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बिहार चुनावः अमित शाह को भरोसा बीजेपी को मिल रहा है बहुमत

October 20, 2015


अमित शाह को बीजेपी की जीत का भरोसा

अमित शाह बिहार में लौट आए हैं। 28 अक्टूबर को होने वाले अगले दौर के मतदान के लिए अपनी टीम को तैयार कर रहे हैं। पटना में प्रेस से बात करते हुए अमित शाह ने बताया कि किस तरह बीजेपी पहले और दूसरे दौर के मतदान के बाद महागठबंधन से आगे निकल गई है। जबकि मीडिया रिपोर्ट्स में इससे विपरीत तस्वीर पेश की जा रही है। उन्हें भरोसा है कि एनडीए पहले दौर की 49 सीटों में 32-34 सीटें और दूसरे दौर की 32 सीटों में से 24 पर जीत हासिल कर लेगी।

उन्होंने तो आत्मविश्वास के साथ 8 नवंबर का एजेंडा भी सेट कर दिया। 8 नवंबर को ही राज्य के चुनावों के नतीजे आने हैं। उन्होंने कहा कि दोपहर 12 बजे बीजेपी को दोतिहाई बहुमत मिल जाएगा। 2 बजे राज्यपाल के पास जाकर इस्तीफा देने के लिए नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के तौर पर आखिरी सफर करेंगे। उनके शब्द कितने सच साबित होते हैं, यह देखने के लिए 8 नवंबर तक का इंतजार करना होगा। लेकिन यह तो तय है कि उनके सामने बहुत मुश्किल चुनौती है।

इस बीच, उन्होंने आरक्षण पर पार्टी का रुख भी दोहराया। उन्होंने कहा कि आरक्षण कायम रहेगा। इसकी समीक्षा नहीं होने वाली। उन्होंने उत्तरप्रदेश के दादरी कांड और कर्नाटक में कलबुर्गी की हत्या से भी पार्टी की दूरी बनाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि दोनों ही घटनाएं राज्यों की हैं। राज्य सरकारें कानूनव्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। उनसे जवाब पूछा जाना चाहिए। इसका उनकी पार्टी या प्रधानमंत्री से कोई लेनादेना नहीं है।

रिपोर्ट्स बताती हैं कि पार्टी की रैलियों में कम भीड़ जुट रही है। यहां तक कि अमित शाह की रैलियों में भी एक हजार तक लोग आ रहे हैं। यह पार्टी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। लोगों का उत्साह और मौजूदगी वैसी नहीं है, जैसी नरेंद्र मोदी की रैलियों में देखने को मिलती है।

आरएलएसपी और एलजेपी की रैलियों के भी यही हाल हैं। बीजेपी ने रैलियों में भीड़ खिंचने के लिए मनोज तिवारी को अभियान में शामिल किया है, लेकिन इसके बाद भी कड़ी धूप में लोगों को रैली स्थल तक खिंचकर लाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। वैसे भी इस समय बिहार में दिन काफी गर्मा रहा है।

हकीकत तो यह है कि सबसे ज्यादा भीड़ तो वीआईपी को लेकर पहुंचने वाले हेलिकॉप्टर देखने पहुंच रही है। रुचिकर बात यह है कि लोग रैलियों में नेताओं के भाषण सुनने के बजाय पार्क किए हुए हेलिकॉप्टर देखने में मशगूल रहते हैं। अलगअलग राजनीतिक दल इस समय 20 से ज्यादा हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक अहम पहलू यह है कि महागठबंधन की रैलियो में भी भीड़ नहीं जुट पा रही है।

बीजेपी अभी भी दुविधा में है कि प्रधानमंत्री को ही नीतीश कुमार के सामने उतारे या किसी स्थानीय नेता को चुनौती के तौर पर पेश करें। नए पोस्टरों में पार्टी राम विलास पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के चेहरों का भी इस्तेमाल कर रही है। यह इस बात का संकेत है कि बीजेपी इन नेताओं के मजबूत जनाधार वाले विधानसभा क्षेत्रों में उनके प्रभाव को भुनाना चाहती है।

इसके अलावा अमित शाह ने अपने सहयोगियों के साथ बंद कमरों में बैठकें शुरू कर दी है। यह पिछले एक पखवाड़े से नहीं हो रहा था। यह बताता है कि बीजेपी को यह समझ आ गया है कि पहले दो दौरों के बाद रणनीति बदलने में ही भलाई है। नरेंद्र मोदी 26 अक्टूबर से फिर अभियान पर निकलेंगे और 22 रैलियां करेंगे।

नीतीश कुमार ने फिर उठाया बिहारी बनाम बाहरी का मुद्दा

नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी पर कई मुद्दों को लेकर दबाव बना रखा है। फिर चाहे दादरी का मुद्दा हो, गोमांस विवाद और उन पर पीएम की चुप्पी ही क्यों न हो। नीतीश आरोप लगा रहे हैं कि मोदी ने वादे तो बड़ेबड़े किए, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं किया। सबसे बड़ा मुद्दा है बिहारी बनाम बाहरी। नीतीश इस मुद्दे का जिक्र किए बिना नहीं रहते।

नरेंद्र मोदी एनडीए के शुभंकर और स्टार कैम्पेनर हैं। लिहाजा नीतीश कुमार ने मोदी से ही मुकाबला करने की ठानी है। वे यह दावा करते दिखते हैं कि मैं तो यहीं का हूं, जबकि नरेंद्र मोदी बाहरी हैं। उन्होंने लोगों से पूछा कि जब उनके पास नीतीश कुमार जैसा स्थानीय व्यक्ति है तो किसी बाहरी को चुनने की क्या जरूरत है?

नीतीश डीएनए का मुद्दा भी नहीं छोड़ना चाहते। जो प्रधानमंत्री ने जुलाई में अपनी परिवर्तन रैली के दौरान नीतीश के डीएनए पर सवाल उठाकर उन्हें दिया था। उन्होंने पूछाप्रधानमंत्री पोस्ट ऑफिस में टेस्टिंग का इंतजार कर रहे हमारे हजारों डीएनए नमूनों को स्वीकार क्यों नहीं कर रहे। नीतीश अक्सर पीएम के उठाए मुद्दों पर बिंदूवार जवाब देते हैं।

नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों में लगातार नीतीश के लालू प्रसाद के साथ गठबंधन का मुद्दा उठा रहे हैं। यह कहते हुए कि जंगल राज लौट आएगा। लेकिन नीतीश कुमार ने इसका जवाब यह कहते हुए दिया कि बीजेपी के संरक्षक आरएसएस और उसके चरमपंथी तत्वों से लड़ने के लिए सभी सेकुलर ताकतों का एकजुट होना जरूरी था। यदि हालिया विवाद न होते तो जंगल राज का मुद्दा बीजेपी के पक्ष में जा रहा था। लेकिन अब नीतीश कुमार इस मुद्दे को सेकुलर बनाम सांप्रदायिक बनाने की कोशिश में जुटे हैं। बिहार के कमजोर तबकों को इसकी ज्यादा चिंता है। आबादी में उनकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है।

ईसी का आदेश अर्द्धसैनिक बलों को मतदान केंद्रों में तैनात करें

मतदान के बचे हुए दौरों के लिए अलगअलग राजनीतिक दलों की ओर से आए सुझावों पर मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) नसीम जैदी ने सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अर्द्धसैनिक बलों को मतदान केंद्रों के बाहर ही नहीं बल्कि अंदर भी तैनात किया जाए। इससे मतदाताओं में विश्वास पैदा होगा। खासकर कमजोर तबकों में। वह बड़ी संख्या में वोट डालने आएंगे।

उन्होंने मतदान पहचान पत्र से जुड़ी शिकायतों के कम आने का जिक्र भी किया। उन्होंने बताया कि वे समय से पहले 98 प्रतिशत तक वोटर स्लिप बांट पाए, इससे ही मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। इसके अलावा वोटर अवेयरनेस कैम्पेन भी अच्छा रिजल्ट दिखा रहा है।

सीईसी ने बताया कि करीब 39 करोड़ रुपए अब तक अलगअलग विभाग जब्त कर चुके हैं। दबाव अब भी बना रखा है। उन्होंने कहा कि कई गैरजमानती वारंट जारी हुए हैं। एहतियातन यह कार्यवाही की जा रही है। अधिकारियों ने करीब 50 प्रतिशत लाइसेंसी हथियार जमा कराए हैं।