Home / / बिहार चुनावः नीतीश कुमार ने बीफ के आंकड़ों के सहारे नमो पर बोला हमला

बिहार चुनावः नीतीश कुमार ने बीफ के आंकड़ों के सहारे नमो पर बोला हमला

October 10, 2015


समस्तीपुर की रैली को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने बिहार में ‘बीफ पर राजनीति’ की कोशिश करने पर नरेंद्र मोदी पर जोरदार पलटवार किया। उन्होंने आंकड़ों के जरिए बताया कि नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में गुजरात और केंद्र, दोनों ही जगह मांस का निर्यात बढ़ा है।

उन्होंने लोगों को बताया कि नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री काल में गुजरात से 2003 में 10,600 टन मांस निर्यात किया था। उसके बाद से यह बढ़कर 2013 में 34,990 टन हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बीफ का निर्यात 15.4% बढ़ा है।

उन्होंने जीतन मांझी के मुद्दे को लेकर भी नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। जो यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि मांझी को एक दलित होने के नाते जो मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। उन्होंने लोगों से पूछा कि यदि मोदी दलितों के मुद्दे पर इतने ही संवेदनशील हैं तो वे मांझी का नाम अगले मुख्यमंत्री के तौर पर घोषित क्यों नहीं करते। नीतीश कुमार तो यह भी कह गए कि जीतन मांझी का नाम बिहार में लोग नहीं जानते थे। जब पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया तब लोगों ने उन्हें जाना। लेकिन उन्होंने पार्टी को धोखा दिया और बीजेपी की गोद में जाकर बैठ गए।

नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री के बयानों का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने बिहार में बिजली नहीं होने के कारण पूछे थे। इस पर नीतीश ने समस्तीपुर के लोगों से पूछा कि उन्हें बिजली मिल रही है या नहीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बाहरी हैं और उन्हें बिहार की जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार एक बिहारी के लिए वोट डालेगा और वे ही वह बिहारी हैं जो उनका प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।

उन्होंने लोगों को यह भी याद दिलाया कि नरेंद्र मोदी ने किस तरह काला धन वापस लाने और लोगों के खाते में 15-20 लाख रुपए जमा कराने का वादा किया था। लेकिन बाद में वे अपने वादे से पीछे हट गए।

प्रधानमंत्री ने सासाराम और औरंगाबाद में दिया ‘जंगल राज’ बनाम ‘विकास राज’ पर जोर

सासाराम और औरंगाबाद की रैलियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कल लालू पर जोरदार हमले किए। उन्होंने इस दौरान अपने ‘विकास राज’ बनाम लालूनीतीश के ‘जंगल राज’ का मुद्दा भी उठाया।

सासाराम में उन्होंने कहा कि लोग ही सुप्रीम कोर्ट है क्योंकि वह ही बिहार का भविष्य तय करेंगे। उन्होंने लालू प्रसाद पर सीधा हमला बोलते हुए बिहार के लोगों से कहा कि वे लालू से पूछे कि वे चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों ने उन लोगों को दंड देने का फैसला कर लिया है जिन्होंने पिछले 60 साल में राज्य की अनदेखी की है।

उन्होंने बताया कि कैसे लालू प्रसाद के ‘जंगल राज’ में अपहरण, लोगों के घरों पर जबरन कब्जा करने और बेगुनाह लोगों की हत्या एक तरह का उद्योग बन गया था। किस तरह महिलाएं और बच्चे शाम होने के बाद बाहर निकलने में डरते थे। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों के लिए यही वक्त है जब उन्हें ‘जंगल राज’ को ठुकराकर ‘विकास राज’ के लिए वोट देना चाहिए। ताकि बिहार नए युग में प्रवेश हो सके।

बिहार के पिछड़ेपन के बारे में बात करते हुए उन्होंने पूछा कि कई गांवों में अब भी बिजली क्यों नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि की अनदेखी क्यों हो रही है। बिहार में मछली का उत्पादन हो सकता है तो राज्य में 400 करोड़ की मछली अन्य राज्यों से क्यों मंगवानी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि 1.65 लाख करोड़ रुपए का विशेष पैकेज किस तरह बिहार में बदलाव लाएगा। बिहार में बिहारियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा। उन्होंने लोगों से कहा कि इसे संभव बनाने के लिए एनडीए को दोतिहाई बहुमत से जीत दिलाइए।

महागठबंधनऔर एनसीपीने जारी किए चुनाव घोषणा पत्र

महागठबंधन ने शुक्रवार को अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया। इसमें नीतीश कुमार की ओर से पूर्व में घोषित सात सूत्री विकास एजेंडा की झलक ही दिखती है। चुनाव घोषणा पत्र में शिक्षा पर खास जोर दिया गया है। छात्रों को एजुकेशन लोन में 4 लाख रुपए तक की ब्याज में सब्सिडी; 20 से 24 वर्ष के आयु समूह के युवाओं को नौ महीनों तक एक हजार रुपए महीने स्वसहायता भत्ता देने की घोषणा भी की गई, जो इस अवधि में जरूरत के मुताबिक दो साल लिया जा सकता है।

चुनाव घोषणा पत्र में दोहराया गया है कि सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में वाईफाई उपलब्ध कराया जाएगा। राज्य में पांच नए मेडिकल कॉलेज और नर्सिंग होम्स बनाए जाएंगे। हर जिले में एक इंजीनियरिंग, कॉलेज, एक पॉलीटेक्निकल कॉलेज और एक पैरामेडिकल संस्थान बनाया जाएगा। ताकि शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाए। साथ ही जिला स्तर पर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा सके। राज्य में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपए का विशेष फंढ बनाया जाएगा। चुनाव घोषणा पत्र में महिलाओं के विकास और कल्याण पर भी जोर दिया गया है। सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35% आरक्षण के साथ ही हर घर में नल से पानी और बिजली कनेक्शन देने का वादा भी किया गया है।

सभी कल्याण उपायों और योजनाओं पर मिलाकर 2.7 लाख करोड़ रुपए का खर्च राज्य सरकार को करना पड़ेगा।

एनसीडी नेता तारिक अनवर ने पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र ‘बिहार विजन 2020’ शुक्रवार को जारी किया। इसमें एनडीए और महागठबंधन जैसे ही युवाओं और महिलाओं पर जोर दिया गया है।

पार्टी ने बेरोजगार युवाओं को 5,000 रुपए मासिक भत्ता देने का वादा किया है। शिक्षा पर, पार्टी ने स्टूडेंट्स के लिए ब्याजमुक्त कर्ज देने का वादा किया है। साथ ही 2020 तक हर विकासखंड में एक इंजीनियरिंग, मेडिकल, पॉलीटेक्निक और बीएड कॉलेज बनाने का वादा भी किया है।

राज्य के विकास के लिए, पार्टी ने हर जिले में इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड बनाने का वादा किया है। साथ ही हर विकासखंड में एक सबस्टेशन बनाया जाएगा। कृषि को बढ़ावा देने के लिए राज्य में कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएंगे। किसानों को रियायती दरों पर कर्ज, उर्वरक और बीजों के साथ ही बेहतर सिंचाई सुविधाएं दी जाएंगी।

कहां हैं शरद यादव?

इन चुनावों से यदि कोई एक व्यक्ति पूरी तरह से गायब है, तो वह हैं शरद यादव। जेडी(यू) के अध्यक्ष। जिस नेता ने लंबे अरसे तक बिहार की राजनीति में किंग मेकर और एक असरदार नेता की भूमिका निभाई हो, उसका इन चुनावों के अभियान के परिदृश्य से गायब होना आश्चर्यजनक है। क्या उन्होंने जानबूझकर परदे के पीछे रहने की रणनीति बनाई है या उन्हें हाशिये पर धकेल दिया गया है। यह चुनाव मुख्य रूप से तीन प्रमुख नेताओं के ईर्दगिर्द ही घूम रहा है; नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद। सभी चुनावों में, शरद यादव राजनीतिक समीकरण बनाने और मीडिया में केंद्र में रहे हैं। लेकिन इस बार आश्चर्यजनक तौर पर उन्होंने नीतीशलालू को महागठबंधन का चेहरा बनाकर सामने छोड़ दिया है।

पिछली बार शरद यादव मीडिया में आए थे, तब वे मुलायम सिंह यादव को गठबंधन में बने रहने के लिए मनाने की कोशिशें करते दिखे थे। ऐसा करने में नाकाम रहने पर शरद यादव ने चुप रहना ही बेहतर समझा। इतने चुप कि उन्हें किसी ने भी पार्टी के सदस्यों या गठबंधन के सहयोगियों के लिए आक्रामक चुनाव अभियान चलाते नहीं देखा। यदि महागठबंधन जीता तो शरद यादव की भूमिका क्या होगी? क्या वे परदे के पीछे रहकर ही किंगमेकर की भूमिका निभाएंगे या सत्ता में भागीदारी पर अपना दावा ठोकेंगे? यह एक बड़ा प्रश्न है।