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भारत में क्यों जरूरी है यौन शिक्षा?

June 30, 2018


भारत में क्यों जरूरी है यौन शिक्षा?

भारत,कामसूत्रों की भूमि, खजुराहो के सेक्स मंदिर और ‘शिवलिंग’ की पूजा करने वाले लोगों के बीच “सेक्स” शब्द हमेशा से वर्जित रहा है। भारतीय समाज में, यौन जागरूकता पैदा करने के लिए सार्वजनिक स्थानों  के बजाय बेडरूम के बंद दरवाजों के अंदर सेक्स पर चर्चा की जाती है। वर्ष 1994 में, जनसंख्या और विकास पर संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीपीडी) में भारत के किशोर और युवाओं के यौन प्रजनन अधिकारो (एसआरआर) की पुष्टि की गई थी। सम्मेलन में, यह समझाया गया था कि किशोरावस्था और युवाओं के लिए उनके लिंगभेद और प्रजनन से संबंधित सभी मामलों पर मुक्त रूप से निर्णय लेने में सक्षम बनाने हेतु उन्हें लिंगभेद पर व्यापक शिक्षा की आवश्यकता होती है। इसलिए, आईसीपीडी एजेंडा के तहत उनके द्वारा किये गए वादों को पूरा करने हेतु सरकार किशोरों और युवाओं के लिए मुफ्त और अनिवार्य व्यापक लैंगिक शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूलों को बाध्य कर रही है।

2007 में, भारत सरकार ने किशोर शिक्षा कार्यक्रम (एईपी) की शुरुआत की। हालांकि, कई विरोधों और मोरल पुलिस ने इस कार्यक्रम के प्रकरण को ‘अनुपयुक्त’ ठहराया था और इस कार्यक्रम को अधिकांश राज्यों में प्रतिबंधित कर दिया गया था। यहाँ तक कि नकारात्मक सुर्खियो के बाद भी, यह कार्यक्रम उचित कार्यान्वयन के बिना चुनिंदा सरकारी / निजी स्कूलों में एईपी (किशोर शिक्षा कार्यक्रम) शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम में बॉडी इमेज, हिंसा और दुर्व्यवहार, लिंग और लिंगभेद, यौन रोग जैसे संवेदनशील मुद्दों को शामिल किया गया और अत्यंत महत्वपूर्ण बात यह है कि अंतरंग संबंधों के बारे में खुलकर बातचीत ओर सहमति अत्यधिक आवश्यक है।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने 2005 में एक परिपत्र जारी किया था, जिसमें किशोरावस्था प्रजनन और यौन स्वास्थ्य शिक्षा (एआरएसएच) प्रोजेक्ट नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। केंद्र सरकार ने इसे 2006 में जारी किया और तब से कई राज्यों ने अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कार्यक्रम में थोड़ा बदलाव करके इसे लागू किया है।

भारत में, यह प्रश्न बना हुआ है कि क्या हम उस बिंदु तक पहुँच गए हैं जहाँ हम आजादी से बिना किसी शर्म के यह शब्द बोल सकते हैं। दुर्भाग्य से, अधिकांश विद्यालयों में आज भी सेक्स शिक्षा केवल जलीय जंतु या जानवारो के उदाहरणों तक ही सीमित है। जब बात छात्रों के मध्य  मानव सेक्स से सम्बंधित अध्ययन की आती है तो शिक्षक उसे बताने में सकोंच करते हैं और सम्पूर्ण जानकारी के बजाय बहुत कम जानकारी छात्रों को प्रदान करते हैं। कुछ स्कूल ही सेक्स शिक्षा देने के नाम पर स्वास्थ्य और स्वच्छता पर वर्कशॉप का आयोजन कर रहे हैं।

सही उम्र  में क्यों महत्वपूर्ण है सेक्स शिक्षा

सेक्स शिक्षा का उद्देश्य हैः

  • आजीवन यौन स्वास्थ्य को एक मजबूत आधार बनाएं। और यह संभव होता है किसी की पहचान, रिश्तों और अंतरंगता के बारे में सूचना और दृष्टिकोण, मान्यताओं और मूल्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करके|
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा परिभाषित किया गया है कि यौन स्वास्थ्य को न कि केवल रोग या एक दुर्बलता है बल्कि यौन-स्वास्थ्य का संबंध शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक कल्याण के रूप में भी माना जाता है।
  • युवावस्था में प्रवेश के कारण युवा अपने शारीरिक विकास और अपने व्यवहार में  बदलावों का अनुभव करते हैं, आमतौर पर, किशोरावस्था (12-19 वर्ष) के दौरान इस सम्बन्ध में शिक्षा का प्रावधान एक महत्वपूर्ण युक्ति है।

विभिन्न कारणों के लिए सेक्स शिक्षा की आवश्यकता हैः

  • यह बेहद जरूरी है कि युवा लड़के और लड़कियों को उनके शरीर में होने वाले परिवर्तनों के कारणों की जानकारी हो, जब वे किशोरावस्था में पहुँचते हैं, तब उन्हें यौन शिक्षा दी जानी चाहिए।
  • लड़कों और लड़कियों दोनों को मासिक धर्म चक्र के बारे में समझने की जरूरत है ताकि लड़कियाँ इसे प्रकृति की एक सामान्य भूमिका के रूप में स्वीकार कर सकें और लड़कों को माहवारी, टैम्पोन और सेनेटरी पैड से घृणा नहीं करनी चाहिए। इस मुद्दे के प्रति संवेदनशील होने के लिए इसके बारे में जानना आवश्यक है।
  • सेक्स के बारे में जागरूकता फैलाने से गर्भधारण के समय यौन रोग और एचआईवी जैसे बीमारियों सहित अन्य संबंधित मुद्दों के बारे में जागरुकता प्राप्त होगी। डब्लूएचओ के अनुसार, दुनिया में 12 से 19 वर्ष की आयु समूह के 34 प्रतिशत लोग एचआईवी से संक्रमित है।
  • सेक्स शिक्षा युवाओं को जिम्मेदार बना देगी और इस तरह वे उत्सुकता के बजाय संभव परिणाम के पूरे ज्ञान के साथ सेक्स करने का निर्णय लेंगे और बिना किसी नकारात्मक प्रभाव के इस तरह की प्रतिक्रियाओं का सामना कर सकेगें।
  • युवाओं को गर्भ निरोधक सामग्री को खरीदने के लिए शर्म नहीं करनी चाहिए जो कि एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू है।
  • बलात्कार, जबरदस्ती वाले शारीरिक संबंधों को समाप्त करने के लिए, सेक्स शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।
  • अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात, बाल यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों को समझना होगा कि उनके साथ कुछ गलत किया जा रहा है। जिससे वे अपने माता-पिता को अप्रिय घटनाओं के बारे में सूचित करा सकेंगे। महिला और बाल विकास विभाग के एक अध्ययन से पता चलता है कि देश में करीब 53 फीसदी बच्चे किसी तरह के यौन शोषण का शिकार हुए हैं।

भारत में समाज की बदलती गतिशीलता को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को वर्ष 2016 में लागू किया था, जो किशोरों के लिए स्कूलों में यौन शिक्षा के महत्व को सुरक्षा उपायों के रूप में स्वीकार करता है। यह देखा जाना शेष है कि क्या इस नीति को दुबारा लागू किया जाएगा। समय आ चुका है कि शिक्षकों द्वारा किशोरों को यौन शिक्षा की उचित जानकारी दी जाए, क्योंकि यौन संबंध बनाने के लिए आधी-अधूरी  जानकारी खतरनाक हो सकती है और किशोरों को जागरूक और तैयार रहना बेहतर है।

सूचना- यह लेख 15 जून, 2017 को विजी अर्थेय द्वारा लिखा गया था। इस लेख में निहित जानकारी हाल ही में अपडेट की गई है।

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भारत में, यह प्रश्न बना हुआ है कि क्या हम उस बिंदु तक पहुँच गए हैं जहाँ हम आजादी से बिना किसी शर्म के यह शब्द बोल सकते हैं।
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