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बरेली की बर्फी – मूवी रिव्यू

August 20, 2017


bareilly-ki-barfiअश्विनी अय्यर तिवारी द्वारा निर्देशित और कृति सेनन, आयुष्मान खुराना, राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी और सीमा भार्गव की कलाकारी वाली फिल्म बरेली की बर्फी निश्चित रूप से देखने के लिए बहुत ही शानदार है। यदि आप भारतीय रोमांटिक कॉमेडी (रोम कॉम) देखने के शौकीन है तो आपको इस फिल्म को कम से कम एक बार देखना चाहिए, इस फिल्म को एक छोटे से शहर के अद्वितीय अपील, मोहकता और मौज मस्ती के संदर्भ में बनाया गया है। एक फिल्म के रूप में शहर की सुंदरता को बहुत ही शानदार ढंग से प्रदर्शित किया गया है। इसमें काफी आजाद और मन मौज टाइप एक लड़की है, उसके माता-पिता उसकी बहुत चिंता करते रहते हैं, इस प्रकार की चिंता दुनिया भर के माता-पिता में आमतौर पर देखी जा सकती है। फिल्म में कुछ लड़के हैं, इनको फिल्म में लड़की का दिल जीतने का प्रयास करते हुए बहुत अच्छे से दिखाया गया है। अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात यह कि है फिल्म में कुछ मजेदार और शानदार संवाद हैं।

एक लाइनर के साथ समस्या

एक लाइनर के साथ समस्या यह होती है कि कभी-कभी दर्शक फिल्म को समझने के लिए पूरे दृश्य की कल्पना कर लेते हैं। अधिकांश फिल्मों में यह जोखिम होता है कि दर्शक फिल्म देखने के लिए मजबूर हो सकते हैं या घोर निराश हो सकते हैं लेकिन फिल्म बरेली की बर्फी इस जोखिम से भी अच्छी तरह निपटती है। कई बार, इसी कारण फिल्म ज्यादा सफलता प्राप्त नहीं कर पाती है। यही कारण है कि कई बार आपको ऐसा क्यों लगता है कि फिल्म कुछ ज्यादा लंबी हो रही है।

शो पर कलाकारी में कटौती

तथ्य यह है कि समर्थित कलाकारों द्वारा किए गए शानदार कार्य के कारण ऐसा नहीं लगता है कि फिल्म को देखने के लिए दर्शकों को मजबूर या निराश होना पड़ सकता है। लड़की के पिता की भूमिका निभाने वाले पंकज त्रिपाठी काफी युवा दिखने के बावजूद इस भूमिका को ठीक वैसे ही निभाते हैं जैसी इनके बराबर के अभिनेताओं से उम्मीद की जाती है। इनको मुख्य रूप से नकारात्मक भूमिकाओँ के लिए जाना जाता है, जो इस फिल्म में बहुत ही प्यारी भूमिका निभा रहे हैं, यह अक्सर काफी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाते हैं। वास्तव में, फिल्म में वह कुछ बेहतरीन संवादों के मालिक हैं। स्पष्ट है, सीमा भार्गव की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है, इस फिल्म में उनका अनुभव ऐसा लगता है कि जैसे फिल्म को अपनी आँखों से देखा है। इस फिल्म में वह अपनी शानदार कलाकारी को जारी रखती हैं और साथ ही फिल्म में काफी हंसी मजाक भी करती हैं।

मुख्य कलाकारों की कलाकारी को बहुत अच्छे से चित्रित किया गया है, अच्छे लेखन और शानदार कलाकारी के लिए धन्यवाद। कृति सेनन की फिल्म में काफी अहम भूमिका है वह बहुत ही चतुराई से फिल्म को आगे ले जाती हैं। अपनी शहरी छवि को निभाने में उन्होंने कुछ ऐसा प्रयास किया है जो पहले नहीं किया है और फिल्म को जोड़ने का भी काफी प्रयास किया है या सिर्फ कम से कम कहने के लिए ही। इस समय भारत के सबसे अच्छे कलाकारों में से एक, राजकुमार राव, अपने दम पर फिल्म को एक नया मोड़ देते हैं, उसके द्वारा फिल्म में किया गया यह बदलाव फिल्म के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

कलाकारों का चयन और कहानी बताने का पहलू

कलाकारों को सही तरीके से पेश किया गया है आप उनको स्पष्ट तरीके से पहचान सकते हैं, खासकर लड़की की माँ और मुख्य कलाकारों को। लड़की एक समकालीन व्यक्ति है, इसको शादी के लिए दो लड़कों के द्वारा रिजेक्ट किया जा चुका है, वह एक प्रतिबंधनात्मक समाज के द्वारा उसकी निजी जीवन शैली पर लगाए जाने वाले बंधनों और सवालों से बाहर निकलने और उनको तोड़ने का प्रयास कर रही है। उसको ब्रेक डांस करना, अंग्रेजी फिल्में दोखना और एक या दो सिगरेट फूँकना पसंद है।

उसकी माँ हमेशा उसकी शादी की चिंता करती रहती हैं और साथ में लड़की को देखने आने वाले लड़को को परोसे गये भोज्य और पेय पदार्थों की कीमतों को लेकर भी चिंता करती रहती है, जो जानती है कि अंत में वह उसकी बेटी को नापसंद करने जा रहे हैं। लड़की को पटाने के लिए मुख्य प्रेमी अपना पूरा प्रयास कर रहे हैं, राजकुमार राव के चरित्र में एक गुंडे के बजाय एक इंजीनियर के चरित्र का बदलाव शामिल है, जो उनके ऊपर अच्छा नहीं लगता है।

अंत मे कहानी का अनुमान लगाया जा सकता है लेकिन यह इतनी बुरी भी नहीं है कि आप इसे न देखें, इसका मतलब यह है कि यह फिल्म समान्य बॉलीवुड फिल्मों की ही तरह है। फाइनली बोले तो, फिल्म का म्यूजिक वास्तव में बहुत ही सुखदायक है, फिल्म का गाना तू नज्म नज्म सा है सभी गानों में सबसे ज्यादा सर्वश्रेष्ठ है।