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बिहार चुनावः दादरी पर आखिर नरेंद्र मोदी ने अपनी चुप्पी तोड़ी

October 9, 2015


मोदी ने दादरी घटना पर चुप्पी तोड़ी

प्रधानमंत्री ने आखिरकार दादरी की दुखद घटना पर बिहार के नवादा में गुरुवार की अपनी चौथी रैली को संबोधित करते हुए चुप्पी तोड़ी।

नरेंद्र मोदी ने सभी समुदायों को जोशीले अंदाज में सांप्रदायिक सद्भाव का अनुरोध किया। उन्होंने हिंदुओं को मुस्लिमों के बजाय गरीबी से और मुस्लिमों को हिंदुओं के बजाय गरीबी से लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने दादरी का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन समाज के सभी धड़ों से सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की व्यापक अपील करते हुए विकास पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की अपील का हवाला दिया और लोगों से कहा कि उनकी सलाह माने।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि उन्होंने दादरी की घटना को लेकर खेद नहीं जताया, बल्कि अपने संदेश को आम और सभी के लिए रखा। यह भी आश्चर्यजनक है कि दिन की शुरुआती तीन रैलियों में उन्होंने इस बात का जिक्र तक नहीं किया, फिर नवादा की दिन की आखिरी रैली में उन्होंने इस मुद्दे पर बोलने का फैसला किया।

मुंगेर, बेगुसराय और समस्तीपुर की रैलियों में मोदी ने लालू प्रसाद और उनकी गोमांस पर की गई टिप्पणी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने पूछा लालू ने कैसे कह दिया कि यदुवंशी गोमांस खाते हैं। ऐसा कहने पर लालू ने पहले सफाई दी थी कि “शैतान” ने उनसे ऐसा कहलवाया। इस पर भी मोदी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लोगों से पूछा कि “शैतान” ने आखिर दुनियाभर के करोड़ों लोगों को छोड़कर लालू को ही क्यों चुना। लालू प्रसाद ने इसे लेकर प्रधानमंत्री को ही चुनौती दे डाली कि वह साबित करें कि उन्होंने “शैतान” शब्द बोला था वरना माफी मांगे।

मोदी ने लालू और नीतीश कुमार के शासन पर भी हमला बोला। यह कहते हुए कि इस दौरान बिहार ने काफी कम विकास किया है। अब वक्त आ गया है कि लोग “जंगल राज” और “विकास राज” में से एक को चुने।

उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है जब बिहार के लोगों को जंगल राज छोड़कर बिहार की समृद्धि के लिए एनडीए को वोट देकर सत्ता में लाना होगा। उन्होंने बिहार के लिए केंद्र सरकार की ओर से घोषित विशेष पैकेज का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि वे बरौनी उर्वरक फैक्टरी को फिर से चालू करवाने को लेकर प्रतिबद्ध है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। साथ ही नए रोजगार भी पैदा होंगे। उन्होंने वादा किया कि बिहार में कृषि क्रांति की शुरुआत करेंगे। यह भी कहा कि बिहार में प्रतिभा और क्षमता की कमी नहीं है, लेकिन पूर्व की सरकारों ने उसका फायदा नहीं उठाया। वक्त को बेकार कर दिया।

ताजा चुनावपूर्व सर्वेक्षणों में विरोधाभासी नतीजे

तीन अलगअलग चुनावपूर्व सर्वेक्षण सामने आए हैं। लेकिन तीनों के ही नतीजे विरोधाभासी और सितंबर के सर्वेक्षणों से पूरी तरह अलग है। अलगअलग सर्वेक्षणों से यह जाहिर होता है कि मतदाताओं की राय चुनावों की घोषणा के बाद से अब तक काफी कुछ बदली है।

इन तीन सर्वेक्षणों में कल नतीजे घोषित हुएः सीएनएनआईबीएन एक्सिस माय इंडिया प्रीपोल सर्वे; आईटीजीसिसरो प्रीपोल सर्वे और टाइम्स नाउसीवोटर प्रीपोल सर्वे।

सीएनएन एक्सिस और आईटीजीसिसरो का इशारा महागठबंधन के स्पष्ट बहुमत की ओर है। जबकि टाइम्स नाउसी वोटर के मुताबिक एनडीए को महागठबंधन के मुकाबले ज्यादा सीटें मिलेंगी। लेकिन कोई भी पार्टी या गठबंधन बहुमत के आंकड़े 122 सीट तक नहीं पहुंच पाएगा।

सीएनएनएक्सिस के सर्वेक्षण का कहना है कि महागठबंधन 129-145 के बीच सीटें जीतेगी। जबकि एनडीए को 87-103 सीटें मिलेंगी।

आईटीजीसिसरो के मुताबिक महागठबंधन को 122 जबकि एनडीए को 111 सीटें मिलेंगी।

टाइम्स नाउसी वोटर के मुताबिक महागठबंधन को 116 जबकि एनडीए को 119 सीटें मिलेंगी।

लेकिन सभी सर्वेक्षणों में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है। उनके बाद सुशील का नंबर है, लेकिन वे नीतीश से काफी पीछे हैं। बीजेपी ने संकेत दिए हैं कि अगला मुख्यमंत्री ओबीसी/ईबीसी से होगा। यदि बीजेपी जीती तो उसे सुशील मोदी के बजाय जीतन मांझी को मुख्यमंत्री चुनना पड़ सकता है। वे राम विलास पासवान के मुकाबले ज्यादा लोकप्रिय दलित नेता के तौर पर सामने आए हैं।

महिलाओं और युवाओं की राय भी जातिगत आधार पर ही आगे आती दिख रही है। खासकर शहरों में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता लोगों में ज्यादा है।

चुनावपूर्व सर्वेक्षण पहले भी बुरी तरह नाकाम रहे हैं। हमने 2014 के आम चुनावों और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में इन सर्वेक्षणों को मुंह की खाते देखा है। नरेंद्र मोदी अभी भी अपनी रैलियों में सबसे ज्यादा भीड़ खींच रहे हैं। लेकिन यह वोट में तब्दील होंगे या नहीं, यह बड़ा प्रश्न है।

ट्रेंड बताता है कि राज्य स्तर पर नीतीश कुमार और राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी लोकप्रिय बने हुए हैं। लेकिन चूंकि यह राज्य के चुनाव हैं, खासकर वोटर ग्रामीण हैं, वे जातिगत आधार पर पारंपरिक तौर पर वोटिंग कर सकते हैं। इस स्थिति में महागठबंधन को फायदा हो सकता है। चुनाव पांच चरणों में है, इस वजह से आखिरी मिनट तक वोटर को अपने पक्ष में लाने के लिए दोनों ही खेमों के पास भरपूर वक्त है।

नीतीश कुमार ने लड़कियों के लिए बीजेपी की ‘स्कूटी’ स्कीम को खारिज किया

गया जिले की शेरघाटी में रैली को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कक्षा नौवीं की मेरिट लिस्ट में आने वाली 5000 छात्राओं को स्कूटी देने के वादे को खारिज कर दिया। उन्होंने मोदी का यह कहकर मजाक उड़ाया कि वे चाहते हैं कि 13-14 साल की लड़की बिना लाइसेंस के स्कूटी चलाकर पुलिस थाने पहुंच जाए। उन्होंने बीजेपी पर साइकिलों की अपनी योजना की नकल उतारने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि लड़कों को 8.28 लाख और लड़कियों को 8.16 लाख साइकिलें बांटी गई हैं।

उन्होंने पूछा कि यह लड़कियां बिना लाइसेंस के स्कूटी कैसे चलाएंगी। और पेट्रोल का खर्च कैसे उठाएंगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी ने काला धन वापस लाने और हर नागरिक के खाते में 15-20 लाख रुपए देने के वादे को पूरा नहीं किया है। वे वादे पूरे नहीं करते, ऐसे में बिहार के नागरिकों से किए वादे कैसे पूरे करेंगे।

अमित शाह के खिलाफ एफआईआर रद्द करवाने चुनाव आयोग पहुंचे बीजेपी नेता

केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू के नेतृत्व में बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला। उनसे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस लेने का आग्रह किया। शाह ने लालू प्रसाद को एक रैली में ‘चारा चोर’ कहा था। इसे लेकर उनके खिलाफ अक्टूबर के पहले हफ्ते में एफआईआर दर्ज हुई है। प्रतिनिधिमंडल ने दलील दी कि शाह ने वही बोला जो अदालतों ने अपने फैसले में कहा है। चुनाव आयोग के स्थानीय अधिकारी राज्य सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं और इस पर चुनाव आयोग को जांच करवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद और असदुद्दीन ओवैसी जैसे कई नेताओं ने नफरत फैलाने वाले बयान दिए। लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

हालांकि, चुनाव आयोग भी निष्पक्ष ही रहा है। यह कहा जा सकता है कि चुनाव आयोग ने लालू प्रसाद और ओवैसी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है।