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बिहार चुनावः सोनिया गांधी ने लॉन्च किया बिहार में चुनाव अभियान

October 4, 2015


सोनिया गांधी ने भागलपुर जिले के कहलगांव में रैली से बिहार में अपना चुनावी अभियान शुरू किया।

रैली को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि पीएम भारत में महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने के बजाय ज्यादातर वक्त विदेश में ही बिताते हैं। उन्होंने लोगों को आ रही आर्थिक दिक्कतों का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि खानेपीने की वस्तुओं की महंगाई बढ़ रही है। लेकिन सरकार ने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया। फिर, बेरोजगारी की समस्या भी मोदी सरकार में बढ़ी है। आज पहले से ज्यादा युवा बेरोजगार हैं।

उन्होंने बताया कि किस तरह नरेंद्र मोदी यूपीए सरकार की ओर से शुरू की गई योजनाओं की पैकेजिंग और रीपैकेजिंग में एक्सपर्ट बन गए हैं। उन्होंने लोगों से कहा कि मोदी के वादों से गुमराह होने की जरूरत नहीं है। सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार की विकास के प्रयासों को याद दिलाया। यह भी याद कराया कि यूपीए, और अब महागठबंधन की पृष्ठभूमि धर्मनिरपेक्ष है। उन्होंने बिहार के लोगों को चेताया कि आरएसएस की सलाह पर बीजेपी आरक्षण वापस ले सकती है। लोगों को यह भरोसा भी दिलाया कि उनकी पार्टी बीजेपी को आरक्षण के मुद्दे पर पीछे नहीं हटने देगी। उन्होंने लोगों से नीतीश कुमार पर दोबारा भरोसा करने का आग्रह किया, जिन्होंने बिहार में बदलाव की शुरुआत की है। यह कहते हुए कि भारत के भविष्य में बिहार का प्रमुख योगदान रहने वाला है।

वजीरगंज में उनकी दूसरी रैली में भी एकसी बातें थी। यहां भी उन्होंने नरेंद्र मोदी पर हमले बोले। आरोप लगाया कि वह विदेश में उनके परिवार पर निजी हमले कर निचले स्तर की राजनीति कर रहे हैं। मोदी सरकार की योजनाओं पर हमला बोलते हुए उन्होंने पूछा कि जन धन योजना के खातों में कितने लोगों को 5,000 रुपए मिले? उन्होंने पूछा कि मोदी ने क्या वाकई में गरीबों के लिए कुछ किया है?

कहलगांव और वजीरगंज में दिए उनके भाषणों से आगे के चुनाव अभियान की टोन सेट हो गई है। उन्होंने और महागठबंधन ने तय किया है कि मोदी पर सीधेसीधे हमला बोला जाए और आने वाले दिनों में सभी भाषण उनके ईर्दगिर्द ही रहने वाले हैं। कल की दोनों ही रैलियों में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव मौजूद नहीं थे और वे बिहार के अन्य हिस्सों में चुनाव प्रचार में व्यस्त थे।

जेपी किसके थे?

बड़ा संघर्ष इस बात को लेकर चल रहा है कि जयप्रकाश नारायण की विरासत का सच्चा वाहक कौन है। जयप्रकाश नारायण वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 1974 में राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन का नेतृत्व किया था। जिनकी वजह से इंदिरा गांधी और उनकी सरकार को हटना पड़ा था।

लोक नायक के तौर पर पहचान रखने वाले जेपी बिहार से थे। रिटायरमेंट से लौटकर उन्होंने ही ‘इंदिरा हटाओ, देश बचाओ’ का अभियान चलाया था। इंदिरा गांधी को हटाने के लिए शुरू हुआ यह अभियान राष्ट्रीय आंदोलन बन गया था।

11 अक्टूबर को जेपी की जयंती है और बीजेपी राष्ट्रीय स्तर पर इस दिन को ‘लोकतंत्र बचाओ दिवस’ के तौर पर मनाने की योजना बना रही है। राज्यों की राजधानियों के साथ ही बड़े जिलों में इस दिन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

यह आयोजन दो वजहों से महत्वपूर्ण हो गए हैं: पहला, बिहार में पहले चरण की वोटिंग से एक दिन पहले ही यह दिन मनाया जाएगा। दूसरा, बीजेपी इसके जरिए जेपी की विरासत पर अपना दावा मजबूत करेगी।

जेपी आंदोलन के दौरान कई नेता उभरे। जीवतराम कृपलानी, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, एलके आडवाणी, राज नारायण सहित कई अन्य नेता सामने आए थे। मौजूदा जेडी(यू) और आरजेडी के कई वरिष्ठ नेता उस समय आंदोलन के सक्रिय सदस्य थे।

जेपी की जयंती को ‘लोकतंत्र बचाओ दिवस’ के तौर पर मनाने की पहल करते हुए बीजेपी उनकी विरासत पर दावा मजबूत कर रही है। बीजेपी का दावा है कि वह जेपी की विचारधारा के प्रति ईमानदार है और निरंतर कांग्रेस का विरोध कर रही है। जबकि जेडी(यू)-आरजेडी के महागठबंधन ने कांग्रेस से जेपी की विरासत के साथ विश्वासघात किया है। लोकतंत्र बचाओ दिवस को व्यापक तौर पर मनाया जाना, खासकर बिहार में, चुनाव प्रचार में काफी महत्वपूर्ण है। वोटिंग के एक दिन पहले चुनाव प्रचार तो नहीं होगा, लेकिन इन आयोजनों के जरिए बीजेपी प्रचार और मीडिया का ध्यान आकर्षित कर लेगी। फिर इंतजार करते हैं और देखते हैं कि लोक नायक के लिए लड़ाई कैसे लड़ी जाती है।

कोई नहीं चाहता स्वच्छ राजनीति

स्वच्छ राजनीति पर एक खबर आई है, जो आश्चर्यजनक तो नहीं लेकिन दुखद जरूर है। गैरलाभकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिकबिहार में पहले चरण के मतदान में 583 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 174 (30%) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।

इन 174 में से 130 (22%) पर गंभीर आपराधिक केस दर्ज हैं, 16 उम्मीदवारों पर हत्या, जबकि 37 पर हत्या की कोशिश के आरोप लंबित हैं। 11 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध करने का आरोप है। 5 उम्मीदवारों पर लूट और डकैती, 2 पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने और 9 पर अपहरण के आरोप हैं। यदि हमने इन्हें वोट देकर जिताया तो कल यह हमारे ‘आदरणीय मंत्री’ बनने वाले हैं।

लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस पार्टी ने स्वच्छ सरकार के बड़ेबड़े वादे किए हैं, उसी बीजेपी ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सबसे ज्यादा उम्मीदवार उतारे हैं। पहले चरण के मतदान के लिए घोषित 27 में से 14 (52%) उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड है। यह चुनाव लड़ रही सभी पार्टियों में सबसे ज्यादा है। सीपीआई (भाकपा) भी इसमें उसकी बराबरी की हिस्सेदार है।

सीपीआई के 25 में से 14 (56%) उम्मीदवार, बीएसपी के 41 में से 8 (20%) उम्मीदवार, जेडी(यू) के 24 में से 11 (46%) उम्मीदवार, सपा के 18 में से 9 (50%), आरजेडी के 17 में से 8 (47%) उम्मीदवार, कांग्रेस के 8 में से 6 (75%), एलजेपी के 13 में से 8 (62%) उम्मीदवार, सीपीआई (एम) के 12 में से 8 (67%) उम्मीदवार, और 192 में से 45 (23%) स्वतंत्र उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि आपराधिक रही है।

क्या बिहार, और देश को यह मिलना चाहिए? क्या इसके बाद कोई पार्टी स्वच्छ सरकार का दावा कर सकती है?

चर्चा में नेताः जय प्रकाश नारायण यादव, आरजेडी (जन्म 2 अगस्त 1954)

जेपीएन यादव बांका से 16वीं लोक सभा में मौजूदा सांसद हैं। वे 14वीं लोक सभा में मुंगेर से सांसद रहे हैं। उनका जन्म जमुई जिले के बरहाट गांव में अखिलेश्वर प्रसाद यादव और शांति देवी के घर हुआ था। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से एम.. और फिर कानून में डिग्री हासिल की। उनके सामाजिक और सांस्कृतिक रुचियां स्थानीय भाषाओं और संस्कृति के संरक्षण की रही है।

वे पहली बार 1980 में बिहार विधानसभा का सदस्य बने। तब से वे चार बार विधायक रहे हैं। उन्होंने बिहार में जल संसाधन मंत्री (1990-95), प्राथमिक, माध्यमिक और वयस्क शिक्षा मंत्री (1995-2000), सूक्ष्म सिंचाई मंत्री (2000) का दायित्व निभाया है। 2004 में वे केंद्र में जल संसाधन राज्यमंत्री भी रहे हैं।

चर्चा में विधानसभा क्षेत्रः खजौली

खजौली विधान सभा क्षेत्र मधुबनी जिले का हिस्सा है और झांझरपुर लोक सभा क्षेत्र में आता है। खजौली पहले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था लेकिन अब यह अनारक्षित श्रेणी में आता है। इसमें दो विकासखंड हैबासोपट्टी और जयनगर। खजौली में आने वाले गांवों में दतवार, महुआ इकदारा, नाराह पूर्व, सराबे, रसीदपुर और बेटाककारघाटी सामिल है। झांझरपुर से 28 किलोमीटर दूर स्थित खजौली मुख्य रूप से कृषि से जुड़ा शहर है।

2010 विधानसभा चुनाव परिणामः

  • 2010 विधानसभा चुनावों में विजयीः अरुण शंकर प्रसाद, बीजेपी

  • जीत का अंतरः 10,713; कुल वैध मतों का 8.63%

  • निकटतम प्रतिद्वंद्वीः सीताराम यादव, आरजेडी

  • पुरुष वोटर्सः 62,077; महिला वोटर्सः 62,066; कुल वोटर्सः 1,24,145

  • मतदान प्रतिशतः 53.09%

  • पुरुष उम्मीदवारः 16; महिला उम्मीदवारः 0

  • मतदान केंद्रः 231

 

फोटो कैप्शनः सोनिया गांधी ने बिहार में चुनाव अभियान शुरू किया