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बिहार महाभारतः उम्मीदवार आज से दाखिल करेंगे नामांकन

September 16, 2015


उम्मीदवारों को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल

चुनाव आयोग बिहार के विधानसभा चुनावों के पहले चरण के मतदान के लिए आज से उम्मीदवारों के नामांकन स्वीकार करना शुरू करेगा।

बीजेपी ने घोषित की 43 उम्मीदवारों की पहली सूची

बीजेपी ने विधानसभा चुनावों के लिए कल 43 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। इनमें 19 उम्मीदवार 12 अक्टूबर को होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए है। 15 उम्मीदवार दूसरे चरण के मतदान के लिए है। जबकि 9 अन्य उम्मीदवार आगे के तीन चरणों के उम्मीदवार हैं।

सीट बनाम विधानसभा क्षेत्र पर विवाद

शुरुआती दो चरणों में करीब 81 सीटों पर वोटिंग होगी। इनमें से 25 सीटों पर बीजेपी के सहयोगी चुनाव लड़ेंगे। लेकिन एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रहे बीजेपी खेमे में सबकुछ ठीक नहीं है। कल, एलजेपी नेता और राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने मीडिया से बातचीत की। सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर आश्चर्य और निराशा जताई। यह भी कहा कि उन्हें जो वादा किया गया और जो दिया गया, उसमें अंतर है। सीटों के बंटवारे की घोषणा करते वक्त अमित शाह के साथ मौजूद नेता खुश दिखाई दे रहे थे। लेकिन बाद में सबके सुर बिगड़ गए।

मोहभंग का एक और संकेत दिया आरएलएसपी नेता फजल इस्लाम मलिक ने। उन्होंने बीजेपी की ओर से जारी 43 उम्मीदवारों की सूची पर ही सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन धर्म के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सीटों की संख्या पर सहमति बनी है। किस सीट पर कौन लड़ेगा, इस पर बातचीत चल रही है। आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा कोरी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो एक पिछड़ा वर्ग है और महत्वपूर्ण वोट बैंक भी।

भले ही, एनडीए गठबंधन के तीनों सहयोगियों ने पहले सीटों के बंटवारे और अब विधानसभा क्षेत्रों के वितरण पर अपनी नाखुशी जाहिर की है, बीजेपी ने भी यह साफ कर दिया है कि आखिरी फैसला उसका ही होगा। अमित शाह ने रणनीतिक तौर पर सीटों के बंटवारे के फार्मूले और अपने उम्मीदवारों की सूची में देर की, ताकि आज के नामांकन दाखिल करने पर कोई विरोध या बगावत न हो। इससे यह भी साफ होता है कि गठबंधन कैसे आगे बढ़ेगा।

शिव सेना पैदा कर सकती है बीजेपी के लिए गड़बड़

शिव सेना ने आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए बिहार की 100 से ज्यादा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। राज्यसभा सांसद अनिल देसाई को बिहार चुनावों का प्रभारी बनाया है। शिवसेना ने बिहार चुनाव लड़ने का फैसला देरी से क्यों लिया और वह भी अकेले? शिव सेना को यह पता है कि उसकी सफलता की संभावना काफी कम है, लेकिन वह बीजेपी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाना चाहती है।

वैसे, बिहार में शिव सेना पहली बार चुनाव नहीं लड़ रही है। 2004 में, पार्टी आम चुनाव लड़ी थी और 23 हजार वोट हासिल किए थे। कुल वैध मतों का 0.1 प्रतिशत। 2014 के लोकसभा चुनावों में शिव सेना ने 1.5 लाख वोट हासिल किए। कुल वैध मतों का 0.4 प्रतिशत। इस वजह से यदि शिव सेना बिहार में 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ती है तो यह संभावना है कि वह अपने पुराने प्रदर्शन को सुधारेगी। बिहार में चुनाव लड़ने का फैसला अंतिम क्षणों में किया, यह बीजेपी पर निशाने के तौर पर ही लग रहा है। ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र में जिस तरह की राजनीति हुई, उसका ही शिव सेना बदला लेना चाहती है। वह महाराष्ट्र में बीजेपी से अलग होकर अपनी आवाज और पहचान बनाने की कोशिश कर रही है। मांस पर लगे प्रतिबंध पर हाल ही में पार्टी ने जो रुख अपनाया, उससे यह बात साफ होती है।

चुनाव आयोग की परीक्षा का वक्त

यह चुनाव बिहार में अब तक हुए पुराने चुनावों से अलग होगा। पहली बार राज्य के हर मतदान केंद्र की सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों पर रहेगा। राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू है। ऐसे में चुनाव आयोग पूरे राज्य में सड़कों पर जांच करवा रहा है। छापे मारे जा रहे हैं। इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं।

अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी आर. लक्ष्मणन ने मीडिया को बताया कि 1.38 करोड़ रुपए की बेहिसाब नगदी गया जिले में एक कार से बरामद हुई है। पटना में 13 लाख रुपए, वैशाली में 6 लाख रुपए, नालंदा में 2.90 लाख रुपए, भोजपुर इलाके से 2.70 लाख और मधुबन से 1.40 लाख रुपए बरामद हुए हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि खगड़िया जिले से 100 किलो मारिजुआना बरामद हुआ है। इसके अलावा राज्य के अलगअलग हिस्सों से 10,386 लीटर शराब भी जब्त की गई है। सार्वजनिक और निजी संपत्ति का स्वरूप बिगाड़ने पर भी कई केस दर्ज हुए हैं। इसके अलावा सरकारी वाहनों के दुरुपयोग के केस भी दर्ज हुए हैं। इनमें झंडों और लालपीली बत्ती के इस्तेमाल के मामले शामिल है।

चर्चा में नेताः चिराग पासवान (जन्म 31 अक्टूबर 1982)

चिराग पासवान को एलजेपी नेता राम विलास पासवान के बेटे के तौर पर जाना जाता है। उनकी शुरुआती पेशेवर रुचि फैशन डिजाइनिंग में थी। अच्छे चेहरेमोहरे की वजह से फिल्म उद्योग की ओर भी आकर्षित हुए थे। 2011 में उन्होंने तनवीर खान की फिल्म “मिले ना मिले हम” फिल्म में काम भी किया था। इस फिल्म में तीन हीरोइनें थीकंगना रानौत, सागरिका घाटगे और नीरू बाजवा। लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं दिखा सकी और इससे चिराग पासवान का फिल्म करियर भी खत्म हो गया।

परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि को देखते हुए, राजनीति में आना सामान्य था। उन्होंने 2014 में जमुई से लोकसभा चुनाव लड़ा। आरजेडी के सुधांशु शेखर भास्कर को 85 हजार वोटों से हराया। अन्य राजनेताओं की दूसरी पीढ़ी के नेताओं की ही तरह चिराग पासवान भी अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। आने वाले वर्षों में इस नाम पर खास नजर रहेगी।

चर्चा में विधानसभा क्षेत्रः श्योहर

श्योहर एक जिला मुख्यालय है, जिसे 1994 में सीतामढ़ी जिले से काटकर बनाया गया था। इस इलाके में बागमती नदी बहती है। यहां की मुख्य गतिविधि कृषि है। श्योहर 443 वर्ग किलोमीटर में फैला है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 6,56,246 है। इनमें 3,46,673 पुरुष और 3,09,573 महिलाएं हैं।

बदकिस्मती से, श्योहर विकास में काफी पिछड़ा है। यह देश के सबसे पिछड़े 250 जिलों में आता है। इसी वजह से इसे पिछड़ा क्षेत्र विकास निधि (बीआरजीएफ) के तहत पैसा मिलता है।

2010 विधानसभा चुनाव परिणामः

  • विजयी उम्मीदवारः शर्फुद्दीन, जेडी(यू)
  • कुल वोट प्राप्तः 40,447
  • जीत का अंतरः 1,631 वोट्स (कुल वोटों का 1.36%)
  • निकटतम प्रतिद्वंद्वीः प्रतिमा देवी, बीएसपी
  • कुल पुरुष उम्मीदवारः 14; महिला उम्मीदवारः 1
  • कुल वोटरः 1,19,899; पुरुष वोटरः 60,255; महिला वोटरः 59,644
  • वोटिंग प्रतिशतः 51.97
  • मतदान केंद्रः 233

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