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फ्लिपकार्ट की सफलता की कहानी

August 1, 2016


फ्लिपकार्ट ने स्नैपडील को पीछे छोड़ जबोंग को खरीदा

फ्लिपकार्ट ने स्नैपडील को पीछे छोड़ जबोंग को खरीदा

बाजार में अपनी स्थिति को मजबूती करने के लिए, फ्लिपकार्ट की मालिकाना हक वाली मिंत्रा ने पीछे से आकर स्नैपडील को मात देकर फैशन और लाइफस्टाइल प्रतिद्वंद्वी जबोंग को 70 मिलियन डॉलर में खरीद लिया। वह भी एक ऑल-कैश डील में।

मिंत्रा के सीईओ अनंत नारायण के मुताबिक, यह अधिग्रहण फ्लिपकार्ट के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस तरह कंपनी ने ‘फैशन और लाइफस्टाइल’ सेग्मेंट में अपनी स्थिति को काफी मजबूत कर लिया है। वैसे भी इस बाजार के 2020 तक 40 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

बेंगलुरु स्थित मिंत्रा को फ्लिपकार्ट ने 2014 में 330 मिलियन डॉलर में खरीदा था। वह इस अधिग्रहण के जरिए जबोंग से चल रही प्रतिस्पर्धा को खत्म करना चाहती थी। अब जब मिंत्रा ने जबोंग को खऱीद लियाहै तो निश्चित तौर पर सकल व्यापारिक मूल्य (जीएमवी) भी उल्लेखनीय ढंग से बढ़ जाएगा।

इस तरह फ्लिपकार्ट ने जबोंग को खरीदा

ऑनलाइन रिटेल बिजनेस में कड़ी प्रतिस्पर्धा की वजह से ज्यादातर कंपनियों को भारी-भरकम छूट देनी पड़ रही है। इसका नतीजा यह हुआ कि व्यापार को विस्तार देने या राजस्व बढ़ाने के लिए आपको लाभ कम रखना होगा।

हकीकत तो यह है कि कई कंपनियों ने 2012 के बाद अपना कारोबार समेट लिया। वहीं कुछ कंपनियां अभी भी बढ़ते नुकसान का सामना कर रही हैं। जर्मनी स्थित रॉकेट इंटरनेट की कंपनी जबोंग ने 2012 में गुरुग्राम से अपना कारोबार शुरू किया था। उसके बाद से अब तक 250 मिलियन डॉलर का कारोबार करने में कामयाबी हासिल की है।

जबोंग की ताकत अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स के पोर्टफोलियो के साथ ही एक अच्छा-खासा सक्रिय क्लाइंट बेस भी है। किनेविक और रॉकेट इंटरनेट की जबोंग में क्रमशः 35 और 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। वे अमेजन समेत कई निवेशकों से जबोंग के सौदे पर बात कर रहे थे।

अमेजन भारत में ऑनलाइन स्पेस में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए लंबे-चौड़े प्लान के साथ आया है। वह भी जबोंग खरीदना चाहता था। 2014 में जबोंग के प्रमोटर्स ने 1.2 बिलियन डॉलर की मांग की, जिसके बाद वह पीछे हट गया था।

अमेजन खुद की पीठ थपथपा रहा होगा कि 2014 में उसने उस समय जबोंग को बढ़ी-चढ़ी कीमत में खऱीदने का फैसला नहीं किया। एक वजह यह भी है कि फ्लिपकार्ट की मिंत्रा ने उसके मुकाबले काफी कम कीमत यानी 70 मिलियन डॉलर में ही जबोंग को खरीद लिया।

जबोंग के लिए अमेजन रेस से हटा तो स्नैपडील ने कोशिशें शुरू कर दी। किनेविक के साथ वह मोल-भाव में लगा रहा। आदित्य बिड़ला-प्रमोटेड एडोफ.कॉम ने भी रुचि दिखाई। लेकिन स्नैपडील अपनी डील में काफी आगे बढ़ गया था।

इसी महीने डील अटक गई। स्नैपडील ने डील के स्ट्रक्चर पर कुछ सवाल उठाए थे। एफडीआई रुल्स पर भी कुछ सवाल थे,जो आगे जाकर परेशानी बन सकते थे।
किनेविक जल्द से जल्द डील खत्म करना चाहता थी क्योंकि वह जबोंग में काफी पैसा गंवा चुका थी। वित्त वर्ष 2016 में जबोंग को 138.7 मिलियन डॉलर के राजस्व की कमाई में 61.7 मिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।

स्नैपडील 21 जुलाई को डील पूरी करने की स्थिति में था। लेकिन जब उसने शर्तों को लेकर आगे-पीछे होना शुरू किया तो मिंत्रा ने मौका लपक लिया। तीन दिन के अंदर पूरी तरह से कैश पेमेंट देने की डील की पेशकश की और सौदा कर लिया। किनेविक कोई चांस नहीं लेना चाहता था। उसने मिंत्रा के साथ डील पूरी की और स्नैपडील देखता ही रह गया।

फ्लिपकार्ट और मिंत्रा के लिए जबोंग क्यों जरूरी है?

फ्लिपकार्ट को कैश से संपन्न अमेजन और स्नैपडील से मार्केट लीडरशिप पर कब्जा जमाए रखने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। सभी ऑनलाइन फर्म्स की ही तरह, फ्लिपकार्ट को भी कीमतों में नीचे जाना पड़ा। वह भी मोटोरोला जैसे टेलीकॉम ब्रांड्स के साथ एक्सक्लूसिव मोबाइल डील्स के आधार पर राजस्व बढ़ाने में लगा है।
हालांकि, कई ब्रांड्स अमेजन की खातिर फ्लिपकार्ट को छोड़ रहे हैं। ऐसे में फ्लिपकार्ट ‘फैशन और स्टाइल’ सेग्मेंट में स्कोर करना चाहता था। उसकी ही कंपनी मिंत्रा की इस क्षेत्र में पकड़ मजबूत थी।

फ्लिपकार्ट इस समय 1.6 लाख आइटम हर महीने बेच रहा है, जबकि मिंत्रा हर महीने 1.3 लाखजबोंग के हर महीने 50 हजार आइटम बिक रहे हैं। इस खरीदारी से फ्लिपकार्ट को फैशन और लाइफस्टाइल के प्रॉफिटेबल सेग्मेंट में जीएमवी बढ़ाने और मार्केट में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं, फ्लिपकार्ट की महत्वकांक्षा तेजी से बढ़ते और लाभ कमाने वाले ‘होम’ सेग्मेंट को भी मजबूती देने की है।

मिंत्रा और जबोंग के जरिए फ्लिपकार्ट ने अमेजन के खिलाफ बढ़त हासिल की है। अमेजन अब भी भारत में फैशन और लाइफस्टाइल सेग्मेंट में घुस नहीं पाया है। फ्लिपकार्ट को इससे अपने एक और प्रतिद्वंद्वी स्नैपडील के खिलाफ भी ताकत मिलेगी, जो फैशन और लाइफस्टाइल बिजनेस में हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है।

मूल्यांकन और लाभ कमाने की स्थिति से उद्योग को खतरा

भारत में ई-सप्लाई चेन अभी विकसित होने की स्थिति में है। ऑनलाइन रिटेलर्स तेजी से वृद्धि की संभावना तलाश रहे हैं। समस्या यह है कि एक बार फिर निवेशकों ने कंपनियों की बढ़-चढ़कर कीमत लगाई और यह एक बुलबुले का आकार ले रहा है। वैसा ही बुलबुला जो इंटरनेट को लेकर 1998-1999 में देखा गया था

2014 में जबोंग का मूल्यांकन 1.2 बिलियन डॉलर था। जीएमवी आज के मुकाबले काफी कम था। 2014 और 2016 के बीच, उसका मूल्यांकन क्या 1.2 बिलियन डॉलर से घटकर महज 70 मिलियन डॉलर रह गया!

जेम्स और ज्वैलरी कंपनी, कैरेटलेन ने हाल ही में टाटा के मालिकाना हक वाली टाइटन को खरीदा। उसका मूल्यांकन 2014 में 117 मिलियन डॉलर था। 2016 में उसका अधिग्रहण सिर्फ 90 मिलियन डॉलर में हुआ। कॉमनफ्लोर के लिए भी यह बात सच साबित होती है। एक साल पहले उसका मूल्यांकन 155 मिलियन डॉलर था, लेकिन उसे क्विकर ने 2016 में 100 मिलियन डॉलर में शेयर-स्वैप डील में खरीदा

यह एक बड़ी चिंता का विषय है। ऑनलाइन इंडस्ट्री में किए जा रहे मूल्यांकन को आंकड़ों से उचित नहीं ठहराया जा सकता। इससे आगे बढ़ रहे उद्योग को ही नुकसान होगा। ज्यादातर ई-कॉमर्स कंपनियों के मूल्यांकन नीचे की ओर रिवाइज हुए हैं। जिनकी जेब में खूब पैसा है, उन्हें अपने कारोबार में मजबूती लानी ही होगी।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने समस्या को और जटिल बना दिया है। इसकी वजह से मार्केट में हिस्सेदारी हासिल करने की जद्दोजहद में आक्रामक मार्केटिंग और छूट दी जा रही है। इसका असर लाभ पर हो रहा है।

आखिरकार, वह कंपनियां ही मार्केट में रह पाएंगी, जो पूरी सप्लाई चेन को नियंत्रित कर सकेंगी। अमेजन यह समझता है और उसके पास पैसे की कमी भी नहीं है। ताकि वह ग्राहकों के अनुभव को और बेहतर बनाने के लिए निवेश कर सके।

अमेजन ने 1-2 दिन में डिलीवरी का ऑप्शन देकर अन्य कंपनियों से एक बड़ा अंतर पेश किया है। यह ग्राहकों को बांधे रखने और उन्हें बेहतरीन शॉपिंग अनुभव देने का अच्छा तरीका है। उसने हाल ही में अमेजन प्राइम लॉन्च किया। यह सर्विस 1.4 मिलियन प्रोडक्ट्स को 100 शहरों में 1-2 दिन में डिलीवरी की गारंटी देती है।

यह उन ग्राहकों के लिए है, जो तत्काल प्रोडक्ट चाहते हैं। अमेरिका और अन्य बाजारों में यह मॉडल काफी सफल रहा है। वहां अमेजन के 100 मिलियन ग्राहकों में से 50 प्रतिशत इसी सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इस डील को पहले 30-मिनट की पर्चेज विंडो के जरिए और आकर्षक बनाया गया है। इसके अलावा कई मुफ्त ऑफर भी इसके साथ दिए जा रहे हैं।

फ्लिपकार्ट ने 2014 में इसी तरह की सेवा शुरू की थी- फ्लिपकार्ट फर्स्ट नाम से। अब, अमेजन की योजना शुरू होते ही फ्लिपकार्ट ने भी नए नाम एफ-एश्योर्ड, के जरिए यह सेवा शुरू करने का फैसला किया है। अब देखना होगा कि यह अमेजन की प्राइम सेवा के मुकाबले कितनी सफल रहती है।

इस बीच, ऑनलाइन स्पेस में एमएंडए डील्स होती रहेंगी। नए और उभरते ब्रांड्स अपने अवसरों को बढ़ाने की कोशिश करते रहेंगे। हर मौके को हथियाते रहेंगे।

Debu C