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महाराष्ट्र में, समाप्त हुई किसानों की हड़ताल

June 5, 2017


farmers-strike-in-maharashtra-ends-hindiमहाराष्ट्र में, किसानों ने सभी कृषि उत्पादों के ऋणों पर लाभकारी छूट की माँग की, 30 मई 2017 को राज्य सरकार और किसानों के बीच असफल वार्ता के बाद, 1 जून 2017 को वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे।

किसानों ने हड़ताल के दौरान उग्र होते हुए, बिक्री के लिए शहर जा रहे दूध को राजमार्ग पर बहा दिया और स्व-उत्पादित सब्जियों को भी वाहनों द्वारा बाजार तक पहुँचने से रोक दिया। महाराष्ट्र में कई किसानों ने राजमार्ग पर वाहनों का घेराव किया और तत्पशचात वे गिरफ्तार भी किए गए। उन्होंने धमकी भी दी कि अगर उनकी माँगें पूरी नही की गईं, तो खरीफ सहित अन्य फसलों की बुवाई भी नहीं करेंगे।

महाराष्ट्र में, इधर-उधर की हिंसात्मक घटनाओं की खबरों के कारण, वहाँ सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गई।

वाशी में सब्जी बाजार के पूर्व निदेशक शंकर पिंगले के अनुसार, 450-500 ट्रकों के स्थान पर केवल 150 सब्जियों से लदी ट्रकों को महाराष्ट्र पहुँचना था। जबकि 150 में से सिर्फ 10 ट्रक ही महाराष्ट्र पहुँचे, शेष गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में पहुँचे। इससे वाशी के थोक बाजार में शुक्रवार से सब्जियों और फलों की कीमतें हद से ज्यादा बढ़ गईं। मुंबई, नवी मुंबई और ठाणे के कुछ अन्य शहरों को निशाना बनाया गया, क्योंकि वाशी इन इलाकों में सब्जियों और फलों का मुख्य आपूर्तिकर्ता है।

हालांकि, शनिवार की सुबह  मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस द्वारा, अहमदनगर जिले में किसान क्रांति जन आंदोलन कोर कमेटी को आश्वासन दिए जाने के बाद, कि सरकार एक समयबद्ध कार्यक्रम में उनकी अधिकांश मांगों को पूरा करेगी, इस आश्वासन के बाद हड़ताल को खत्म कर दिया है। शुक्रवार की रात में फडनवीस के साथ वार्ता के बाद, समिति – सरकार की प्रतिक्रिया से संतुष्ट थी और इस तरह उन्होंने हड़ताल को खत्म करने का फैसला किया। राज्य सरकार ने किसानों की 70% मांगों को स्वीकार कर लिया है। सरकार ने 31 अक्टूबर 2017 तक छोटे और सीमांत किसानों को ऋण से राहत प्रदान करने का वादा किया है।

हड़ताल नासिक जिले में जारी रहेगी, क्योंकि वहाँ के किसानों की एक अतिरिक्त माँग है। वे मुंबई-नागपुर समृद्धि मार्ग (मुंबई से नागपुर मार्ग) के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं, जो मुंबई और नागपुर के बीच यात्रा के समय को कम करने में प्रस्तावित 710 किलोमीटर की एक्सप्रेसवे है। नासिक में किसान इस परियोजना को रद्द करने की माँग कर रहे हैं। यह माँग किसान क्रांति जन आंदोलन की कोर कमेटी की माँगों के चार्टर में शामिल नहीं हुई थी और उन्होंने महाराष्ट्र में पूरी तरह से किसानों के लिए बड़े लाभ को प्राप्त कराने का फैसला किया।

किसानों की माँगें

महाराष्ट्र के किसानों की निम्नलिखित मांगें थीः

स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन से खेती की उपज से उत्पादन की लागत के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य से 50% अधिक का भुगतान किया जाये।

  • कृषि ऋण पर छूट का प्रावधान।
  • किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण।
  • 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेने वाले किसानों के लिए पेंशन योजना।
  • दूध की कीमत 50 रुपये प्रति लीटर की जाए।
  • खेतों में 24 घण्टे बिजली आपूर्ति।
  • ड्रिप और सिंचन सिंचाई के लिए 100% सब्सिडी।

राज्य सरकार ने किसानों की 70% माँगें की स्वीकार

किसान क्रांति जन आंदोलन समिति के सदस्यों के साथ वार्ता के बाद, वहाँ के मुख्यमंत्री फडनवीस ने राज्य के छोटे और सीमांत किसानों के लिए कर्ज माफी का वादा किया है। महाराष्ट्र में 13.7 मिलियन किसानों में से लगभग 78% किसान छोटे और सीमांत हैं, कर्ज राहत इन किसानों को नए ऋण के लिए आवेदन करने का पात्र बनाती है।

फडनवीस ने भी किए हैं कई वादे

  • जुलाई में, महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान एक नया कानून लाया जाएगा, ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत कृषि उत्पाद की खरीद कानूनन अपराध हो।
  • सहकारी समितियों को दूध की आपूर्ति करने वाले किसानों को बेहतर पारिश्रमिक प्राप्त करने के लिए, दूध की कीमत बढ़ाई जाएंगी। एक स्वतंत्र नियामक नियुक्त किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसानों को दूध के उच्च मूल्य का लाभ मिल सके।
  • किसानों के लंबित बिजली के बिलों पर ब्याज और जुर्माने की छूट दी जाएगी और सरकार ने किसानों के उत्पादन करने वाले संगठनों की मदद से कोल्ड स्टोर और गोदामों की एक श्रृंखला स्थापित करने का वादा किया है।
  • हड़ताल के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस ले लिया जाएगा।
  • राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि सूक्ष्म-वित्त पोषित कंपनियां किसानों का शोषण न करें।