भक्ति आंदोलन और संत जैसे गुरु नानक देव जी, रामानंद, कबीर आदि हुए। मध्यकालीन युग में सूफी संत चिश्ती, फिरदौस और निजामुद्दीन औलिया जैसे संत थे। क्षेत्रीय और साथ ही लोक परंपराएं काफी हद तक विकसित हुईं।