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रियो डी जेनेरो में भारतीय ओलिंपिक दल के लिए चुनौतियां

August 4, 2016


बाधाओं के बाद भी भारतीय ओलिंपिक दल चुनौती के लिए तैयार

बाधाओं के बाद भी भारतीय ओलिंपिक दल चुनौती के लिए तैयार

रियो डी जेनेरो में 5 अगस्त को ओलिंपिक खेलों का आगाज होगा। भारत का अब तक का सबसे बड़ा ओलिंपिक दल भी दुनिया के इस सबसे बड़े खेल समारोह में भाग लेने के लिए रियो पहुंचने लगा है। धीरे-धीरे ही सही ओलिंपिक के स्टेज पर भारत की भागीदारी मजबूती के साथ बढ़ रही है। इस साल भारतीय दल उत्साह से लबरेज है और हर खेल में दुनिया की चुनौती का सामना करने को तैयार।
स्थानीय बाधाओं से जूझी टीम

रियो में भारतीय दल के प्रमुख राकेश गुप्ता ने बताया कि भारतीय खिलाड़ियों को किस-किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पहली चुनौती है भाषा। ब्राजील में ज्यादातर लोग पुर्तगाली भाषा बोलते हैं। वहां भी अंग्रेजी बोलने वाले लोगों को तलाशना एक बड़ी चुनौती रही है।

भाषा से जुड़े मसले

आयोजकों ने स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्रों की एक पार्ट-टाइम स्वयंसेवकों की फौज बनाई है, जो धाराप्रवाह अंग्रेजी बोल सकते हैं। लेकिन ज्यादातर अगस्त में ही उपलब्ध रहेंगे। ओलिम्पिक्स के लिए स्कूल-कॉलेजों के बंद होने के बाद। तब तक भारतीय दल को भव्य खेल गांव में कहीं भी आने-जाने के लिए समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। रास्ते और अन्य सुविधाओं के लिए अभ्यस्त होने से पहले उन्हें परेशान होना पड़ सता है। अंग्रेजी बोलने वाले गाइड्स का न होना, एक बड़ी चुनौती होगा। लेकिन स्वयंसेवकों की फौज सक्रिय होगी तो निश्चित तौर पर अगस्त महीने में हालात सुधरेंगे।
एक जगह से दूसरी जगह जाना

एक आयोजन स्थल से दूसरे तक पहुंचना आसान नहीं है। ज्यादातर बस ड्राइवर ही रूट्स से अभ्यस्त नहीं हैं। इसके अलावा धाराप्रवाह अंग्रेजी न होने से भारतीय खिलाड़ियों को आयोजन स्थल का रास्ता तलाशने में दिक्कत हो सकती है।

खाना- खुशखबर

राकेश गुप्ता पिछले एक महीने से रियो ओलिम्पिक कमेटी को इस बात के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय दल को भारतीय खाना उपलब्ध कराया जा सके। अच्छी खबर है कि भव्य खानपान सुविधाओं में शाकाहारी ‘देसी’ खाना भी उपलब्ध रहेगा। उन भारतीय खिलाड़ियों के लिए यह बहुत अच्छी खबर है जो विदेशी अंतरराष्ट्रीय व्यंजनों के साथ एडजस्ट नहीं कर पाते।
जल्दी आने वाले खिलाड़ियों को मदद

यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि भारतीय खिलाड़ी दुनिया के अलग-अलग में ट्रेनिंग कर रहे थे। इस वजह से वे अलग-अलग समय पर जत्थों में रियो पहुंच रहे हैं। अच्छी बात यह है कि भारतीय दल जल्दी पहुंच गया है। इससे उन्हें मौसम के साथ अनुकूल होने के लिए पर्याप्त वक्त मिल जाएगा। साथ ही अन्य सुविधाओं के लिए रास्ते तलाशने में भी मदद मिल जाएगी। खेल गांव को भी अच्छे-से समझ सकेंगे। राकेश गुप्ता के मुताबिक, जल्दी आने से भारतीय खिलाड़ियो को एक-दूसरे से नजदीकी बढ़ाने का भी मौका मिलेगा, जो अब तक अपनी टीम के सदस्यों से ही परिचित थे।

खेलगांव में जल्दी पहुंचने का फायदा यह होगा कि वे अन्य खेलों के खिलाड़ियों से भी बातचीत कर सकेंगे। एक अगस्त को औपचारिक स्वागत समारोह का आयोजन हुआ। ब्राजील बास्केटबॉल स्टार और खेल गांव के मेयर जेनेथ आर्केन इसका नेतृत्व करेंगे। भारतीय तीरंदाजी टीम का मुकाबला सबसे पहले शुरू होगा। पांच अगस्त को ओलिम्पिक खेलों की शुरुआत के साथ ही तीरंदाजी मुकाबले भी शुरू हो जाएंगे। इसी दिन से मेडल भी साफ होने लगेंगे।

हालांकि, ज्यादातर अन्य भारतीय एथलीटों को भरपूर वक्त मिलेगा क्योंकि उनकी प्रतियोगिताएं बाद में होनी हैं। तीरंदाजी, मुक्केबाजी, भारोत्तोलन, निशानेबाजी और हॉकी खिलाड़ियों का अभियान 6 अगस्त को ही शुरू हो जाएगा।

गेम एंबेसडर भी भारतीय खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने को तैयार

भारत के रियो गेम्स के ब्रांड एंबेसडर और बॉलीवुड के लोकप्रिय फिल्म अभिनेता सलमान खान भी रियो जाकर भारतीय दल की हौंसला अफजाई करने वाले हैं। उनके साथ ही भारतीय क्रिकेट के सुपरस्टार और राज्यसभा सांसद सचिन तेंडुलकर भी 2 अगस्त को रियो पहुंच रहे हैं। उनकी मौजूदगी में भारतीय खिलाड़ियों का मनोबल जरूर बढ़ेगा। निश्चित तौर पर भारत में भी उनकी इस यात्रा पर नजर रहेगी।
रियो का खेल गांव

रियो के बर्रा में ओलिम्पिक और पैरालिम्पिक खेलों के लिए 1.5 बिलियन डॉलर की लागत से बना खेल गांव अपने आप में मनोरम दृश्य है। इस खेल गांव में 17 मंजिला 31 इमारतें हैं। कुल मिलाकर 3,604 अपार्टमेंट। यह 17,000 खिलाड़ियों और टीम अधिकारियों का घर होगा। 7-18 सितंबर 2016 के बीच जब यहां पैरालिम्पिक खेल होंगे, तब यह कॉम्प्लेक्स 6,000 खिलाड़ियों का घर होगा। यह ओलिम्पिक खेलों के दौरान खिलाड़ियों के लिए घर से दूर एक घर की ही तरह होगा। इस खेल गांव को आत्मनिर्भर बनाने की पूरी कोशिश की गई है। यहां जरूरत की हर सुविधा मुहैया कराई गई है। डिपार्टमेंटल स्टोर, पोस्ट ऑफिस, बैंक, लॉन्ड्री, फ्लोरिस्ट, हेयर सलून और मेडिकल सुविधाओं के साथ-साथ 1800 वर्गमीटर या 19,300 वर्गफीट का जिम।

खेलगांव में सात स्विमिंग पूल्स, टेनिस कोर्ट और फुटबॉल मैदान भी हैं। यहां वर्चुअल रियलिटी सेंटर और विलेज प्लाजा भी है, जो निश्चित तौर पर सभी खिलाड़ियों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनने वाला है।
ओलिम्पिक खेल गांव का डाइनिंग हॉल आकर्षण का केंद्र

खेलगांव में विशाल डाइनिंग हॉल इस तरह डिजाइन किया गया है कि 24 घंटे सातों दिन काम कर सके। यहां प्रतिदिन 60 हजार से लोग खाना खा सकेंगे। 21,700 वर्गमीटर या 2.33 लाख वर्गफीट का यह डाइनिंग हॉल 5 जम्बो जेट्स को जगह दे सकता है। एक साथ 6,806 लोगों को खाना खिला सकता है। किचन में अंतरराष्ट्रीय व्यंजन बनाने के लिए विदेशों से नामी शैफ्स बुलाए गए हैं। भारतीय दल को खेल गांव में परोसी गई दाल और आलू-गोभी की सब्जी बेहद पसंद आई।

लेकिन विवाद अब भी कायम है

रियो खेलों से जुड़े बुनियादी ढांचे को बनाने में देरी को लेकर समिति आलोचनाओं के केंद्र में थी। खेल गांव में निर्माण की क्वालिटी और फिनिशिंग को लेकर कई सारी शिकायतें दर्ज हुई हैं। ऑस्ट्रेलियाई दल को 27 जुलाई को खेल गांव में आना था, लेकिन तब तक टॉयलेट्स ब्लॉक थे। वायरिंग खुली हुई थी और पाइप्स लीक हो रहे थे। जिन्हें जोड़ा जा रहा था।

न्यूजीलैंड का दल जब रियो पहुंचा तो उसे भी निराशा का सामना करना पड़ा। कई काम पूरे नहीं हुए थे। स्वीडिश फुटबॉल टीम ने खेलगांव में रहने से ही इनकार कर दिया था। रियो खेलों के प्रवक्ता मारियो आंद्रडा ने आश्वस्त किया कि 630 लोगों को तैनात किया गया है ताकि सभी कमियों को जल्द से जल्द दूर किया जा सके। बीजिंग को छोड़कर सभी ओलिम्पिक खेलों के आयोजन स्थलों में इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। आखिरी पलों तक सुधार कार्य होना, आम हो गया है।

भारत में भी 2010 में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान खेलगांव की तैयारियों को अंतिम रूप देते-देते काफी देर हो गई थी। आखिरी क्षणों तक काम किया गया था।

लेकिन ओलिम्पिक भावना सबसे ऊपर

एक बार गेम्स शुरू हो जाएंगे तो सभी मुद्दे पीछे चले जाएंगे और ओलिम्पिक भावना सबसे ऊपर रहेगी। रियो ने मंदी के इस दौर में पैर आगे बढ़ाया है। इस वजह से सभी खिलाड़ियों और अधिकारियों का यह जिम्मा बनता है कि पूरी इमानदारी और समर्पण से वह खेलों में भाग लें। अगले 21 दिन उत्साह से भरपूर रहने वाले हैं। सभी खिलाड़ी पूरी दुनिया के खेलप्रेमियों को दिलचस्प मुकाबलों की दावत देने को तैयार हैं।

—- देबु सी