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बिहार चुनावः दूसरे चरण में रिकॉर्ड मतदान

October 17, 2015


दूसरे चरण में भी वोटिंग के प्रतिशत में आया सुधार

बिहार में कल दूसरे दौर का मतदान हुआ। इस बार भी रिकॉर्ड वोटिंग हुई। 12 अक्टूबर को पहले दौर के मतदान का ही ट्रेंड आगे बढ़ा है। दूसरे दौर के मतदान में 55% मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। यह 2010 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले 2.97% ज्यादा है।

एक बार फिर महिलाओं ने बड़ी संख्या में मतदान केंद्र पहुंचकर पुरुष वोटरों को पछाड़ दिया। इस दावे की पुष्टि भी कर दी कि उन्हें अपने आसपास की दुनिया की ज्यादा चिंता है। वे बेहतरी के लिए बदलाव की इस प्रक्रिया में बढ़चढ़कर हिस्सा लेना चाहती हैं। 57.50% महिलाओं ने वोटिंग की, जबकि पुरुषों का वोटिंग प्रतिशत 52.50% ही रहा।

जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत में सबसे ज्यादा 7.14% का सुधार आया है, जबकि कैमूर में 2010 के मुकाबले 0.78% कम वोटिंग हुई है।

वोटिंग 6 जिलों की 32 विधानसभा सीटों के लिए हुई थी। अगले चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर (बुधवार) 2015 को होगी।

 

वोटिंग प्रतिशत / 2010 / 2015 /  अंतर

कैमूरः 58.64%/57.86%/-.78%/

रोहताशः 52.46%/ 54.66% / +2.20%

अरवालः 47.60%/ 53.21%/ +5.61%

जहानाबादः 49.80%/ 56.94%/ +7.14%

औरंगाबाद: 50.59% / 52.50% / + 1.91%

गया : 51.45% / 55.54% / + 4.09%

कुलः 52.03% / 55% / + 2.97%

 

जिलों में मतदान के मायनेः

जहानाबाद में सबसे ज्यादा 56.94% वोटिंग हुई। यह 2010 के विधानसभा चुनावों से 7.14% ज्यादा है। 2010 में यह सीट जेडी(यू) के अभिराम शर्मा ने जीती थी। उन्होंने आरजेडी के सचितानंद यादव को 8,567 वोटों के अंतर से हराया था। चूंकि इस बार जेडी(यू) और आरजेडी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, जेडी(यू) ने यह सीट आरजेडी को दी है। जिसने मुंद्रिका सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है। उन्हें मुख्य चुनौती आरएलएसपी के उम्मीदवार प्रवीण कुमार से चुनौती मिलेगी। हालांकि, पिछले हफ्ते एक वीडियो सामने आया। इसमें मुंद्रिका सिंह यादव किसी से ‘नगदी’ लेते दिख रहे हैं। यह वादा भी कर रहे हैं कि चुनाव जीतने के बाद पैसा लौटा देंगे। इससे उन्हें नुकसान हो सकता है। यह देखना अभी शेष है कि लोगों ने उनकी इस हरकत की ‘अनदेखी’ की और जातिवाद के आधार पर वोट किया। उन्होंने यह सीट 1995 के विधानसभा चुनावों में जीती थी।

अरवाल में जहानाबाद के बाद 53.21% वोटिंग हुई। जो 2010 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले 5.61% ज्यादा है। 2010 के विधानसभा चुनावों में यह सीट बीजेपी के चित्तरंजन कुमार ने सीपीआई (माले)(एल) के महानंद प्रसाद को 4,202 वोटों से हराकर जीती थी। 2005 से अरवाल बीजेपी का गढ़ रहा है। लेकिन यहां सीपीआई (माले)(एल) को भी अच्छा खासा समर्थन है। खासकर जमीनी पकड़ पार्टी की अच्छी है। इस बार महानंद प्रसाद एक बार फिर बीजेपी के चित्तरंजन कुमार चुनौती दे रहे हैं। लेकिन मुकाबला तीन तरफा हो गया है। जेडी(यू) के रवींद्र सिंह का भी अच्छा जनाधार है। पिछले कुछ दशकों में अरवाल की राज्य मुख्यालय से लगातार उपेक्षा ही होती रही थी। लेकिन नीतीश कुमार ने इस इलाके पर अच्छा ध्यान दिया। इसी का नतीजा है कि उनके उम्मीदवार रवींद्र सिंह को भी अच्छा समर्थन मिलने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

गया में 2010 के मुकाबले वोट प्रतिशत 4.09% बढ़ा है। वोट प्रतिशत सुधारने में तीसरे स्थान पर रहा। इन चुनावों में गया के जिला मजिस्ट्रेट ने पहली बार आदर्श मतदान केंद्र बनाने की पहल की। महिलाओँ की तैनाती वाले झूलाघर बनवाए। वहां बच्चों को खेलने की जगह मुहैया कराई। बैठने की व्यवस्था से लेकर पेयजल सुविधाओं तकमतदाताओं का खास ख्याल रखा गया। उन्हें हर तरह की सुविधा दी गई।

1990 से गया बीजेपी का गढ़ रहा है। उसके उम्मीदवार प्रेम कुमार 1990 के बाद हुए सभी चुनाव जीते हैं। वह गया से मौजूदा सांसद हैं, जिन्होंने सीपीआई के जलाल उद्दीन अंसारी को 28,419 वोट से हराया था। उनकी अब तक की सभी जीतें बेहद आसान रही। इससे वे इस बार भी पसंदीदा उम्मीदवार बने हुए हैं। सीपीआई 2005 तक यहां अच्छीखासी लोकप्रिय थी। हालांकि, उसके बाद से कांग्रेस ने भी ताकत बटोरी है। बीजेपी के प्रेम कुमार को इस बार कांग्रेस के प्रिय रंजन और सीपीआई के मसूद मंजर से चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

रोहताश में भी 2010 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले वोट प्रतिशत में 2.20% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। जिले का मुख्यालय सासाराम, 1990 से ही बीजेपी का मजबूत गढ़ बना हुआ है। उस वर्ष बीजेपी के जवाहर प्रसाद ने 5,411 वोट्स से डॉ. अशोक कुमार को मात दी थी। लेकिन 2010 में नीतीश कुमार का समर्थन होने के बाद भी जीत का अंतर कम हो गया था। इस साल के चुनावों में जेडी(यू) अपनी पूरी ताकत आरजेडी के डॉ. अशोक कुमार के पक्ष में लगाएगी। इससे जवाहर प्रसाद को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। वैसे, कई मुद्दों पर उन्हें स्थानीय तौर पर एंटीइनकम्बेंसी का सामना करना पड़ सकता है।

औरंगाबाद में तुलनात्मक रूप से 2010 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत में बहुत ज्यादा सुधार नहीं आया। वोटिंग में सिर्फ 1.91% का सुधार आया है। 1995 से ही औरंगाबाद भी बीजेपी का गढ़ रहा है। 2000 के विधानसभा चुनावों में छोड़कर बीजेपी के रामाधार सिंह का इस सीट पर कब्जा रहा है। 2010 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने आरजेडी के सुशील कुमार सिंह को 6,242 वोट्स से हराया था। बीजेपी के अलावा, यह इलाका आरजेडी का भी पारंपरिक गढ़ रहा है। वह बीजेपी को हर बार तगड़ी टक्कर देती रही है। इस वजह से महागठबंधन ने आश्चर्य में डालते हुए आरजेडी उम्मीदवार को खड़ा करने के बजाय कांग्रेस के 32 वर्षीय युवा आनंद शंकर सिंह को मौका दिया है। आनंद शंकर सिंह एक एमबीए हैं और एक स्कूल चलाते हैं। वे कांग्रेस के युवा राजनीति से जुड़े हैं और पहला चुनाव लड़ रहे हैं। रामाधार सिंह की राजनीतिक स्थिति देखते हुए महागठबंधन ने बड़ा जुआं खेला है।

कैमूर इकलौता जिला है, जहां 2010 के मुकाबले कम वोटिंग हुई है। वोटिंग प्रतिशत में 0.78% की गिरावट दर्ज की गई है। चुनाव आयोग के साथसाथ बड़े राजनीतिक दलों को भी देखना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ। जब सभी विधानसभा क्षेत्र रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं तो कैमूर में वोटिंग प्रतिशत कम कैसे हो गया।

2010 के विधानसभा चुनावों में एलजेपी के डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने बीजेपी के आनंद भूषण पांडे को 447 वोट्स से हराया था। भबुआ किसी भी पार्टी का पारंपरिक गढ़ नहीं रहा है। लेकिन यह भी एक हकीकत है कि 2005 के बाद से बीजेपी के आनंद भूषण पांडे ने भबुआ विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए काफी जतन किए हैं। इस बार उनका मुकाबला जेडी(यू) के प्रमोद कुमार सिंह है। जिन्होंने हाल ही में एलजेपी से नाता तोड़कर जेडी(यू) की सदस्यता ली है। वे भबुआ से तीन बार के विधायक हैं। लिहाजा इस बार का मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है।

अन्य चुनावी खबरें कल से 

कड़ी सुरक्षा व्यवस्थाओं ने इन चुनावों को अब तक शांतिपूर्ण बनाए रखा है। कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हुई है। हालांकि, सतर्क सुरक्षा बलों ने मेगराचक्रबंधा रोड पर फुलवारिया गांव में 12 किलो आईईडी का पता लगाकर उसे निष्क्रिय किया। इसके साथ ही मेगराबागपुर रोड पर हरनी गांव में भी 10 किलो एलईडी निष्क्रिय की गई।

अन्य एजेंसियों के फ्लाइंग स्क्वाड ने अब तक 2.50 करोड़ रुपए नगद बरामद किए हैं। एक अन्य छापे में 1.22 करोड़ रुपए मूल्य की 64,505 लीटर शराब भी जब्त की गई है।