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Movie Review: एक हसीना थी, एक दीवाना था

July 1, 2017


ek-haseena-thi-ek-deewana-thaकलाकार – शिवदर्शन, नताशा फर्नांडीज, उपेन पटेल

  • कहानी और निर्देशन – सुनील दर्शन
  • उत्पादित – सुनील दर्शन
  • लिखित – कुशाल बख्शी, उदीप्त गौड़
  • पटकथा – सुनील दर्शन, आकाश दीप
  • संगीत – नदीम सैफी
  • छायांकन – अमरजीत सिंह
  • संपादित – अर्चित रस्तोगी
  • उत्पादन हाउस – श्री कृष्ण इंटरनेशनल
  • अवधि – 1 घंटा 45 मिनट
  • शैली – रोमांस, ड्रामा
  • सेंसर रेटिंग – अ/व

आपको पहली बार में क्या याद आता है जब आप इस फिल्म के शीर्षक “एक हसीना थी एक दिवाना था” को सुनते हैं? यह सुभाष घई द्वारा बड़े पैमाने पर किये गए काम (फिल्म) कर्ज (1980) का लोकप्रिय गीत होना चाहिए। एक महान निर्देशक द्वारा बनाई गयी एक महान फिल्म का महत्व इतना है कि रिलीज होने के 40 साल बाद भी इसको नहीं भुलाया जा सका है। अफसोस की बात है कि सुनील दर्शन की वापसी की झलक 80 के दशक की हिट के आगे टिक न सकी।

कथानक

सुंदर नताशा (नताशा फर्नांडीज) एक धनी उत्तराधिकारी है। वह अपनी पैतृक संपत्ति माउन्ट यूनिक एस्टेट में अपने सपनों के राजकुमार अपने मंगेतर सनी (उपेन पटेल) के साथ शादी करने के लिये जाती है। हालांकि, वह अस्तबल में काम करने वाले देवघर (शिव धवन) के प्यार में पड़ जाती है। यहाँ पर फिल्म में बदला लेने की भावना, आत्मा (दैवीय) हस्तक्षेप, एक तरफा प्यार और लंबे संवाद फिल्म के कथानक को खराब कर देते हैं। इन सभी चीजों को दर्शकों के धैर्य का परीक्षण करने के लिये बनाया गया है।

प्रदर्शन

प्रदर्शन के बारे में कुछ कहने के लिये ज्यादा नहीं है। चलो स्वयं निर्देशक से शुरू करते हैं। क्या वह रिप वान विंकल की कहानी से प्रेरित होकर 20 साल बाद अचानक एक फिल्म बनाना चाहते थे?

शिवदर्शन और उपेन पटेल दोनों को ही कोई और फिल्म में काम करने से पहले कुछ गंभीर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। इनमें दो उचित बातें जरूर पूछी जानी चाहिए-

  1. क्या मुझे एक्टिंग सीखने की आवश्यकता है?
  2. क्या यह मेरे मरते हुए करियर का नाश करने जा रहा है?

नताशा फर्नांडीज बहुत खूबसूरत दिखती हैं लेकिन संकट में फँसी युवती के रूप में व्यर्थ हैं।

संगीत की समीक्षा

निर्देशक और अभिनेताओं के अलावा, फिल्म एक हसीना… के साथ वापसी में नदीम-श्रवण की प्रसिद्धि के संगीतकार नदीम हैं। दोनों ने 1990 के दशक में बॉलीवुड में वापस आना शुरू किया था। अब समस्या है कि यह 90 का दशक नहीं है। गाने वास्तव में कानों को अच्छे लगते हैं और काफी सौम्य हैं लेकिन इनमें से कोई भी नहीं है, शायद गाना हुए बेचैन एक अपवाद के साथ अपना प्रभाव दर्ज करवाता है। यद्यपि गायक पलक मुच्चल और यसीर देसाई ने बड़ी स्थिरता और अपना वादा निभाया है। एक हसीना थी एक दिवाना था का संगीत औसतन अच्छा है।

गाने –

हँसते हँसते

  • अवधि – 3:05 मिनट

नैन

  • अवधि – 3:48 मिनट

तुम कहाँ थे

  • अवधि – 4:58 मिनट

आँखों में आँसू

  • अवधि – 3:48 मिनट

हुए बेचैन

  • अवधि – 3:45 मिनट

क्या अच्छा है, क्या बुरा है?

एक हसीना थी एक दिवाना था ज्यादा अच्छी नहीं है हम इसे अच्छे की सूची में नहीं रख सकते हैं। लेकिन चलो हम कोशिश करते हैं। फिल्म के कई दृश्यों को बड़े पैमाने पर यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) में फिल्माया गया है। इस फिल्म में कॉर्नवाल, कार्डिफ, डार्थमाउथ और मैनचेस्टर के बहुत ही आकर्षक दृश्य हैं। अमरजीत सिंह ने उन सभी खूबसूरत परिदृश्य को खोजा है जो उन्हें मिल सके, उन्होंने इस अवसर का पूरा लाभ लिया है। इसके अलावा, संगीत की पेशकश ऐसी है जैसे इसे 90 के दशक के बॉलीवुड के प्रति उत्साही लोगों के लिये बनाया गया है। यहाँ पर हम फिल्म के बारे में अच्छी बातों से बाहर आते हैं।

एक खराब कथानक, एक भ्रामक भूत और धोखा देने वाले संवादों के बीच लगातार चलने वाला ट्रैक, दर्शकों को आकर्षित करने के लिये काफी नहीं है, फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है। कुछ नहीं, कुछ नहीं, फिल्म के दौरान दर्शक बाहर जाने से बचते हैं।

हमारा फैसला

एक हसीना थी एक दिवाना था ने सुनील दर्शन, शिव दर्शन, उपेन पटेल और नदीम सैफी के खत्म होते फिल्मी करियर को दोबारा एक नया जीवन प्रदान किया है। यह एक प्रयास था लेकिन यह भी एक शानदार असफलता रही। संगीत निर्देशक नदीम लोगों की अच्छी प्रतिक्रियाएं प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं, लेकिन यह पूर्ण रूप से 90 के दशक का अनुभव है जो इस फिल्म के संगीत को घाटे में पहुँचा देता है। गलती न करें, 90 के दशक में स्क्रीन पर होने वाला रोमांस महान था, कुछ ऐसे गीत थे जो हमको हमेशा के लिये याद हैं, नायकों का दमदार प्रदर्शन और पर्दे पर चकाचौंध केमिस्ट्री थी। इस फिल्म में यह सब कुछ नहीं हैं। यह हमें कई कारणों से याद दिलाता है कि हमनें इस युग को विकास के लिये चुना है। संवाद गहरे होने की सीमा तक तंग हो रहे हैं। “ तुम्हारी जुदाई मुझे जीने नहीं देगी और तुम्हारा इंतजार मुझे मरने नहीं देगा”- क्या हमें और अधिक कहना चाहिए?

अपने आटे (खाने) को बचायें, आराम से नींद लें, जीएसटी के लाँच होने पर होने वाले नाटक (वाद विवाद) को देखें। जो मन हो करें, लेकिन सुनील दर्शन द्वारा निर्मित एक हसीना थी एक दिवाना था पर अपना पैसा और समय खर्च न करें।

रेटिंग – 1 1/2 *

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