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बिहार महाभारतः तीसरा मोर्चा – एक मुस्लिम बिहार का अगला मुख्यमंत्री

September 22, 2015


एक मुस्लिम बिहार का अगला मुख्यमंत्री

आरजेडी के पूर्व नेता और अब जन अधिकार पार्टी (जेएपी) के चीफ पप्पू यादव ने कल घोषणा की कि यदि तीसरा मोर्चा सत्ता में आता है, तो गठबंधन एक मुस्लिम को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनाएगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि बिहार को उप-मुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग से मिलेगा। इस घोषणा का असर क्या होगा, इस पर सभी पार्टियों में बहस छिड़ गई है।

तो क्या यह रणनीति तीसरे मोर्चे के लिए काम कर जाएगी? यह घोषणा भले ही वोटर्स को बहुत ज्यादा प्रभावित न कर सके, लेकिन यह तय है कि उन्हें आरजेडी-जेडी(यू) को वोट देने वाले पारंपरिक मुस्लिम और ओबीसी वोटरों को तोड़ने में मदद मिलेगी। आपको याद ही होगा कि तीसरा मोर्चा 243 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है और वह अन्य पार्टियों को समीकरणों को बनाने और बिगाड़ने की स्थिति में है। राज्य में 16.6 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है।

यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि तीसरा मोर्चे में ज्यादातर असंतुष्ट नेताओं का जमावड़ा है। या तो वे अपनी पार्टी से खारिज किए जा चुके हैं या गंभीर मतभेदों की वजह से अपनी पार्टी छोड़कर आए हैं। ज्यादातर जेडी(यू) और आरजेडी से। मुलायम सिंह खुद भी महागठबंधन से बाहर आए थे। यादव होने के बावजूद मुलायम सिंह की अपील बिहार में सीमित है। वोटर अब हकीकत से वाकिफ है और यह जानते हैं कि तीसरा मोर्चा किसी विचारधारा की वजह से नहीं बना बल्कि महागठबंधन के जवाब के तौर पर बना है। तीसरे मोर्चे के घटक दलों के सहयोगियों की सीमित इलाकों में पकड़ है। यह वोट पैटर्न पर किस तरह असर डालती है, यह देखना होगा।

समाजवादी पार्टी ने 19 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की

सपा ने कल 19 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। सपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष रामचंद्र यादव ने सूची की घोषणा करते हुए बताया कि किस तरह लालू-नीतीश ने मिलकर राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण की विचारधारा से समझौता किया है। यह भी कहा कि बिहार के लोग उन दोनों को अच्छा सबक सिखाएंगे।

उम्मीदवारों की सूची में उनकी पत्नी नूतन चंद्र यादव का नाम भी शामिल है। वह भबुआ से चुनाव लड़ेंगी। इसके अलावा दिलीप केसरी (बेगुसराय), गोपाल भारती (भागलपुर) और विजय कुमार यादव (शेखीपुरा) समेत अन्य नाम शामिल हैं।

तीसरा मोर्चा 243 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। इसमें एसपी 85 सीटों पर, जेएपी 64, एनसीपी 40, एसएसपी 28, एसजेपी 23 और एनपीपी 3 सीटों पर चुनाव चुनाव लड़ रही हैं।

इन चुनावों में महिलाओं का वोट डायनामिक्स को बदलकर रख देगा

बिहार के इन चुनावों में एक बड़ा अंतर सामने आने वाला है। महिला वोटर अभूतपूर्व तरीके से स्थानीय और राज्य स्तरीय मुद्दों से वाकिफ हैं। उन्हें अपने अधिकार भी पता है। वह सोच-समझकर फैसला लेने की स्थिति में हैं। सिर्फ परिजनों के कहने पर वोट नहीं देने वाली। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है जो राज्य की चुनावी राजनीति में अहम भूमिका निभा सकता है। मोबाइल और स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच से महिलाओं को ताजा घटनाक्रमों की तत्काल जानकारी मिल रही है। इस वजह से बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी राय बनाने की स्थिति में हैं।

2010 के पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले, ज्यादा महिला युवतियां जुड़ी हुई हैं और अपने अधिकार मांग रही हैं। 2010 राज्य की विधानसभा में 209 पुरुष प्रतिनिधि थे, जबकि 34 महिला प्रतिनिधि। यदि सभी पार्टियों की महिला उम्मीदवारों की संख्या देखी जाए तो इस बार उनकी हिस्सेदारी कई गुना बढ़ी है।

महिला वोटर व्यापक तौर पर नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर समर्थन देती आई हैं। आखिर नीतीश ने ही पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। पुलिस में भी महिला आरक्षण 35 प्रतिशत सुनिश्चित किया। मुख्यमंत्री बनने के तत्काल बाद उन्होंने यह कदम उठाए थे और उनका महिलाओं से अच्छा जुड़ाव है, जो बिहार के कुल वोटरों का तकरीबन आधा होता है।

इसके अलावा नीतीश ने 1.5 लाख महिलाओं को संविदा शिक्षक बनाया। इसका भी महिला वोटर्स ने स्वागत किया। एक तथ्य यह भी है कि तमाम जनमत सर्वेक्षणों में महिलाओं में मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार ही पसंद के तौर पर सामने आ रहे हैं। महिलाओं के बीच नीतीश की यह छवि तोड़ना बीजेपी के लिए मुश्किल होने वाला है। इसी वजह से बीजेपी ने महिलाओं को ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार बनाकर उतारा है। किसी भी तरह से इन चुनावों में महिलाएं ही सबसे ज्यादा लाभ उठाने वाली हैं। इन चुनावों में महिलाएं जातिगत बंधनों से उठकर वोट डालेंगी, ऐसी उम्मीद तो की ही जा सकती है।

चुनाव आयोग ने पढ़ा दंगा कानून

चुनाव आयोग ने सभी उम्मीदवारों को चुनाव अभियान के दौरान डेकोरम बनाए रखने की चेतावनी दी है। उनसे कहा है कि महिला उम्मीदवारों के खिलाफ असभ्य या अपमानसूचन शब्दों का इस्तेमाल न किया जाए। यदि चुनाव आयोग को इस संबंध में कोई शिकायत मिली तो उस पर कड़ाई से कार्रवाई की जाएगी। चेतावनी ऐसे वक्त आ रही है, जब उम्मीदवारों की प्रवृत्ति फ्री-फॉर-ऑल हो चुकी है। इन चुनावों को बिहार के अब तक के हुए चुनावों में सबसे ज्यादा नजदीकी से देखा जाने वाला चुनाव कह सकते हैं। 50 हजार अर्द्धसैनिक बलों के जवान मतदान केंद्रों पर तैनात रहेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि कोई हिंसा या वोटरों को डराने-धमकाने की कोई कार्रवाई न हो।

चर्चा में नेताः श्रीमती रमा देवी, बीजेपी (जन्म 5 मई 1949)

रमा देवी का जन्म वैशाली जिले के लालगंज में केपी चौधरी और दरबारन देवी के घर हुआ था। रमा देवी ने अर्थशास्त्र में बीए पूरा किया और फिर एसकेजे लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। उनकी रुचि शुरू से ही समाज सेवा में थी। समाज के कमजोर तबकों की बेहतरी उनके दिमाग में रहती थी। वे खेलों में भी गहरी रुचि रखती हैं।

राजनीति उनके लिए बिहार के लोगों की भलाई करने का एक जरिया है। वह फुलटाइम इसी काम में लगी रहती हैं। पहली बार वह 1998 में 12वीं लोक सभा में सांसद के तौर पर चुनी गई थीं। तब से वे राज्य और केंद्र स्तर की कई समितियों में सदस्य हैं। वह श्योहर से मौजूदा सांसद हैं।

चर्चा में विधानसभा क्षेत्रः किशनगंज

किशनगंज जिले का मुख्यालय है किशनगंज शहर में। यह बिहार के पूर्वोत्तर हिस्से में आता है। एक ओर बांग्लादेश की सीमा है और दूसरी ओर नेपाल की। किशनगंज जिला 1,884 वर्ग किमी में फैला है। 771 गांवों को सात विकासखंडों में बांटा गया है। यह बिहार का इकलौता चाय उत्पादक जिला है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 16,90,948 है। वहीं साक्षरता दर 57.04% है।

2010 विधानसभा चुनाव परिणाम

  • 2010 विधानसभा चुनाव के विजेताः डॉ. मोहम्मद जावेद, कांग्रेस
  • जीत का अंतरः 264 वोट्स; 0.21% कुल वैध मतों का
  • निकटतम प्रतिद्वंद्वीः स्वीटी सिंह, बीजेपी
  • पुरुष वोटरः 64,727; महिला वोटरः 59,106; कुलः 1,23,875
  • मतदान प्रतिशतः 58.47
  • पुरुष उम्मीदवारः 12; महिला उम्मीदवारः 1
  • मतदान केंद्रः 221