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भारतीय रेलवे डिजिटलीकरण का तीव्र प्रणाली में प्रवेश

May 1, 2017


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रायपुर में एक समारोह में बोलते हुए, रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने हाल ही में कहा था कि, ” रेल का विकास देश के विकास के लिये होगा।” वास्तव में, रेलवे देश को अपनी सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक और रणनीतिक योजनाओं पर किस तरह का मूल्य प्रदान करता है, सुरेश प्रभु के वक्तव्य को अतिशयोक्ति के रूप में नहीं देखा जा सकता था। यह वास्तव में देश की जीवन रेखा है जिसनें 1853 में अपनी यात्रा शुरू कर दी थी जब देश की पहली ट्रेन 1853 में मुंबई के बोरी बंदर स्टेशन से बाहर निकली थी। तत्कालीन ब्रिटिश-भारत में पहली ट्रेन के इस उद्घाटन का यात्रा के 160 से अधिक वर्षों के बाद, अब स्वतंत्र रेलवे में विकास लाने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं, जो फिलहाल 60,000 किलोमीटर से अधिक का ट्रैक है। इस संबंध में, डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को गति दी गई है रेलवे के कामकाज में सुधार और अपनी संपूर्ण गतिविधि में पारदर्शिता लाने के लिए, एक सामान्य डिजिटल प्लेटफॉर्म जो सभी विभागों से सूचना प्रवाह को लिंक करेगा, विकसित किया जा रहा है। इसका मतलब है कि रेलवे की संपूर्ण आपूर्ति और खरीद श्रृंखला डिजिटल रूप से पुनः निर्मित की जायेगी। इसके साथ ही, एशिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में न केवल भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा, बल्कि बड़ी मात्रा में धन भी बचेगा। यदि रेलवे मंत्री पर विश्वास किया जाये तो, यह कदम सार्वजनिक ट्रांसपोर्टर के 60,000 करोड़ रूपये की आसान बचत करने में सक्षम होगा।

डिजिटलीकरण और बेहतर रेलवे गतिविधि पर इसका प्रभाव

दुनिया में सबसे बड़े नियोक्ता होने के अलावा, भारतीय रेलवे की रेलगाड़ियाँ हर दिन 25 लाख से अधिक लोगों को यात्रा करवाती हैं, जो ऑस्ट्रेलिया की पूरी जनसंख्या से कहीं अधिक है। डिजिटाइजेशन के साथ ही, न केवल यात्रा अधिक आरामदायक होगी, बल्कि किसी भी तरह की परिचालन गतिविधि को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यात्रियों को टिकट आरक्षण, ऑनलाइन भोजन सेवा, व्हीलचेयर की उपलब्धता, टैक्सी और एक स्टेशन के कोने में बैठे रेलवे कर्मचारियों के विश्राम कक्ष की जांच करने में समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है। वेब आधारित सेवा से मोबाइल एक्सचेंज पर ऑनलाइल टिकटी सिस्टम में एक ट्रांसजर्मीं सुधार हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप ई-टिकट बिक्री से उत्पन्न राजस्व में भारी बढ़ोतरी हुई है।

एक रिर्पोट के अनुसार, रेलवे ऑनलाइन टिकट सिस्टम के माध्यम से प्रतिदिन लगभग 2000 टिकट बेच रहा है। टिकट सिस्टम में सुधार और डिजटलीकरण के बाद, ई-टिकट की बिक्री 10,000 रूपये प्रति मिनट बढ़ गई है, खासकर देश में प्रमुख त्यौहारों और छुट्टियों के दौरान। वर्तमान में, ई-टिकट की बिक्री के जरिये रेलवे प्रतिदिन 600 मिलियन कमाता है। यहाँ तक कि 97 प्रतिशत माल ढुलाई व्यापार कैशलेश हो गये हैं। सोशल मीडिया साइटों जैसे फेसबुक और सूक्ष्म ब्लॉगिंग की साइटों जैसे ट्विटर की सहायता से सूचनाओं को एक्सेस करने और साझा करने, प्रेस विज्ञप्तियां प्राप्त करने, घटनाओं से जुड़े समाचारों, ग्राहक की प्रतिक्रियाएं, शिकायतों और रिफंड में एक प्रकार की पारदर्शिता लाई गई है। आईटी का इस्तेमाल पूरी तरह से, डिब्बों, चालक दल, सिग्नल, रखरखाव, ट्रैकिंग प्रबंधन से संबंधित विभिन्न विभागों को सुव्यवस्थित रखने में किया जा रहा है। रेलवे संचार प्रणाली को स्मार्ट और प्रभावी बनाने के लिए, पूरे देश में ऑप्टिकल फाइबर केबल लगाये गए हैं। भारतीय रेलवे और गूगल संयुक्त रूप से “परियोजना निलगिरी” का निर्वाहन कर रहे हैं। इस परियोजना के तहत, पूरे देश में लगभग 400 रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई हॉटस्पॉट लगये जा रहे है। रेलवे द्वारा भाड़ा संचालन के कम्प्यूटरीकरण के लिये फ्रेट ऑपरेशन प्रणाली (एफओआईएस) और रेक मैनेजमेंट सिस्टम (आरएमएस) लागू किया गया है। इसके बाद रेलवे बोर्ड से क्षेत्रीय मुख्यालयों के लिए डिवीजनल मुख्यालय से उत्पादन इकाइयों और प्रशिक्षण केंद्रों तक नेटवर्क रेल प्रणाली के लिए ‘ रेलनेट ‘ कार्यान्वित किया गया है। रेलवे ने भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) पर भूमि सहित अपनी निश्चित रेलवे परिसंपत्तियों के मानचित्र का कार्य भी किया है। यह प्रणाली रेलवे भूमि की स्थिति, अतिक्रमण है या नहीं की सूचना प्रदान करेगी और इस प्रकार यह अतिक्रमण के खतरे से निपटने में सहायक होगी।

निष्कर्ष

इसलिए, हालिया दिनों में डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिला है लेकिन इसके अलावा इसके प्रदर्शन को बढ़ाने और सिस्टम में जवाबदेही को लागू करने के लिए, एक सामान्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की स्थापना की जा रही है। यह भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए बहुत जरूरी कार्य साबित होगा और इसके लिए, वर्तमान नेतृत्व द्वारा राजनीतिक इच्छाओं को दिखाया जाना शुरू हो गया है।