बिहार महाभारतः बीजेपी ने चुनावों में अपनाया व्यापक समग्रता का नजरिया
बीजेपी बिहार चुनावों में अपनी पहचान का दायरा बढ़ाना चाहती है। पारंपरिक रूप से “ऊंची जातियों” की पार्टी से वह खुद को अब व्यापक प्रतिनिधित्व वाली पार्टी के तौर पर पेश करना चाहती है। पहली बार इसके लिए बिहार चुनावों का इस्तेमाल हो रहा है। यह अमित शाह की तीन–तरफा रणनीति में भी झलक रहा है। वोटरों के व्यापक वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले चेहरों को टिकट दिए गए हैं। इनमें तीन वर्ग रहे– ओबीसी–ईबीसी, महिलाएं और युवा।
बीजेपी को यह पता है कि यदि उसे जेडी(यू)-आरजेडी गठजोड़ से मुकाबला करना है तो उसे उनके पारंपरिक वोटबैंक– यादव, मुस्लिम और दलितों के कुछ धड़ों में सेंध लगानी होगी। राम विलास पासवान और जीतन मांझी को साथ लाकर बीजेपी ने ओबीसी और ईबीसी वर्गों को अपनी ओर लाने की कोशिश की है। इसके अलावा, उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा को भी अपनी ओर लाने में कामयाबी पाई है, जो निश्चित तौर पर कुशवाहा वोट लाएंगे। इससे यादव अलग रह जाते हैं, जो लालू प्रसाद के उभार के साथ ही बिहार की राजनीति में प्रभुत्व के स्थान पर आ गए थे। बीजेपी को उम्मीद है कि उनमें भी टूट होगी। इसमें मुलायम सिंह यादव जाने–अनजाने उनकी मदद कर सकते हैं। बाद में वह मुलायम का समर्थन भी जीत सकते हैं।
बीजेपी जानती है कि मुस्लिम समुदाय का बड़ा तबका उसे समर्थन नहीं करेगा, लेकिन फिर भी वह कुछ तबकों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। उम्मीद यह भी है कि एआईएमआईएम के बिहार में चुनाव लड़ने से मुस्लिम वोट बंटेंगे। यह बीजेपी के पक्ष में ही रहेगा।
अमित शाह का ध्यान महिलाओं और युवाओं पर है। यह दो तबके ऐसे हैं जो पारंपरिक जाति–आधारित वोटिंग से दूर हो रहे हैं। इनका ध्यान सिर्फ विकासात्मक राजनीति पर है। इसे ही यह महत्व दे रहे हैं। यह दोनों ही पहलू बीजेपी के मजबूत पक्ष है। बीजेपी को उम्मीद है कि यह दोनों तबके महत्वपूर्ण अंतर पैदा करेंगे। पारंपरिक वोट समीकरणों से परे हटकर उसका पलड़ा भारी करेंगे।
इंटरनेट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया की बदौलत मुस्लिमों में भी महिलाएं और युवा पारंपरिक वोट राजनीति पर सवाल कर रहे हैं। इस मुद्दे पर स्वतंत्र नजरिया अपना रहे हैं।
उपरोक्त को देखते हुए बीजेपी में टिकट के बंटवारे का पैटर्न महत्वपूर्ण हो जाता है। अब तक 43 प्रत्याशी उतारे गए हैं। इनमें 17 अलग–अलग जातियों का प्रतिनिधित्व दिखता है। बीजेपी का यह नया नजरिया निश्चित तौर पर उसे बिहार में अपना जनाधार बढ़ाने में मदद करेगा। अन्य राज्यों में भी उसे इसका फायदा मिल सकता है।
इस कदम को आरएसएस से भी पूरा समर्थन मिला हुआ है। वह भी हिंदू धर्म में आने वाले विभिन्न तबकों को समग्र रूप से अपने संगठन से जोड़ना चाह रहा है। खासकर ऐसे वर्गों को जिनकी अब तक अनदेखी ही होती आई है।
कांग्रेस ने ‘मन की बात’ का किया विरोध
कांग्रेस ने आचार संहिता लागू रहने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की ‘मन की बात’ के प्रसारण का विरोध किया है। प्रसारण की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा कि इससे परोक्ष रूप से वोटर प्रभावित होंगे। चुनाव पूरे होने तक इस कार्यक्रम पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाए। लेकिन कोई रोक नहीं है। रविवार को अगला प्रसारण होना है।
कांग्रेस ने हरियाणा चुनावों के दौरान भी प्रसारित कार्यक्रम पर इसी तरह की आपत्ति उठाई थी। लेकिन उस समय भी चुनाव आयोग ने उसकी आपत्ति खारिज कर दी थी। यह कहते हुए कि इसकी सामग्री से वोटर पर कोई असर नहीं पड़ता है। इस बार भी, भले ही कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग को कोई लिखित शिकायत न मिली हो, वह भविष्य के कार्यक्रमों पर कोई भी फैसला सुनाने से पहले प्रोग्राम की सामग्री की समीक्षा करना चाहता है।
लालू प्रसाद और जेडी(यू) उठाएंगे महाराष्ट्र सरकार के ऑटो ड्राइवर्स के लिए मराठी बोलने के फरमान को
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि नए ऑटो लाइसेंस उन्हीं ड्राइवर्स को दिए जाएंगे, जो मराठी बोल सकते हैं। मुंबई में, 70 प्रतिशत ऑटो और टैक्सी ड्राइवर यूपी और बिहार से हैं। उनमें से ज्यादातर मराठी नहीं बोल सकते। हालिया आदेश नए लाइसेंस के आवेदन करने वाले यूपी और बिहार के लोगों के लिए परेशानी का सबब बनेगा। मुंबई में बिहारी और यूपी के खिलाफ मुद्दा सामने आता है तो उसकी इन राज्यों में तीखी प्रतिक्रिया होती है। महाराष्ट्र में इस समय बीजेपी की सरकार है। लालू प्रसाद को इसमें मौका दिखाई दे रहा है। वह महाराष्ट्र के फरमान को बीजेपी की ओर से जारी बताकर बिहार में उसे घेर सकते हैं। लेकिन यह देखना होगा कि वे कितने सफल हो पाते हैं।
चर्चा में नेताः शाहनवाज हुसैन (जन्म 12 दिसंबर 1968)
शाहनवाज हुसैन का जन्म बिहार के समस्तीपुर के पास सुपौल गांव में हुआ था। उन्होंने पटना और दिल्ली से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लिया। उन्होंने छात्र जीवन में ही एबीवीपी की सदस्यता ले ली थी। तब से बीजेपी के साथ ही रहे। छात्र राजनीति से आगे बढ़ते हुए 31 वर्ष की उम्र में वे अक्टूबर 1999 में किशनगंज से सांसद चुन लिए गए। केंद्र में कई विभागों के मंत्री भी रहे। खाद्य प्रसंस्करण और उद्योग राज्यमंत्री, युवा मामले और खेल राज्यमंत्री, मानव संसाधन राज्यमंत्री और कोयला राज्यमंत्री (स्वतंत्र) रहे हैं। उन्हें जब नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया, तब वे सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री बने। उन्होंने कपड़ा मंत्रालय में भी काम किया है।
चर्चा में विधानसभा क्षेत्रः सीतामढ़ी
सीतामढ़ी जिला मुख्यालय है, जिसे 11 दिसंबर 1972 को मुजफ्फरपुर जिले से अलग किया गया था। सीतामढ़ी 1934 में भारत–नेपाल सीमा पर आए भीषण भूकंप की वजह से पूरी तरह नष्ट हो गया था। उसे दोबारा बनाया गया।
हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्री राम की पत्नी सीता का जन्म इसी इलाके में हुआ। यहां उन्हें समर्पित जानकी मंदिर और जानकी कुंड भी है।
2010 विधानसभा चुनाव परिणाम
- 2010 विधासनभा चुनावों में विजेताः सुनील कुमार उर्फ पिंटू, बीजेपी
- जीत का अंतरः 5,221 वोट्स, 4.40% कुल वैध वोटों का
- निकटतम प्रतिद्वंद्वीः राघवेंद्र कुमार सिंह, एलजेपी
- पुरुष वोटरः 64,016; महिला वोटरः 54,522; कुलः 1,18,616
- मतदान का प्रतिशतः 52.93
- चुनाव में शामिल पुरुष उम्मीदवारः 7, महिला उम्मीदवारः 1
- मतदान केंद्रः 235