Home / / क्षेत्रीय फिल्म उद्योग

क्षेत्रीय फिल्म उद्योग

July 6, 2017


regional-cinema-of-india-hindiलेखक रेटिंगः *****

भारत में, फिल्म उद्योग सबसे प्रसिद्ध, व्यापक और प्रशंसित आकर्षणों में से एक है। हालांकि, यह मानना एक गंभीर गलती है कि मुंबई आधारित बॉलीवुड ही ऐसा केंन्द्र है जहाँ पर सभी फिल्में रिलीज होती हैं। क्षेत्रीय फिल्में भी अब आगे बढ़ रही हैं तथा देश और दुनिया भर में अपने प्रदर्शन के दमपर दर्शकों के दिलों पर कब्जा कर रही हैं।

2016 में बॉक्स ऑफिस की आय 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी जिसमें (पिछले वर्ष की तुलना में) काफी वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन तमिल, तेलगू, मलयालम, गुजराती, बंगाली, कन्नड़ और पंजाबी फिल्मों ने काफी उन्नति प्राप्त की है। ऐसी संभावना की जा रही है कि 2017 में, यह प्रवृत्ति पूरी तरह से अलग दिखेगी। क्षेत्रीय फिल्म उद्योग स्वयं ही एक अरब डॉलर का उद्योग बनने के लिए तैयार है।

बॉक्स ऑफिस की शक्ति

क्षेत्रीय सिनेमा की दुनिया में उन लोगों की खोज की जाती है जो फिल्म उद्योग में अधिक रुचि और लगनशीलता से काम करते हैं और फिल्मों के महत्व को समझते हैं। वर्ष 2016 में, देश में रिलीज हुई कुल फिल्मों की संख्या 1,900 दर्ज की गयी है। बेशक, इन फिल्मों में सबसे बड़ा हिस्सा बॉलीवुड से आता है लेकिन इसके बावजूद हमें यह अच्छी तरह से याद है कि इस वर्ष में केवल 340 हिंदी फिल्में ही रिलीज हुईं थी। इसका मतलब है कि क्षेत्रीय सिनेमा ने 2016 में एक बहुत बड़ी संख्या में 1560 फिल्मों का आयोजन किया।

आइए हम इसकी कुल कमाई पर एक नजर डालें। क्षेत्रीय और स्थानीय फिल्मों के माध्यम से देश में राजस्व आय तेजी से कैसे बढ़ रही है इसका उदाहरण बाहुबली -2 फिल्म है। वर्ष 2017 जून में, टॉलीबुड की फिल्म बाहुबली -2 ने बॉक्स ऑफिस (दुनिया भर में) पर कुल मिलाकर 1,686 करोड़ रुपये की कमाई की, इसके बाद अभिनेता आमिर खान की दंगल फिल्म (बॉलीवुड प्रोडक्शन) ने 1,968 करोड़ रुपये की कमाई की। शुरुआत में बाहुबली फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 600 करोड़ रूपए से अधिक की कमाई की। अगस्त 2016 में, रजनीकांत द्वारा अभिनीत की गई एक टॉलीबुड फिल्म “कबाली” ने 650 करोड़ रुपये की कमाई की थी। बंगाली फिल्म उद्योग (जिसे टॉलीबुड भी कहा जाता है) कभी भी अधिक कमाई नही कर पाया। हालांकि, 2017 में रिलीज हुई फिल्म “पोस्तो” ने कुल 70 करोड़ रुपये की कमाई दर्ज की गई है। इतना ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय फिल्में धीरे-धीरे सर्वाधिक कमाई करने वाली भारतीय फिल्मों की सूची में शामिल हो रही हैं, ऐसा लग रहा है कि यह घरेलू और विदेशी संकलनों के लिए नए मानक को निर्धारित करने के लिए प्रयास कर रहीं हैं।

तकनीकी रूप से आगे

2016 में, कोलीबुड ने 290 तमिल फिल्मों और टॉलीबुड ने 204 फिल्मों की प्रस्तुति करके यह साबित कर दिया है कि वह बहुत पीछे नही हैं। हम केवल संख्याओं के आधार पर इसे बेहतर नही बता रहे हैं बल्कि तमिल और तेलगू फिल्म उद्योगों ने दुनिया की कुछ बेहतरीन अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और तकनीकों के माध्यम से फिल्मों को फिल्माया है। बॉलीवुड की मुख्यधारा सिनेमा अभी तक वीएफएक्स, ध्वनि प्रभाव, स्टंट और छायांकन के मामले में इससे पीछे है।

जबकि बॉलीवुड अभी भी अपने गीत और नृत्य रूटीन के चकाचौंध एवं आकर्षण के साथ अटका हुआ है, विदेशी फिल्म निर्माता पुणे, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरू जैसे शहरों में क्षेत्रीय सिनेमा जगत के वीएफएक्स विशेषज्ञों को हायर (बुलाने) करने के लिए दौड़ रहे हैं ताकि वह अपनी प्रस्तुतियों में उनकी मदद ले सकें।

अंतर्राष्ट्रीय लाभ

तथ्य यह है कि क्षेत्रीय फिल्मों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म की श्रेणी में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए कुछ फिल्मों को चुना गया है जिनमें – 2016 में “विसारणई” (तमिल) प्रविष्टियों में से एक थी, 2015 में “कोर्ट” (मराठी), 2013 में “द गुड रोड” (गुजराती), 2011 में मलयालम फिल्म “अदमिनेते मकन अबू” और 2009 में “हरिश्चंद्राची फैक्टरी” (मराठी) विशेष रुप से इस श्रेणी में प्रदर्शित फिल्मों में शामिल थीं।

हालांकि, हम एक क्षेत्रीय फिल्म देखने के लिए, टिकट बुक कराने में अनिच्छुक हो सकते हैं, लेकिन वास्तव में भारतीय फिल्में, वैश्विक दर्शकों को पसंद आती हैं। उदाहरण के लिए, लंदन भारतीय फिल्म समारोह के दौरान क्षेत्रीय फिल्मों से भरा है।

इस समय…

परंपरागत रूप से भारतीय क्षेत्रीय सिनेमा ने विदेशी बाजारों में उपेक्षित रूप से ज्यादा वृद्धि की है। यह देखा जाना बाकी है कि क्या हम प्रतिभा और विशेषज्ञता के खजाने की निधि को पहचानना शुरू करेंगे और क्षेत्रीय फिल्मों को प्रोत्साहित करेंगे और स्वयं की उपलब्धि को बढ़ावा देंगे। इस समय हमें क्षेत्रीय फिल्मों की वित्तीय सफलता और समृद्धता की प्रशंसा करनी चाहिए जिसने बड़े पैमाने पर सफलता हासिल की है।