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बिहार चुनावः बिहार के लिए बीजेपी ने घोषित किया अपना दृष्टि पत्र

October 3, 2015


 बिहार के लिए बीजेपी ने घोषित किया अपना दृष्टि पत्र

आखिरकार सामने ही गया। केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली बीजेपी का चुनाव घोषणा पत्र को जारी कर खुद भी चुनावी मूड में गए हैं। बीजेपी ने इस घोषणा पत्र को नाम दिया है– ‘विजन बिहार पार्टी ने बिहार में सत्ता में आने पर कैसे बदलाव लाएंगे, इस पर अपना नजरिया पेश किया है।

जैसा कि पहले इस कॉलम में बताया गया था, बीजेपी का पूरा जोर महिलाओं और युवाओं पर है, जिनमें लड़केलड़कियां भी शामिल हैं। पार्टी ने महसूस किया है कि बिहार के युवा कई दशकों की उपेक्षा के बाद अपने और समूचे राज्य में जीवन की गुणवत्ता में बदलाव चाहते हैं। गुणवत्तायुक्त शिक्षा और संबंधित बुनियादी ढांचे की कमी की वजह से लड़केलड़कियां उच्च शिक्षा के लिए बिहार से बाहर जाने को मजबूर है। इसे दिमाग में रखते हुए बीजेपी ने शिक्षा के ईर्दगिर्द ही बिहार में बदलाव की योजना बनाई है। यह तीन प्रमुख क्षेत्र हैं, जहां पार्टी ने जोर दिया है। कृषि और बुनियादी ढांचा बाकी दो क्षेत्र हैं।

बीजेपी ने उच्च अध्ययन के लिए बिहार को एजुकेशन हब बनाने की योजना बनाई है। इसकेलिए बिहार में डिविजन स्तर पर इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज बनाए जाएंगे। युवाओं में वोकेशनल ट्रेनिंग को बढ़ावा देने के लिए विकासखंड स्तर पर आईटीआई बनाएंगे। पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और गया को उच्च अध्ययन के लिए कोचिंग हब के तौर पर विकसित किया जाएगा। इससे छात्रछात्राओं को अन्य राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा। निस्संदेह 3 प्रतिशत ब्याज पर एजुकेशन लोन गारंटी स्कीम के तहत युवाओं को उच्च अध्ययन में अतिरिक्त मदद दी जाएगी।

बीजेपी ने अच्छे अंक लाने वाली छात्राओं के लिए 5000 स्कूटी बांटने की योजना बनाई है। इसके अलावा कक्षा दसवीं और बारहवीं के छात्रछात्राओं के लिए 50 हजार लैपटॉप्स की स्कीम भी घोषित की है।

भूमिहीनों के लिए पार्टी ने घर बनाने के लिए 5 डेसिमल जमीन देने का वादा किया है। कृषि और कृषि प्रसंस्करण इकाइयां लगाकर किसानों को फायदा पहुंचाया जाएगा। इसके अलावा कृषि कार्यों के लिए बिजली के अलग फीडर लगाने की योजना भी प्रस्तावित है।

बीजेपी ने बिहार के लिए अपने विजन में नीतीशलालू के नेतृत्व वाले महागठबंधन से अलग पोजीशन ली है। टिकाऊ योजना के साथ व्यापकता प्रस्तुत करने की कोशिश की है। उसके बाद भी उसके प्रयास बहुत ज्यादा लोकलुभावन नहीं लग रहे।

चुनाव आयोग ने अंतिम चरण की वोटिंग तक एग्जिट पोल पर लगाया प्रतिबंध

बिहार में पहले चरण का मतदान 12 अक्टूबर और अंतिम चरण का मतदान 5 नवंबर को होगा। इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल और मतदाताओं को प्रभावित करने वाली किसी भी सामग्री के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगा दी है। आयोग ने हर चरण में मतदान से 48 घंटे पहले किसी भी तरह का जनमत सर्वेक्षण छापने पर भी पाबंदी लगा दी है। यह सारे प्रयास निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए एहतियाती उपायों का हिस्सा है।

एक अन्य घटनाक्रम में, पुलिस ने दस लाख डॉलर नगद बरामद किए हैं। इसके अलावा सोने की दो प्लेट्स, कई सिम कार्ड्स और एटीएम कार्ड्स बरामद किए हैं। दो संदिग्धों को भी पकड़ा है। यह बरामदगी इस बात का सूचक है कि भारतनेपाली गैंग का इस्तेमाल चुनावों में पैसा लाने के लिए किया जा रहा है।

इस बीच, चुनाव आयोग ने लालू प्रसाद यादव को समन जारी किया है और उनसे 6 अक्टूबर को तीन बजे या उससे पहले पेश होने को कहा है। अपने बयान पर स्पष्टीकरण देने को कहा है कि जिससे लग रहा है कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है। लालू ने राघोपुर की चुनावी रैली में कहा था कि उनकी लड़ाई पिछड़ों और अगड़ों की है। इसके लिए लालू के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है।

क्या सुशील मोदी की मुख्यमंत्री बनने की संभावना खत्म हो गई हैं?

बिहार में मुख्यमंत्री पद के लिए किसे चुनना है, यह बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर होगी। सुशील कुमार मोदी अब तक इस दौड़ में सबसे आगे थे। लंबे अरसे से पार्टी के विश्वस्त हैं और उन्हें आरएसएस का भी पूरा समर्थन है। इसके अलावा उपमुख्यमंत्री के तौर पर काम करते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियों को उठाने के लिए आवश्यक प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव भी हासिल किया है। अब, आरक्षण की समीक्षा करने के मोहन भागवत के बयान के बाद अमित शाह बचाव की मुद्रा में है। बीजेपी को मजबूरी में घोषणा करनी पड़ी कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री ओबीसी या ईबीसी श्रेणी का होगा। इससे सुशील मोदी के अगले मुख्यमंत्री बनने की संभावना कम हो गई है।

बीजेपी को अब मुश्किल चुनाव करना होगा। जीतन मांझी हाल ही में गठबंधन में आए हैं। बीजेपी या आरएसएस से तो उनका वैचारिक जुड़ाव और ही संवेदना। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने अलगअलग ग्रुपों से निपटने में गैरजिम्मेदाराना बयान देकर खुद को इस काम के लिए अनुपयुक्त ही दिखाया है। राम विलास पासवान भी एक अच्छे विकल्प हैं, लेकिन उनका भी बीजेपी से कोई खास जुड़ाव नहीं है। किसी पार्टी या गठबंधन के प्रति वफादारी के बजाय उन्हें अवसरवादी के तौर पर ही देखा जाता है। उपेंद्र कुशवाहा के साथ भी ऐसा ही है। यह तीनों स्वतंत्र है और एक बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो बीजेपी की इच्छाओं को कभी पूरा होने नहीं देंगे।

अब बीजेपी की असली समस्या शुरू होती है। वह ओबीसी/ईबीसी उम्मीदवार के वादे से पीछे नहीं हट सकती। ऐसे में उसे सबसे कम स्वीकार्य उम्मीदवार को भी चुनना पड़ सकता है। वह यादव उम्मीदवार को आगे लाकर यादव समुदाय पर आरजेडीजेडी(यू) की पकड़ ढीली कर सकती है। लेकिन इसका मतलब यह होगा कि बीजेपी भी अपने विरोधियों की तरह जातिवादी राजनीति पर आगे बढ़ रही है।

हालांकि, एक बाहरी विकल्प है। बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। वह शाहनवाज हुसैन को मुख्यमंत्री बनाकर किसी यादव को उपमुख्यमंत्री बना सकती है। इस तरह वह आरजेडीजेडी(यू) का यादवमुस्लिम वोटबैंक पर पकड़ ढीली कर सकती है। जो पिछले कई वर्षों से इन पार्टियों का वोटबैंक रहा है। हुसैन को आगे लाकर पार्टी पहली बार सभी को साथ लेकर चलने की अपनी छवि भी बना सकती है। क्या अमित शाह की टीम ऐसे मौके के लिए तैयार है?

चर्चा में नेताः चौधरी मेहबूब अली कैसर, एलजेपी (जन्म 13 मई 1958)

16वीं लोक सभा में खगड़िया से मौजूदा सांसद हैं चौधरी मेहबूब अली कैसर। उनका जन्म कोलकाता में चौधरी मोहम्मद सलाहुद्दीन और रहमत बानु के घर हुआ था। उनके दादा सिमरी बख्तियारपुर के नवाब नजीरूल हसन और पिता चौधरी सलाहुद्दीन राजनीति में सक्रिय रहे हैं। वे बिहार सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे हैं। उन्होंने प्रतिष्ठित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इतिहास से स्नातक डिग्री हासिल की। बाद में उनका ध्यान कृषि और राजनीति पर गया।

1995 से 2000 तक वे बिहार विधानसभा के सदस्य रहे हैं। 2008 से 2010 के बीच वे बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी थे। 16वीं लोकसभा में खगड़िया सीट जीतकर पहली बार संसद पहुंचे।

चर्चा में विधानसभा क्षेत्रः राजौली (अनुसूचित जाति)

नवादा जिले के पांच में से एक उपसंभाग है राजौली। यह नवादा शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित है। राजौली से धनर्जय नामक नदी बहती है। यहां बारिश भी अच्छी होती है और जमीन भी उर्वर है। इससे यहां कई फसलें उगाई जाती हैं। इस खूबसूरत धरती के पास फुलवारिया डैम भी है और हल्दिया पहाड़ी और काकोलात पर्यटन के आकर्षक केंद्र है।

2010 विधानसभा चुनाव परिणामः

  • 2010 विधानसभा चुनावों में विजेताः कन्हैया कुमार, बीजेपी

  • जीत का अंतरः 14,090; कुल वैध मतों का 13.03%

  • निकटतम प्रतिद्वंद्वीः प्रकाश बीर

  • पुरुष वोटर्सः 56,007; महिला वोटर्सः 52,430; कुलः 1,08,439

  • चुनाव प्रतिशतः 46.01%

  • पुरुष उम्मीदवारः 10; महिला उम्मीदवारः 2

  • मतदान केंद्रः 262