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भारत की ग्रामीण शिक्षा में टेक्नोलॉजी का उपयोग

July 18, 2018


Use-Of-Technology-In-Rural-Education-Of-India

भारत की ग्रामीण शिक्षा में टेक्नोलॉजी का उपयोग

मोबाइल फोन, इंटरनेट, टेबलेट, आईपैड, उनकी एप्लीकेशन, सोशल मीडिया और यहाँ तक कि यात्रा, खाना-पकाना और संचार इत्यादि हमारे जीवन के शुरू से अंत तक का एक हिस्सा हैं। आज समाज के हर पहलू में टेक्नोलॉजी व्याप्त है और यह नाटकीय रूप से बदल रही है। लेकिन शिक्षा समाज का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अनिवार्य हिस्सा है जो नए आविष्कारों और खोजों से जुड़ा हुआ है। अन्य सभी क्षेत्रों की तरह इस मामले में भी शहरी इलाके ग्रामीण इलाकों की तुलना में काफी अधिक विकसित हैं। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सीखने की प्रक्रिया में क्रांति लाने के लिए बहुत अधिक प्रयास किया जा रहा है। भारत में निरक्षरता सबसे बड़ी समस्या है। इनमें सबसे बड़ी समस्या है, शिक्षकों की कमी, लोगों की पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी की कमी, गरीबी, लिंग भेदभाव, बुनियादी ढाँचे की कमी, आम पाठ्यक्रम आदि जिसके कारण ग्रामीण शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति नहीं हो रही है। लेकिन टेक्नोलॉजी का जन शिक्षा के क्षेत्र में उपयोग से इस स्थिति को बदला जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को पहुँचाने के लिए, सबसे पहले अध्ययन सामग्री को छात्रों तक पहुँचाया जा सकता है और इसके बाद ऑनलाइन संपर्क ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से शिक्षकों के साथ पारस्परिक विचार-विमर्श किया जा सकता है। ऑनलाइन शिक्षण चर्चाओं, आभासी कक्षाओं और बातचीत के लिये विस्तारित कक्षा समुदाय बनाया जा सकता है। एक और विकल्प यह है जिसमें कक्षा के पाठ्यक्रम को एक वास्तविक समय में रिकार्ड किया जा सकता है और इन कक्षाओं में शामिल नहीं होने वाले छात्रों को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह शिक्षा के लिए एक विस्तारित पहुँच बनाता है। ग्रामीण शिक्षा के लिए ई-लर्निंग प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है। ग्रामीण भारत में ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को शिक्षा प्रणाली का एक प्रमुख हिस्सा होना चाहिए। विद्यालयों के शिक्षक अच्छी तरह से उपकरणों से सुसज्जित नहीं हैं। इसलिए छात्रों को नोट्स और नोटिस देने के लिए शिक्षकों को लैपटॉप और प्रिंटर दिए जाने चाहिए। टेक्नोलॉजी का उपयोग करके अयोग्य शिक्षकों की समस्या का हल भी हो सकता है।

पहल-

सार्वजनिक निजी साझेदारी में उपक्रम ग्रामीण भारत तकनीक की समझ रखने और शिक्षा प्रदान करने में उत्कृष्ट भूमिका निभा रहे हैं। एक सफल पहल की शुरुआत की गई है और कुछ प्रगति पर हैं। गैर सरकारी संगठन ग्रामीणों को टेक्नोलॉजी शिक्षा प्राप्त कराने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। विप्रो ग्रुप द्वारा चलाया जा रहा एक गैर-लाभकारी संगठन, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, 2001 से इस विषय पर काम कर रहा है। यह संस्था 14 राज्य सरकारों के 16,000 स्कूलों में 20 लाख बच्चों की मदद कर रही है। यह संस्थान कंप्यूटर आधारित शिक्षा प्राप्त करने में मदद करता है। कंप्यूटर को एक संपत्ति के रूप में माना जाता है। ये स्कूल में छात्रों को लाने के लिए प्रमुख आकर्षण हैं। बच्चों के लिए कंप्यूटर एक बहुत ही रोमांचक मशीन है। आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मेघालय, तमिलनाडु, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में स्कूलों ने एनआईआईटी और सरकार द्वारा सामूहिक प्रयासों के माध्यम से कंप्यूटर सहायता प्राप्त की है। इसने सकारात्मक परिणाम भी दिए हैं। कंप्यूटर की सहायता से प्राप्त शिक्षा के माध्यम से छात्रों के स्कूल छोड़ने की दर काफी हद तक कम हो गई है।

एजूसैट ग्रामीण भारत में वीडियो शिक्षा प्रदान कराने के लिये इसरो द्वारा एजूसैट की शुरूआत की गई थी।

विद्याज्ञान – असाधारण ग्रामीण छात्रों को आर्थिक रूप से प्रतिकूल पृष्ठभूमि से उत्थान करने के उद्देश्य से कार्य करता है। उन्हें विद्याज्ञान में विश्वस्तरीय शिक्षा मुफ्त दी जाती है जो एक आवासीय संस्थान है। यह शिव नादर द्वारा स्थापित शिव नादर फाउंडेशन की एक पहल है। वह एचसीएल के संस्थापक हैं। विद्याज्ञान ने उत्तर प्रदेश राज्य की बोर्ड परीक्षाओं में सबसे ज्यादा अंक प्राप्त करने वाले 200 छात्रों को लिया है। छठी कक्षा के बाद से इन छात्रों को विद्याज्ञान में पढ़ाया जाएगा।

समुदाय – इस कार्यक्रम के अंतर्गत, 2000 बच्चों को टेक्नोलॉजी माध्यम से अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और गणित सिखाया गया था। इसी पद्धति के उपयोग से 250 शिक्षकों को भी शिक्षित किया गया और इसका परिणाम सच में सकारात्मक था। इससे स्कूल छोड़ने की दर और अनुपस्थिति में काफी कमी आई और साथ ही साथ आत्मविश्वास के स्तर में भी सुधार हुआ। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले छात्रों को शिक्षित करने के लिए सरकार को अधिक ई-लर्निंग केंद्र बनाने होंगे। ई-लर्निंग पाठ्यक्रमों को परिभाषित करने की आवश्यकता है। ऐसे ई-लर्निंग सिस्टम से निश्चित तौर पर समाज में आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सुधार होगा। वे विकसित होंगे और धीरे-धीरे शहरी छात्रों के समान हो जाएंगे।

बाधाएं – ग्रामीण भारत में टेक्नोलॉजी अभाव है। ग्रामीण भारत पानी, अवसंरचना, बिजली एवं स्वास्थ्य सुविधाओं आदि की कमी से ग्रस्त है। हर टेक्नोलॉजी आधारित शिक्षा की सफलता के लिए, बुनियादी ढाँचे को मजबूत होना चाहिए। बिजली की कमीं सबसे बड़ी समस्या है। इसके समाधान के लिए सौर ऊर्जा एक विकल्प है जो बहुतायत में उपलब्ध है और इसका उपयोग अनेक मामलों में किया जा सकता है। शिक्षा तक पहुँच दूसरा प्रमुख मुद्दा है। छात्रों को शिक्षा के लिए मीलों तक चलता पड़ता है। इसके लिए अधिक स्कूलों का निर्माण करना आवश्यक है। स्कूलों की संख्या, और दूरी के आधार पर स्कूलों को खोलना चाहिए।

फायदा – टेक्नोलॉजी ग्रामीण बच्चों को आकर्षित करती है। कंप्यूटर शब्द सुनकर स्कूल में भाग लेने की उनकी इच्छा बढ़ जाती है। यहाँ तक कि माता-पिता इस मामले में अधिक रुचि दिखाते हैं। कंप्यूटर शिक्षा आवश्यक आत्मविश्वास को मजबूत करती है और शहरी एवं ग्रामीण शिक्षा के बीच की खाई को कम करती है। इसलिए ग्रामीण भारत को इस क्षेत्र में महान निवेश की आवश्यकता है।