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भारत में त्योहारों और उत्सवों से भरा सितंबर

September 9, 2016


भारत में त्योहारों और उत्सवों से भरा सितंबर

भारत में त्योहारों और उत्सवों से भरा सितंबर

भारत में सितंबर का अपना महत्व है। बड़े-बड़े व्यापारिक शो और छुट्टियों वाले लंबे त्योहारी मौसम की तैयारियों का मौसम। हम यहां बता रहे हैं इस महीने में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार और कार्यक्रम।

हरतालिका तीज- 4 सितंबर 2016 (रविवार)

हरतालिका तीज उत्तर भारत की तीन तीजों में से एक है, जिसे महिलाएं मनाती हैं। अन्य तीजों की तरह हरतालिका तीज सबसे ज्यादा सावधानी और पवित्रता से मनाई जाती है। इसमें तीन दिन का उपवास रहता है। देवी पार्वती ने भगवान शिव से शादी के लिए उपवास किए थे। हरतालिका तीज को भाद्रपद माह के दूसरे पखवाड़े में तीसरे दिन मनाया जाता है। राजस्थान, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, झारखंड और बिहार में महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं। मेहंदी लगवाती हैं। देवी पार्वती की गौरी के तौर पर पूजा करती हैं।

गणेश चतुर्थी – 5 सितंबर 2016 (सोमवार)

गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। यह पूरे भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन भगवान गणेश की स्थापना होती है। उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, जो भक्तों की हर बाधा को दूर करते हैं। गणेश की प्रतिमा को स्थापित कर दस दिन तक आराधना की जाती है। इस त्योहार की सबसे ज्यादा धूम महाराष्ट्र में होती है। विशालकाय प्रतिमाएं स्थापित होती हैं। सामुदायिक आयोजन होते हैं। नाच-गाना, खाना और आतिशबाजी होती है। महाराष्ट्रीयन गणेश आराधना को अलग ही स्तर पर ले जाते हैं। अनंत चतुर्दशी को गणेश जी का विसर्जन किया जाता है।

टीचर्स डे – 5 सितंबर 2016 (सोमवार)

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (जन्म 5 सितंबर 1888) एक विद्वान दार्शनिक, शिक्षाविद और शिक्षक थे। वे देश के पहले उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति (1962-1967) रहे। डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन को पूरे देश में टीचर्स डे के तौर पर मनाया जाता है। यह दिन हमारे जीवन में शिक्षकों की भूमिका को समर्पित होता है। स्कूली बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम करते हैं। अपने शिक्षकों को फूल और कार्ड देकर जताते हैं कि उनके जीवन में शिक्षकों की क्या अहमियत है। यह दिन खास है। जब हम सभी अपने टीचर्स को याद करते हैं, जिन्होंने हमें जीवन में सफलता की राह दिखाई।

राधा अष्टमी- 9 सितंबर 2016 (शुक्रवार)

जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधाष्टमी मनाई जाती है। भगवान कृष्ण की प्रेयसी के तौर पर राधा की आराधना होती है। राधा अष्टमी पर पूरे देश में नाच-गाना, भजन और त्योहार मनते हैं। खासकर उत्तरप्रदेश के मथुरा, वृंदावन, राधा के जन्मस्थान बरसाना में इसकी रंगत अनोखी होती है। रोशनी से घरों को सजाया जाता है। एक बड़ा त्योहार ही यह यहां के लिए। कृष्ण मंदिरों और इस्कॉन सेंटरों पर खास पूजा और भजन होते हैं।

ईद-उल-जुहा (बकरीद) – 12 सितंबर 2016 (सोमवार)

ईद-उल-जुहा, को बकरीद (अरबी में ईद अल-अधा) भी कहा जाता है। देश में मुस्लिमों के सबसे बड़े त्योहारों- दो प्रमुख ईदों में से यह एक है। भेड़, बकरी की कुर्बानी दी जाती है। ईश्वर ने अब्राहम से उनके बेटे की जगह भेड़ की कुर्बानी स्वीकार की थी और इसी दिन को याद करते हुए कुर्बानी का सिलसिला आज भी जारी है। कुर्बानी के बाद पशु को पकाया जाता है और पूरा परिवार, दोस्तों और गरीबों को खिलाया जाता है। मुस्लिम नए कपड़े पहनते हैं, एक-दूसरे को उपहार देते हैं। बदकिस्मतों के साथ खाना साझा करते हैं। ज्यादातर लोग मस्जिदों में जाकर नमाज पढ़ते हैं और दान करते हैं। यह त्योहार धु अ-हिज्जाह के दसवें दिन आता है और इसी दिन हज पर गए यात्री माउंट अराफात से उतरते हैं।

ओणम- 14 सितंबर 2016 (बुधवार)

ओणम दक्षिण भारतीय राज्य केरल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह त्योहार फसलों की पैदावार से जुड़ा है। उसका ही जश्न है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, तीनों लोकों को जीतने के बाद राजा महाबलि इसी दिन अपने घर केरल लौटे थे। केरल इस त्योहार को अपने ही अनूठे रंगों में मनाता है। बड़ी-बड़ी रंगोलियां और पारंपरिक खान-पान (सद्या) पकाया जाता है। परिवार मिलन होता है और मंदिरों को सजाया जाता है। हर क्षेत्र में नाच-गाना होता है। पुलिकली, कथकली प्रदर्शन होते हैं। ओणम के आसपास बोट रेस प्रमुख आकर्षण होते हैं।

विश्वकर्मा पूजा – 16 सितंबर 2016 (शुक्रवार)

विश्वकर्मा एक हिंदू भगवान है, जिन्हें विश्व का रचनाकार माना जाता है। सभी देवी-देवताओं में विश्वकर्मा ही ऐसे भगवान हैं, जिन पर निर्माण की जिम्मेदारी है। इंजीनियरिंग या निर्माण से जुड़े लोगों के लिए विश्वकर्मा ही आराध्य होते हैं। देश में सभी कार्यस्थलों, खासकर फैक्टरियों, कार्यशालाओं और क्राफ्ट स्टुडियो को सजाया जाता है और विश्वकर्मा के तौर पर मशीनों की पूजा होती है। मैकेनिक्स, इंजीनियर, कलाकार, क्राफ्ट्समैन, कुम्हार, बुनकर और औद्योगिक मजदूर छुट्टी लेते हैं और इस दिन को अपने देवता की आराधना कर मनाते हैं। बंगाल में इस मौके पर पतंग उड़ाने की प्रतिस्पर्धा होती है।

पितृ पक्ष- 16 से 30 सितंबर 2016

अश्विन माह का पहला पखवाड़ा पितृ पक्ष का होता है। आम तौर पर सितंबर का दूसरा पखवाड़ा इस अवधि में आ रहा है। ज्यादातर भारतीय हिंदू परिवारों में यह अवधि पवित्र मानी जाती है। पूर्वजों को याद किया जाता है। इसे पितृ पक्ष के साथ ही महालया पक्ष भी कहा जाता है। परिवार के बड़े-बूढ़ों के साथ मिलकर हिंदू इन दिनों में अपने पूर्वजों की याद में उनका श्राद्ध करते हैं। पितृ तर्पण और रीति-रिवाज के साथ पूर्वजों को याद किया जाता है। इस दौरान कोई नया काम शुरू नहीं कियाजाता। कई लोग मांसाहार नहीं करते। नए कपड़े नहीं पहनते और मीठा तक नहीं खाते। हिंदू इन दिनों में दान करते हैं और गरीबों को खाना खिलाते हैं। तर्पण घर पर भी हो सकते हैं। लेकिन इस दौरान हिंदू पवित्र नदियों में जाकर संस्कार करते हैं।

सितंबर एक ऐसा महीना है, जो जश्न और त्योहार से शुरू हुआ, लेकिन सादगी से साथ खत्म होगा। यह ऐसा महीना है, जो अक्टूबर में आने वाले देवी पक्ष (नवरात्रि या दुर्गा पूजा) की तैयारियों को शुरू कर देता है। इस महीने में इक्विनोक्स (22 सितंबर 2016) भी आता है, जो गर्मियों के अंतिम दिन और सर्दियों की शुरुआत का संकेत है।