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ब्रह्मोस मिसाइल से चीन क्यों भड़का

August 29, 2016


ब्रह्मोस मिसाइल से चीन क्यों भड़का

ब्रह्मोस मिसाइल से चीन क्यों भड़का

एनडीए सरकार ने इसी महीने में सेना को अरुणाचल प्रदेश में पहाड़ों में युद्ध लड़ने के लिए सबसे आधुनिक ब्रह्मोस मिसाइल को तैनात करने की अनुमति दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई, जिसमें समिति ने चौथी ब्रह्मोस रेजिमेंट बनाने को हरी झंडी दिखा दी है। यह रेजिमेंट 4,300 करोड़ रुपए की लागत से अस्तित्व में आएगी। मोबाइल कमांड पोस्ट बनाई जाएगी। इसमें 12 गुणा 12 हेवी-ड्यूटी ट्रक्स पर पांच मोबाइल स्वचलित लॉन्चर और करीब 100 मिसाइलें होंगी। अरुणाचल में रेजिमेंट को तैनात करने का फैसला चीन के अहितकारी मंसूबों को दूर रखने के उद्देश्य से लिया गया है।

हालांकि, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। चीन ने भारत को अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मोस की तैनाती के खिलाफ चेतावनी दी है। यह कहते हुए कि इसका चीन-भारत क्षेत्र की स्थिरता पर नकारात्मक असर होगा। दोनों पड़ोसी देशों में गैरजरूरी प्रतिस्पर्धात्मकता और टकराव की स्थिति बन सकती है। पीएलए के मुखपत्र पीएलए डेली ने कहा- “भारत आत्मरक्षा की जरूरत कहते हुए सीमा पर सुपरसॉनिक मिसाइलों को तैनात कर रहा है। इससे चीन के तिब्बत और युन्नान प्रांतों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा हो गया है।”

ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल

भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ मशिनोस्टोयेनिया (एनपीओएम) ने संयुक्त रूप से ब्रह्मोस को विकसित किया है। यह एक दो चरणों में दागी जाने वाली मिसाइल है। इसमें सॉलिड प्रोपेलेंट-बूस्टर इंजिन है, जो मिसाइल को सुपरसॉनिक स्पीड देने के बाद अलग हो जाता है। ब्रह्मोस मिसाइल की निम्न विशेषताएं हैं-
ब्रह्मोस मिसाइल 200-300 किग्रा पारंपरिक युद्धक सामग्री अपने साथ ले जा सकती है

यह सुपरसॉनिक स्पीड से 280 किमी तक की उड़ान भर सकती है, जो आवाज की गति से 2.8 गुना ज्यादा है। इस तरह कम समय में ज्यादा रास्ता तय कर लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखती है।

पूरी दुनिया में ऐसा कोई और हथियार नहीं है, जो गति के मामले में ब्रह्मोस का रास्ता रोक सके।

यह ‘फायर एंड फॉरगेट’ प्रिंसिपल से चलती है। एक बार आपने इसे छोड़ दिया तो वह सीकर रेंज की वजह से अलग-अलग गति पकड़ते हुए लक्ष्य तक पहुंचती है।
ब्रह्मोस मिसाइल में किसी भी सब-सॉनिक क्रूज मिसाइल की तुलना में 9 गुना ज्यादा काइनेटिक एनर्जी होती है। इसकी वजह से, इसकी विध्वंसक क्षमता भी कई गुना बढ़ जाती है।
यह कई प्लेटफार्म से दागी जा सकती है। वैसे आदर्श रूप में इसे जमीन, समुद्र और उप-समुद्री इलाकों से दागा जा सकता है।

चीन को क्यों महसूस हुआ खतरा

पीएलए डेली का कहना है कि ब्रह्मोस की तैनाती की वजह से उसकी संपत्तियों के लिए खतरा पैदा हो गया है। डेली में छपे लेख में कहा गया है कि “सुपरसॉनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की हमला करने की क्षमताएं बहुत ज्यादा है। जो भारत-चीन के पहाड़ी सीमाई क्षेत्र में तैनात करने योग्य है।” पीएलए नेवी के इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के एक एक्सपर्ट के मुताबिक ब्रह्मोस को तैनात करने से उन्हें निम्न खतरे हैं-

ब्रह्मोस की निगरानी आसान नहीं है। यह चीन के सीमाई क्षेत्रों के लिए एक बड़ा खतरा है।

पीएलए डेली ने सीमाई क्षेत्रों में सुखोई-30एमकेआई और ड्रोन की तैनाती का जिक्र भी किया है। यह भी कहा कि ब्रह्मोस की तैनाती से क्षेत्र में स्थिरता का संतुलन बिगड़ सकता है। इसकी वजह से टकराव की स्थिति भी बन सकती है।

चीन को लगता है कि भारत सीमा पर मिलिट्री एडवांटेज हासिल करना चाहता है।

ब्रह्मोस के बारे में बात करते हुए डेली ने कहा कि मिसाइल की ‘स्टीप डाइव’ क्षमताएं अचानक हमले को अंजाम दे सकती हैं। खासकर पहाड़ों की परछाई में। इसकी वजह से टाइम-सेंसिटिव टारगेट्स, जैसे- मिसाइल लॉन्चर और कमांड सेंटर जैसे सॉलिड टारगेट्स को तबाह किया जा सकता है।

हालांकि, पीएलए डेली ने यह भी कहा कि 290 किमी की छोटी दूरी की मार करने वाली यह मिसाइल चीन के अंदरूनी इलाकों को निशाना नहीं बना सकेगी। इतना ही नहीं, मिसाइलों का वजन ज्यादा होने से सुखोई सु-30एमकेआई एक समय में सिर्फ एक ही मिसाइल अपने साथ ले जा सकेगा।

निष्कर्ष

भारत-चीन सीमा पर ब्रह्मोस रेजिमेंट की तैनाती से भारतीय सशस्त्र सेनाओं को मदद मिलेगी। खासकर सीमा पर भारतीय क्षेत्र के बचाव और बनाए रखने में। भारतीय सेना दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है। इसके पास स्टेट-ऑफ-द-आर्ट हथियार और सुविधाएं हैं। लेकिन भारत ने इतिहास में कभी भी युद्ध शुरू नहीं किया। सीमा पार हमले भी नहीं किए। चीन को अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मोस की तैनाती से घबराने या परेशान होने की जरूरत नहीं है। इन मिसाइलों की तैनाती देश की रक्षा करने के उद्देश्य से की गई है।