Home / / बिहार चुनावः पांचवें दौर में 15 साल का रिकॉर्ड मतदान

बिहार चुनावः पांचवें दौर में 15 साल का रिकॉर्ड मतदान

November 6, 2015


बिहार विधानसभा के 2015 के चुनाव पांच नवंबर गुरुवार को संपन्न हुए। पांचवें दौर में 60% वोटिंग हुई, जो इन चुनावों के सभी चरणों में सबसे ज्यादा रही। पांच चरणों में कुल वोटिंग प्रतिशत 56.80% रहा, जो 2010 के मतदान से 4.15% ज्यादा है, जो 52.65% रहा था। 2000 के चुनावों के बाद यह सबसे ज्यादा मतदान है। उस साल 62.6% मतदान हुआ था। वोटिंग में कुल मिलाकर महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया।

मतदान प्रतिशत 2010 में / 2015 में / अंतर

मधुबनीः 48.65%/ 55.87%/7.22%

सुपौलः 60.13% / 58.60% / -1.53%

अररियाः 60.30% / 62% / 1.7%

किशनगंज:  58.95% / 64.39% / 5.44%

पुर्णिया:  60.29% / 62.95% / 2.66%

कटिहार:  62.29% / 67.27% / 4.98%

मधेपुरा:  59.45% / 57.84% / -1.61%

सहरसा:  52.75% / 50.78% / -1.97%

दरभंगा:  47.58% / 58.27% / 10.69%

चरण में कुलः 52.65% / 56.80% / 4.15%

जिलावार मतदान प्रतिशत के मायने

दरभंगा में सबसे ज्यादा 58.27% मतदान हुआ, जो 2010 के 47.58% मतदान के मुकाबले 10.69% ज्यादा रहा। यह इन चुनावों में किसी भी जिले में 2010 के मुकाबले सबसे बड़ा सुधार है।

जिले में बहादुरपुर में सबसे ज्यादा 63.90% मतदान हुआ, जबकि दरभंगा में 55.30% मतदान हुआ। 2010 में विधानसभा चुनावों में यह सीट बीजेपी के संजय सराओगी ने जीती थी। उन्होंने आरजेडी के सुल्तान अहमद को 27,554 वोटों से हराया था। 2015 में बीजेपी ने एक बार फिर संजय सराओगी को चुनाव मैदान में उतारा, जिन्हें इस बार आरजेडी के ओम प्रकाश खेरिया की चुनौती है।

मधुबनी जिला इस चरण में वोटिंग प्रतिशत के लिहाज से 55.87% वोटिंग के साथ दूसरे नंबर पर रहा। 2010 के चुनावों से यह 7.22% ज्यादा है।

जिले के भीतर झंझारपुर में सबसे ज्यादा 61% वोटिंग हुई, जबकि सबसे कम 54% वोटिंग बेनीपट्टी, बाबूबरही, राजनगर (सुरक्षित) और फुलपारस में हुई।

2010 में बीजेपी ने रामदेव महतो ने आरजेडी के नैयर आजम को 588 वोट के काफी कम अंतर से हराया था। इसके बाद भी बीजेपी ने बार फिर राम देव महतो को टिकट दिया है। इस बार उनका मुकाबला आरजेडी के समीर कुमार महासेठ से होगा।

किशनगंज जिला वोटिंग के प्रतिशत के लिहाज से 64.39% वोटिंग के साथ तीसरे नंबर पर रहा। यह 2010 के चुनावों के 58.95% के मुकाबले 5.44% ज्यादा है।

जिले में कोचदमन में सबसे ज्यादा 63.88% जबकि बहादुरगंज में सबसे कम 63.58% मतदान हुआ।

2010 के विधानसभा चुनावों में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के डॉ. मोहम्मद जावेद ने बीजेपी के स्वीटी सिंह को 264 वोट के अंतर से हराया था। एक बार फिर 2015 में दोनों में सीधा मुकाबला है। पार्टियां भी पुरानी ही हैं। इस बार मुकाबला रोचक रहने की उम्मीद है।

कटिहार जिला 67.27% वोटिंग के साथ चौथा सबसे ज्यादा मतदान वाला जिला बनकर उभरा। 2010 के चुनावों के 62.29% के मुकाबले इस बार वोटिंग 4.98% ज्यादा रही।

जिले में बराई में सबसे ज्यादा 72.76% मतदान हुआ, वहीं कटिहार में सबसे कम 63.68% वोटिंग दर्ज हुई।

2010 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के तार किशोर प्रसाद ने आरजेडी के डॉ. राम प्रकाश महतो को 20,601 वोट से हराया था। 2015 में, बीजेपी ने एक बार फिर तार किशोर महतो को टिकट दिया। उन्हें जेडी(यू) के बिजय सिंह चुनौती दे रहे हैं। 2010 में आरजेडी ने इस सीट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार उसने यह सीट जेडी(यू) को दे दी।

पुर्णिया का नंबर मतदान प्रतिशत में इसके बाद आता है। वहां 62.95% वोटिंग हुई, जो 2010 के चुनावों के 60.29% के मुकाबले 2.66% ज्यादा है।

जिले में सबसे ज्यादा मतदान कस्बा में 68.90% हुआ। वहीं रुपौली में सबसे कम 58.82% मतदान हुआ।

2010 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के राज किशोर केसरी ने कांग्रेस के राम चरित्र यादव को 15,599 वोट्स से हराया था। 2015 में, बीजेपी के विजय कुमार खेमका का मुकाबला कांग्रेस की इंदु शुक्ला से है। दोनों पार्टियों ने ऩए उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस के राम चरित्र यादव पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में है।

अररिया में 2010 के चुनावों के मुकाबले वोटिंग में सबसे कम सकारात्मक सुधार देखने को मिला। इस बार यहां 62% वोटिंग हुई, जो 2010 के 60.30% वोटिंग के मुकाबले 1.7% ज्यादा है।

जिले में सिकती में सबसे ज्यादा 64.57% वोटिंग हुई। जबकि रानीगंज (सुरक्षित) सीट पर सबसे कम 60.50% वोटिंग हुई।

2010 के विधानसभा चुनावों में, एलजेपी के जाकिर हुसैन खान ने बीजेपी के नारायण कुमार झा को 18,061 वोट्स से हराया था। 2015 में कांग्रेस के अविदुर रहमान का मुकाबला एलजेपी के अजय कुमार झा और एसपी के शाद अहमद से है।

सुपौल उन तीन जिलों में शामिल है, जहां 2010 के मुकाबले कम वोटिंग हुई है। इस बार यहां 58.60% वोटिंग हुई है, जो 2010 में दर्ज 60.13% के मुकाबले 1.53% कम है।

जिले के भीतर पिपरा में सबसे ज्यादा 63.21% वोटिंग हुई। वहीं सुपौल में सबसे कम 55.51% वोटिंग हुई।

2010 के विधानसभा चुनावों में जेडी(यू) के बिजेंद्र प्रसाद ने आरजेडी के रवीन्द्र कुमार रमन को 15,392 वोट से हराया था। 2015 में, जेडी(यू) ने एक बार फिर बिजेंद्र कुमार यादव को टिकट दिया है। उनका मुख्य मुकाबला बीजेपी के किशोर कुमार से होगा।

मधेपुरा का नंबर वोटिंग में नकारात्मक सुधार की दृष्टि से इसके बाद आता है। यहां 57.84% वोटिंग हुई, जो 2010 के चुनावों के 59.45% वोटिंग से 1.61% कम है।

जिले में आलमनगर में सबसे ज्यादा 61.15% और मधेपुरा में सबसे कम 56% मतदान हुआ है।

2010 के विधानसभा चुनावों में, आरजेडी के चंद्रशेखर ने जेडी(यू) के डॉ. रामेंद्र कुमार यादव रवि को 11,944 वोट्स से हराया था। यह सीट जेडी(यू)-आरजेडी की मजबूत गढ़ रही है। आरजेडी ने इस बार यहां से दोबारा चंद्रशेखर को टिकट दिया है। उनका मुकाबला बीजेपी के विजय कुमारबिमलसे होगा। हालांकि, बीएसपी के कपिलदेव पासवान और जेएपी(एल) के अशोक कुमार भी आरजेडी वोट्स काटेंगे।

सहरसा में इस चरण के दौरान सबसे कम 50.78% मतदान हुआ। यह 2010 के 52.75% के मुकाबले 1.97% कम है।

जिले में सोनबरसा (सुरक्षित) सीट पर सबसे ज्यादा 51.24% वोटिंग हुई, जबकि महिषी में सबसे कम 50.50% वोटिंग हुई।

2010 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के आलोक रंजन ने आरजेडी के अरुण कुमार को 7,979 वोट से हराया था। इस बार भी बीजेपी ने फिर से आलोक पर भरोसा जताया है। जिनका मुकाबला इस बार भी 2010 के प्रतिद्वंद्वी आरजेडी के अरुण कुमार से होगा। इस बार का मुकाबला दिलचस्प है क्योंकि जेडी(यू) इस बार बीजेपी के साथ नहीं बल्कि आरजेडी के साथ खड़ा है।

Like us on Facebook

Recent Comments

Archives
Select from the Drop Down to view archives