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अर्थ डे 2017 – कार्य के लिए भारत की पुकार

April 25, 2017


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पृथ्वी दिवस पर निबंध

22 अप्रैल, जिस दिन हम फेसबुक या ट्विटर पर एक सुंदर तस्वीर पोस्ट करते हैं, एक दूसरे को विश्व पृथ्वी दिवस की बधाई देते हैं, स्कूल जाने वाले बच्चों की सराहना करते हैं, जो घर पर पौधे ले जाते हैं, जिससे हमारा जीवन सामान्य रूप से चलता रहे। इस वर्ष आइए हम कुछ अलग करते हैं, आइए हम पृथ्वी और इसकी विपुलता का जश्न मनाकर, हरियाली की रक्षा के लिए वचन देकर, प्राकृतिक संसाधन, सुंदरता और उपहार जो कि हमारे ग्रह ने उदारता से हमें दिए हैं, स्वच्छ और हरे भारत की हमारी सोच को क्रियान्वित करके, पृथ्वी दिवस को स्मरण करते हैं जैसा कि होना चाहिए।  महात्मा गांधी ने कहा है, “दुनिया में जो परिवर्तन आप देखना चाहते हैं, वह आपको स्वयं करना होगा।” वास्तव में अब समय आ चुका जब कुर्सी पर बैठकर सक्रियता से आगे बढ़कर असल पर्यावर्णीय सुरक्षा पर ध्यान देना होगा।

परिवर्तन करें………..

जब वायु प्रदूषण की बात आती है, तो हमारे देश के खराब यातायात का भी जिक्र किया जाता हैं। ग्रीनपीस इंडिया की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल देश में 1.2 मिलियन लोगों की मृत्यु के लिए वायु प्रदूषण ही जिम्मेदार है। अधिकांश भारतीय शहरों में वायु की गुणवत्ता डब्ल्यूएचओ मानक से कम है। हमारे कुछ स्पष्ट और सरल कार्य हैं –

· जहां तक ​​संभव हो, साइकिल का उपयोग करें।

· प्लास्टिक, पत्ते और कचरे को न जलाएं।

· कार पूल और सार्वजनिक परिवहन का चयन करें।

· वाहन उत्सर्जन मानकों का सख्त समर्थन किया जाये और पौधों से कारखानों के उत्सर्जन में कमी की जाये।

सूखा और भूजल की कमी का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है। जब हम देश में किसानों की आत्महत्याओं के बारे में सुनते हैं, तब मानव जाति के अस्तित्व के लिए हमारी कार्रवाई हमारी चिंता को दर्शाती है, जहाँ भूजल की कमी की बात आती है, तो भारत इससे सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है। बढ़ती आबादी, उद्योगों का उच्च संकेंद्रण और लापरवाह शहरीकरण, मामले को बदतर बना रहे हैं।

हम पर हमला करने वाले ग्लोबल वार्मिंग के हानिकारक प्रभावों को दूर करने के लिए क्या कुछ किया है?

·  पौधों का रोपण – पौधों का रोपण जितनी बार या जितने आप कर सकते हैं, करें।

·  वर्षा जल संचयन तकनीक को अपनाएं।

·  सौर ऊर्जा वाले उपकरणों का प्रयोग करें और छतों के ऊपर सौर संयंत्र लगाएं।

·  कार्बन उत्सर्जन कम करें।

अपशिष्ट प्रबंधन एक और हानिकारक लड़ाई है, जो भारत वर्तमान में लड़ रहा है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पर्याप्त अपशिष्ट विभाजन, प्रसंस्करण और कंपोस्ट खाद की सुविधा का अभाव, देश में स्वास्थ्य और स्वच्छता में गिरावट का मुख्य कारण है। जहाँ तक ​​देश में शौचालयों का निर्माण कराने का सरकार द्वारा, हाल ही में शुरू किया गया अभियान सराहनीय है। 2014 तक 130 लाख घरों में शौचालयों की कमी थी।

·  खुले में या आस पास कूड़ा-कचरा न फेंकें।

·  खाद बनाने वाली मशीन के लिए पड़ोसियों के साथ निवेश करें।

·  यदि आपके घर में शौचालय नहीं है, तो शौचालय तैयार करवाएं।

·  अपशिष्ट प्रबंधन जागरूकता को बढ़ावा दें।

हम हर साल पृथ्वी दिवस मनाते हैं, ताकि हमे प्राकृतिक संसाधनों का स्मरण रहे और हमारे गृह-नक्षत्र सुव्यवस्थित रहें। लेकिन ऐसे अनमोल तोहफे के साथ हमे एक विवेकपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती है, जिसका हम समझदारी से उपयोग करें, उनका संरक्षण करें और उन्हें अपनी भावी पीढ़ियों तक सौंपें। लापरवाही और मानवीय अत्याचार इस ग्रह पर हमला कर सकते हैं, जिसे हम अपना घर कहते हैं। फिर भी पृथ्वी दिवस, उत्सव की तुलना में, क्रियान्वयन की मांग अधिक है। आइए हम इस वर्ष आगे निकल जाएं और भारत को एक अधिक स्वच्छ और अधिक हरियाली वाली जगह में रहने के लिए बाकी दुनिया के लिए उदाहरण पेश करें।