Home / / बिहार महाभारतः आरक्षण पर मोहन भागवत की टिप्पणी से बीजेपी की परेशानी बढ़ी

बिहार महाभारतः आरक्षण पर मोहन भागवत की टिप्पणी से बीजेपी की परेशानी बढ़ी

September 23, 2015


Rate this post

मोहन भागवत की टिप्पणी से बीजेपी की परेशानी बढ़ी

संघ परिवार के मुखिया मोहन भागवत ने बीजेपी को परेशानी में डाल दिया है। उनका तो पूरा चुनाव अभियान ही चौपट हो सकता है। उन्होंने बयान देकर आरक्षण की जरूरत किसे और कितने वक्त के लिए है, इसकी समीक्षा के लिए गैरराजनीतिक समिति बनाने की मांग की है। इससे एनडीए के बड़े गठबंधन सहयोगियों में भी हलचल पैदा हो गई है। उनमें से ज्यादातर दलित, महादलित और ओबीसी तबकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

मुद्दे को और उलझाने के लिए विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने भी मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है। उसने यह कहा है कि डॉ. आंबेडकर भी चाहते थे कि दस साल बाद आरक्षण की आवश्यकताओं की समीक्षा होनी चाहिए। यह बयान ऐसे वक्त आए हैं, जब बीजेपी और आरएसएस पहली बार दलित, महादलित और ओबीसी तबकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि बिहार में उनके मौजूदा गठबंधन सहयोगी मुख्य रूप से उन्हीं तबकों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी बेहतरी के लिए ही आरक्षण लागू किया गया था।

बीजेपी पारंपरिक रूप से ऊपरी जातियों के समर्थन वाली पार्टी रही है। वह ही उसकी रीढ़ रही है। हालांकि, बिहार में वह 14 प्रतिशत से भी कम है। इस वजह से बिहार जैसे जाति के प्रति संवेदनशील राज्य में चुनावों से पहले इस तरह का बयान एनडीए के चुनावी प्रयासों पर नकारात्मक असर पैदा कर सकता है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि महागठबंधन और तीसरे मोर्चे के रूप में सामने आया विपक्ष इसका लाभ उठाएगा और बीजेपी की दोहरी नीति को सामने लाने की कोशिश करेगा। इसका जवाब देने के लिए बीजेपी और आरएसएस डैमेज कंट्रोल में लग गए हैं। आने वाले दिनों में यह सामने आएगा कि किस हद तक नुकसान हुआ है।

अखिलेश यादव ने किया बिहार में यूपी मॉडल लागू करने का वादा

अपने पार्टी और सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं को पटना में संबोधित करते हुए कल यूपी के मुख्यमंत्री और सपा के नेता अखिलेश यादव ने वादा किया कि वे बिहार में यूपी मॉडल लागू करेंगे। इस दौरान उन्होंने यूपी सरकार की कुछ लोकप्रिय योजनाओं का जिक्र भी किया। जिनमें 1.5 लाख छात्रों को लैपटॉप बांटने, महिलाओं के लिए पेंशन योजना और कमजोर तबकों को घर बनाने के लिए आर्थिक कर्ज देने जैसी योजनाओं को बिहार में भी लागू करने की बात थी।

उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा कि अपनेअपने इलाकों में जाकर एसपी द्वारा उत्तरप्रदेश में किए अच्छे कार्यों का प्रचारप्रसार करें। उन्हें आश्वस्त करें कि यदि तीसरा मोर्चा सत्ता में आया तो बिहार में भी ऐसा ही किया जाएगा।

वादों पर खरा न उतरने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री ब्रांड बनाने में ही लगे हैं और लोगों को सपने बेचकर मार्केटिंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने नेपाल की यात्रा के दौरान वहां के लोगों को झूठी उम्मीदें दिलाई। उनके वह सपने भी नेपाल के नए संविधान के स्वीकार होते ही टूट गए। उनकी मांगें मानी ही नहीं गई। खासकर सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की मांगे। उन्होंने सीमा की सुरक्षा और नक्सली हमले रोकने में केंद्र सरकार की नाकामी को लेकर भी प्रधानमंत्री पर निशाना साधा।

क्या एनसीपी के तारिक अनवर को मुख्यमंत्री प्रत्याशी बनाने से तीसरे मोर्चे को लाभ होगा?

पटना के एसके मेमोरियल हॉल में हुई बैठक में तीसरे मोर्चे ने तय किया कि यदि वे सत्ता में आए तो एऩसीपी के तारिक अनवर मुख्यमंत्री प्रत्याशी होंगे। यह घोषणा उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और तीसरे मोर्चे के अन्य नेताओं की मौजूदगी में हुई। यह मायने रखती है क्योंकि मुस्लिम प्रत्याशी होने का लाभ मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में तीसरे मोर्चे के पक्ष में जाएगा। सीमांचल क्षेत्र ही नहीं बल्कि बिहार के अन्य हिस्सों में भी। सीमांचल के कटिहार इलाके से आने वाले तारिक अनवर पहचान के मोहताज नहीं है। उन्हें सब जानते हैं। यूपीए-1 सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं।

हालांकि, यह उनके लिए आसान नहीं रहेगा क्योंकि वे मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए इकलौते मुस्लिम प्रत्याशी नहीं होंगे। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल क्षेत्र की 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर युद्ध में आमद दे दी है। इसके अलावा सीमांचल से आने वाले आरजेडी के मोहम्मद तस्लीमुद्दीन भी तगड़े दावेदार हैं। तारिक अनवर के समर्थक तस्लीमुद्दीन के मुकाबले कम ही हैं। लेकिन तीसरा मोर्चा 243 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, लिहाजा उसके लिए मौके बढ़ जाते हैं। और यदि सीमांचल क्षेत्र के बाहर के मुस्लिम वोटरों तक पहुंचने में कामयाब रहते हैं तो तीसरे मोर्चे के लिए यह एक्स फेक्टर साबित हो सकता है।

बिहार में जन्मसिद्ध अधिकार है राजनीति में वंशवाद

नेता अपने वंश से जुड़े लोगों के लिए न केवल टिकट मांग रहे हैं, बल्कि पार्टियां भी छोड़ रहे हैं। इस कड़ी में छह बार के बीजेपी विधायक चंद्र मोहन राय भी शामिल हो गए हैं। वे अपने बेटे जन्मेजय को टिकट न दिए जाने से नाराज थे। सीपी ठाकुर और अश्विनी चौबे के बेटों को टिकट दिए गए हैं, और उनके बेटे को नहीं, इस बात से नाराज होकर चंद्र मोहन राय ने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। लेकिन वह बीजेपी की सदस्यता नहीं छोड़न चाहते।

बिहार विधान परिषद के अध्यक्ष और बीजेपी नेता अवधेश नारायण सिंह भी इस बात से नाराज हैं कि उनके बेटे रमन को डुमराव से टिकट नहीं दिया गया है। टिकट न दिए जाने से कई नेता पार्टी के खिलाफ हो गए हैं।

चर्चा में नेताः गिरिराज सिंह, बीजेपी (जन्म 8 सितंबर 1952)

गिरिराज सिंह, भूमिहार ब्राह्मण हैं। उनका जन्म बिहार के बरहिया जिले में हुआ था। उन्होंने 1971 में मगध विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। सक्रिय राजनीति के अलावा गिरिराज सिंह मोरिंगा पौधे के प्रचारप्रसार में लगे हैं। इसमें बड़ी मात्रा में पोषक तत्व है। मनुष्यों और मवेशियों के लिए यह काफी फायदेमंद हो सकता है। वे मवेशियों से जुड़े कामों में खासे सक्रिय रहे हैं।

वह बिहार के नवादा से मौजूदा सांसद हैं। वे सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के औद्योगिक उपक्रमों के मंत्रालय में राज्यमंत्री भी हैं। 2005 से 2010 के बीच वे नीतीश कुमार सरकार में सहकारिता मंत्री और फिर 2010-2013 तक पशु पालन मंत्री रहे हैं। बीजेपी से जेडी(यू) के अलग होने पर उन्हें मंत्री पद से निकाल दिया गया था।

चर्चा में विधानसभा क्षेत्रः बौद्धगया

बौद्ध गया वह जगह है जहां भगवान बुद्ध को बोधी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल महाबोधि मंदिर, दुनियाभर के बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

बौद्धगया एक नगर पंचायत है। यह 19 वार्ड्स में बंटा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 38,439 है। इनमें 19,908 पुरुष और 18,531 महिलाएं हैं। साक्षरता दर 70.04 प्रतिशत है।

2010 विधानसभा चुनाव परिणामः

  • 2010 विधानसभा चुनाव विजेताः श्याम देव पासवान, बीजेपी
  • जीत का अंतरः 11,213 वोट्स; 9.19% कुल वैध मतों का
  • निकटतम प्रतिद्वंद्वीः कुमार सर्वजीत, एलजेपी
  • पुरुष वोटर्सः 63,535; महिला वोटरः 58,463; कुलः 1,22,013
  • मतदान प्रतिशतः 51.26 प्रतिशत
  • पुरुष उम्मीदवारः 10; महिला उम्मीदवारः 0
  • मतदान केंद्रः 294

Comments