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बिहार चुनावः पटना में सबसे कम मतदान

October 29, 2015


53 Per Cent Voter Turnout in Third Phase of Bihar Polls

तीसरे दौर का मतदान कल हुआ। बिहार के 6 जिलों में बिहार की विधानसभा की 50 सीटों के प्रत्याशियों का चुनाव हुआ। तीसरे दौर के मतदान में 53.32% मतदान हुआ। हकीकत तो यह है कि इस चरण में सभी जिलों में 2010 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले ज्यादा मतदान हुआ है। पहले और दूसरे चरण के मतदान का संयुक्त मतदान हुआ था 55.67 प्रतिशत। इससे पहले 2010 में मतदान का प्रतिशत 50.08% था और 2014 के लोक सभा चुनावों में 50.27 प्रतिशत।

मतदान बढ़ने का स्तर पहले दो चरणों के बाद तीसरे दौर में भी जारी रहा। महिलाओं ने इस बार भी पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मतदान किया। 54% महिलाओं ने मतदान किया, जबकि 52.50% महिलाओं ने।

बक्सर जिले में सबसे ज्यादा 56.58% मतदान हुआ, जबकि पटना जिले में सबसे कम 51.82% मतदान हुआ। भले ही तीसरे चरण के सभी जिलों में पटना में सबसे कम मतदान हुआ हो, यह 2010 के विधानसभा चुनावों से फिर भी ज्यादा ही है। उस समय यहां 48.47 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। 2014 में वोटिंग 50.53 प्रतिशत रही थी।

बांका जिले के पीएस 131-बांका और जमुई जिले के पीएस 188-चकई में दोबारा मतदान हुआ। बांका में 71.34 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि चकई में 75.57 प्रतिशत।

इस चरण में विकास की कमी को आधार बनाकर 4 मतदान केंद्रों पर वोटरों ने मतदान का बहिष्कार किया। इनमें शामिल हैः

  • सारण जिले में अमनौर में पीएस 141
  • सारण जिले के परसा में पीएस 167
  • पटना जिले के बाढ़ में पीएस 249
  • बक्सर जिले के राजपुर में पीएस 22

मतदान पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा। कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हुई। अगले चरण (चौथे दौर) का मतदान रविवार, 1 नवंबर 2015 को होगा।

मतदान का प्रतिशतः 2010/2015/अंतर

  • सारणः 49.33% / 52.50 % / 3.17%
  • वैशाली: 53.81% / 54.82% / 1.01%
  • नालंदा: 48.51% / 54.11% / 5.6%
  • पटना: 48.47% / 51.82% / 3.35%
  • भोजपुर: 50.46% / 53.80% / 3.34%
  • बक्सर: 52.69% / 56.58% / 3.89%

कुल मतदान : 50.08% / 53.32% / 3.24%

जिलों में मतदान के प्रतिशत के मायनेः

बक्सर में सबसे ज्यादा 56.58% मतदान हुआ, जो 2010 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले 3.89% ज्यादा है। जिले के अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित राजपुर सीट पर सबसे ज्यादा 57.81% मतदान हुआ। जिले में सबसे कम 55.14% मतदान ब्रह्मपुर में हुआ।

बक्सर बीजेपी का मजबूत गढ़ रहा है और 2010 में यह सीट बीजेपी के प्रो. सुखदा पांडे ने जीती थी। आरजेडी के श्याम लाल सिंह कुशवाहा को 20,183 वोट से हराया था। हालांकि, इस बार बीजेपी ने प्रदीप दुबे को उतारा है, जिनका मुकाबला कांग्रेस के संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से है। मुन्ना तिवारी पूर्व केंद्रीय मंत्री केके तिवारी के बेटे हैं और अपना पहला ही चुनाव लड़ रहे हैं। आरजेडी ने यह सीट कांग्रेस के लिए खाली छोड़ी थी। दोनों ही उम्मीदवारों को भाकपा के भगवती प्रसाद श्रीवास्तव और माकपा के धीरेंद्र कुमार चौधरी से हल्काफुल्का प्रतिरोध मिल सकता है।

वैशाली में बक्सर के बाद दूसरा सबसे ज्यादा 54.82% मतदान दर्ज हुआ। यह 2010 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले में 1.01% ज्यादा है। जिले में सबसे ज्यदा मतदान लालगंज और राधौपुर में 57-57% दर्ज हुआ। वहीं सबसे कम 51% मतदान हाजीपुर में हुआ। यह इलाका राम विलास पासवान का गढ़ रहा है।

2010 के विधानसभा चुनावों में वैशाली की सीट पर जेडी(यू) के पटेल ने आरजेडी की वीना शाही को 12,828 वोटों से हराया था। इस साल मौजूदा सांसद पटेल हमएस से लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला मुख्य रूप से जेडी(यू) के राज किशोर सिंह और सूकी(सी) के सिघवेश्वर भगत से है।

नालंदा में तीसरा सबसे ज्यादा 54.11% मतदान दर्ज हुआ। यह 2010 के मुकाबले 5.60% ज्यादा है। यह तीसरे दौर में मतदान में शामिल 6 जिलों में सबसे ज्यादा सुधार है। जिले में हरनौत में सबसे ज्यादा 54.80% मतदान हुआ। जबकि सबसे कम 53.90% मतदान राजगीर (अनुसूचित जाति सुरक्षित) और हिलसा में हुआ।

2010 के विधानसभा चुनावों में जेडी(यू) के श्रवण कुमार ने आरजेडी के अरुण कुमार को 21,037 वोट से हराया था। महागठबंधन ने जेडी(यू) के श्रवण कुमार पर दांव लगाया है। उनका मुकाबला बीजेपी के कौशलेंद्र कुमार उर्फ छोटे मुखिया से होगा। एक समय वे उनके करीबी माने जाते थे। रोचक बात यह है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के देव कुमार भी इस बार मुकाबले में हैं।

भोजपुर में 54.80% मतदान हुआ। 2010 के चुनावों के मुकाबले सुधार 3.34% रहा। जिले के भीतर बड़हारा में सबसे ज्यादा 56% मतदान हुआ, जबकि अगिआंव (एससी) में सबसे कम 51% मतदान हुआ।

भोजपुर जिले में आरा एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है। 2010 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के अमरेंद्र प्रताप सिंह ने एलजेपी के श्री कुमार सिंह को 18,940 वोट से हराय था। वे इस बार भी आरा से बीजेपी उम्मीदवार हैं। इस बार उनका मुकाबला आरजेडी के मोहम्मद नवाज आलम से है। लेकिन एसपी के सिद्धनाथ राय उनका गणित खराब कर सकते हैं। वे आलम के वोट काटकर बीजेपी के प्रत्याशी को फायदा पहुंचा सकते हैं।

सारण में 52.50% मतदान हुआ। यह 2010 के विधानसभा चुनावों से 3.17% ज्यादा है। जिले में मरहौरा में सबसे ज्यादा 58% मतदान हुआ। जबकि तरैया में सबसे कम 49% मतदान हुआ।

सारण जिले में छपरा एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है। 2014 के विधानसभा उपचुनावों में आरजेडी उम्मीदवार रणधीर कुमार सिंह ने यह सीट जीती थी। इस बार उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के डॉ. सीएन गुप्ता हैं। डॉ. गुप्ता छपरा में एक लोकप्रिय अस्पताल चलाते हैं। दोनों ही उम्मीदवारों को बागियों का सामना करना पड़ रहा है। जो हर उम्मीदवार के वोटों को काट सकते हैं।

आरजेडी के रणधीर कुमार सिंह के लिए बागी उदित राय सिरदर्द बने हुए हैं। लालू प्रसाद के करीबी समझे जाने वाले उदित राय का छपरा में अच्छाखासा जनाधार है।

दूसरी ओर, कन्हैया सिंह बीजेपी के पूर्व उम्मीदवार हैं। 2014 के उपचुनावों में कन्हैया सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और हारे थे। उस समय निर्दलीय लड़कर दूसरे नंबर पर रहे डॉ. गुप्ता को पार्टी ने इस बार टिकट दिया है। इससे कन्हैया सिंह निर्दलीय के तौर पर चुनाव मैदान में है।

पटना जिले में सबसे कम 51.82% मतदान हुआ। फिर भी यह 2010 के चुनावों के मुकाबले 3.35% ज्यादा है। यह निराशाजनक है कि राज्य की राजधानी होने, राजनीतिक जागरूकता और सक्रियता सबसे ज्यादा रहने के बाद भी कम लोग वोटिंग के लिए आए। इससे फिर साबित हुआ कि शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाके बदलाव के लिए ज्यादा प्रतिबद्ध है। जिले में सबसे ज्यादा 58% मतदान मसौढ़ी (अजा) में हुआ, जबकि दीघा में सबसे कम 46.20% मतदान हुआ।

पटना साहिब लंबे अरसे से बीजेपी का मजबूत गढ़ रहा है। 2010 में पांच बार के बीजेपी विधायक नंद किशोर यादव ने कांग्रेस उम्मीदवार परवेज अहमद को 65,337 वोट्स से हराया था। बीजेपी ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार नंद किशोर यादव को बनाया है और उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी इस बार आरजेडी के संतोष मेहता होंगे। यह बीजेपी के पूर्व कार्यकर्ता हैं और नंद किशोर यादव के करीबी समझे जाते हैं।

भले ही यह मुकाबला बीजेपी के पक्ष में एकतरफा नजर आ रहा हो, संतोष मेहता कुछ प्रतिस्पर्धा तो कड़ी कर ही रहे हैं। यह ध्यान देना होगा कि पटना साहिब से मौजूदा सांसद शत्रुघन सिन्हा पार्टी के कामकाज और अपनी अनदेखी को लेकर सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी करते रहे हैं। पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र में उनके समर्थकों की संख्या भी काफी ज्यादा है। ऐसे में पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र में कम मतदान का लाभ आरजेडी के संतोष मेहता को मिलने के आसार भी दिख रहे हैं।