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बिहार चुनाव: पीएम की सफल अमेरिका यात्रा का बांका में विशाल रैली से फायदा उठाएगी बीजेपी

September 29, 2015


पीएम की सफल अमेरिका यात्रा का बांका में विशाल रैली से फायदा उठाएगी बीजेपी

नरेंद्र मोदी का अमेरिका का दूसरा दौरा भी रॉकस्टार जैसा ही रहा। इसका बिहार चुनावों में फायदा उठाने के लिए महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को बांका में होने वाली रैली में बीजेपी ने तमाम इंतजाम किए हैं। बिहार यूनिट ही नहीं बल्कि केंद्रीय नेतृत्व भी अमेरिका के इस सफल दौरे की पृष्ठभूमि में रैली को सफल बनाने में जुट गया है। अमेरिका से लौटने के बाद पीएम की यह पहली रैली है।

बीजेपी के लिए बिहार चुनावों का महत्व कितना है, इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि अमेरिका के व्यस्ततम दौरे में भी पीएम ने बिहार के एनआरआई समुदाय से अलग से मुलाकात का वक्त निकाला। निश्चित तौर पर वे इसके जरिए बिहार में एक संदेश देना चाहते थे।

पीएम इस दौरे से भारत को मिली सौगातों को प्रचारित जरूर करेंगे। खासकर ग्रामीण भारत को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर। मसलनमाइक्रोसॉफ्ट का 5 लाख गांवों में कम खर्च वाली ब्रॉडबैंड टेक्नोलॉजी देने और गूगल का भारत के 500 रेलवे स्टेशनों को वाईफाई बनाने का वादा। इसके अलावा, पीएम यह भी बताएंगे कि मेक इन इंडिया किस तरह रोजगार के मौके उपलब्ध कराएगा। उनके इस दौरे से भारत में निवेश किस तरह आएगा। अमेरिका में उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में 40% एफडीआई बढ़ा है। निश्चित तौर पर वे यह संदेश बिहार के लोगों को भी देना चाहेंगे। यह भी बताएंगे कि इससे रोजगार के कितने मौके विकसित हो सकते हैं।

बांका में रैली को सफल बनाने के लिए पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह वहां पहुंचेंगे। उनके साथ केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी होंगे जो पार्टी चुनाव प्रभारी अनंत कुमार के साथ रैली में शामिल होंगे। पहले चरण का मतदान 12 अक्टूबर को है, जिसमें मुंगेर, भागलपुर, नवादा और समस्तीपुर जिलों में वोटिंग होगी।

लालू ने कहाअगड़ों और पिछड़ों में है मुकाबला; चुनाव आयोग ने लिया संज्ञान

लालू प्रसाद यादव की राघोपुर की रैली को लेकर विपक्षी पार्टियां खूब शोर मचा रही हैं। लालू ने इस रैली में कहा था कि यादव और ओबीसी तबकों को अगड़ों से लड़ने के लिए महागठबंधन से हाथ मिलाना होगा। यह चुनाव अगड़ों और पिछड़ो के बीच है। इसके बाद चुनाव आयुक्त को लालू के बयान पर संज्ञान लेना पड़ा। लालू प्रसाद की चुनावी रणनीति हमेशा से जातिगत राजनीति के ईर्दगिर्द ही रही है। यह देखना दिलचस्प रहेगा कि हालिया घटनाक्रम पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया क्या होती है।

जेडी(यू) ने बीजेपी के इस दावे पर साधा निशाना कि दोनों साथ थे तो बिहार में प्रदर्शन ज्यादा अच्छा था

जेडी(यू) के केसी त्यागी ने बीजेपी के दावों की आलोचना करते हुए कहा कि एनडीए लोगों को गुमराह करने के लिए तथ्यों से छेड़छाड़ कर रहा है। बीजेपी प्रायोजित थिंक टैंक पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर की सार्वजनिक की गई रिपोर्ट के तथ्यों के विरोध में त्यागी ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2013-14 कहती है कि जीएसडीपी पर बिहार सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य था।

केसी त्यागी ने मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए बयान पर भी संदेह जताया और दोहराया कि बीजेपी सत्ता में आने पर आरक्षण की समीक्षा करेगी।

पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह भी बीजेपी पर बरसे। यह कहते हुए कि राज्य में बिजली आपूर्ति 2005 में 700 मेगावाट थी, जो इस साल बढ़कर 3,500 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। आने वाले दिनों में इसमें और सुधार होगा। गांवों के विद्युतीकरण पर भी उन्होंने प्रदर्शन में सुधार का दावा किया। उनका कहना है कि एक साल के भीतर 39 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाई गई।

पीएम की आलोचना करते हुए जेडी(यू) के डॉ. अजय आलोक ने पूछा कि पीएम अपनी सरकार के प्रदर्शन पर एनआरआई से प्रतिक्रिया क्यों ले रहे हैं? क्या उनमें देश के लोगों से प्रतिक्रिया लेने का साहस नहीं है?

इस बीच, जेडी(यू) खेमे में मुश्किलें भी बढ़ गई है। नीतीश कुमार के गढ़ समझे जाने वाले नालंदा जिले की हरनौत विधानसभा क्षेत्र में आने वाले गांव नरसंदा में 100 से ज्यादा गांवों के कार्यकर्ता महापंचायत में जुटे। वे जेडी(यू) के विधायक हरि नारायण सिंह को दोबारा नामांकित करने का विरोध कर रहे हैं। 2010 में भी सिंह के नामांकन का विरोध हुआ था। लेकिन नीतीश ने यह कहकर विरोध शांत कराया था कि दोबारा ऐसा नहीं होगा। लेकिन इस बार फिर उन्हें नामांकित करने से कार्यकर्ता गुस्से में हैं। उन्होंने धमकी दी है कि यदि उनका नामांकन रद्द नहीं किया तो वे विरोधी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट डालकर उसे जिताएंगे।

जेडी(यू) को एक और झटका इस्लामपुर से विधायक राजीव रंजन ने दिया। उन्होंने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। राजीव रंजन नालंदा जिले से हैं, जिसे नीतीश कुमार का घरेलू मोर्चा समझा जाता है। पार्टी के लिए चिंताजनक बात यह है कि पार्टी के 7 अन्य विधायक भी रंजन के नक्शेकदम पर चलते हुए बीजेपी खेमे में जा सकते हैं।

चर्चा में नेताः राम कृपाल यादव, बीजेपी (जन्म 12 अक्टूबर, 1957)

16वीं लोक सभा में पाटलीपुत्र से मौजूदा सांसद हैं राम कृपाल यादव। उनका जन्म पटना जिले के गोरियाटोली में दिवंगत किशोरी प्रसाद के घर पर हुआ था। बीए पूरा करने के बाद उन्होंने कानून की शिक्षा ली।

1985-86 में वे पटना नगर निगम में उपमहापौर रहे। बाद में 1992-93 में उन्हें बिहार विधान परिषद के सदस्य के तौर पर चुन लिया गया। 1993 में 10वीं लोकसभा के उपचुनावों में पहली बार वे सासंद बने। 1996 में भी वे 11वीं लोकसभा के सदस्य के तौर पर चुने गए। 2004 में जीते। अब 2014 में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती को हराकर लोकसभा की सदस्यता हासिल की। यह लोक सभा में उनका चौथा कार्यकाल है। वे कई समितियों में भी रह चुके हैं। इस समय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

चर्चा में विधानसभा क्षेत्रः कटिहार

1973 में पुर्णिया से अलग करने के बाद कटिहार जिला बना था। कटिहार शहर इसका जिला मुख्यालय है। यह पुर्णिया संभाग का हिस्सा है। कटिहार जिले में 7 विधानसभा क्षेत्र, 3 उपसंभाग और 16 विकासखंड है। जिला 3,056 वर्ग किमी में फैला है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की कुल आबादी 30,71,029 है। इनमें 16,00,430 पुरुष और 14,70,599 महिलाएं हैं। साक्षरता दर 53.56 प्रतिशत है। मुख्य भाषा अंगिका है।

2010 विधासनभा चुनाव परिणामः

  • 2010 विधानसभा चुनावों में विजेताः तार किशोर प्रसाद, बीजेपी

  • जीत का अंतरः 20,607 वोट्स; 16.45% कुल वैध मतों का

  • निकटतम प्रतिद्वंद्वीः डॉ. राम प्रकाश महतो, आरजेडी

  • पुरुष वोटर्सः 69,492; महिला वोटर्सः 55,696; कुलः 1,25,340

  • मतदान प्रतिशतः 60.17

  • पुरुष उम्मीदवारः 10; महिला उम्मीदवारः 0

  • मतदान केंद्रः 229

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