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अमरावती: आंध्र प्रदेश की नई राजधानी

July 11, 2018


अमरावती: आंध्र प्रदेश की नई राजधानी

1 अप्रैल 2015 को, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन चंद्रबाबू नायडू ने घोषणा की कि राज्य की नई राजधानी अमरावती को ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण शहर के नाम पर रखा जाएगा। 2014 में, आंध्र प्रदेश राज्य से तेलंगाना राज्य अलग होने के बाद, दोनों राज्यों ने एक दशक तक हैदराबाद को संयुक्त राजधानी के तौर पर मानने पर सहमति व्यक्त की थी। जिसके परिणाम स्वरूप यह स्पष्ट हो गया कि आंध्र प्रदेश को अंततः एक नई राजधानी की आवश्यकता होगी। यह अविभाजित आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद के लिए बहुत परेशानी का कारण था। क्योंकि यह एक मजबूत आर्थिक और बुनियादी ढाँचे का आधार था और इसे भारत के प्रमुख आईटी केन्द्रों में से एक माना जाता था। हालांकि, मुख्यमंत्री नायडू ने अमरावती को अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचे के आधार पर एक मजबूत आधुनिक शहर बनाने की योजना बनाई है।

प्रस्तावित राजधानी अमरावती, केंद्रीय आंध्र प्रदेश के दो मुख्य शहर गुंटूर और विजयवाड़ा के बीच में स्थित है। प्रस्तावित राजधानी का नाम प्राचीन शहर अमरावती से लिया गया है, जो उसी क्षेत्र में स्थित है। आंध्र प्रदेश के मंत्रिमंडल ने न केवल राजधानी के नाम को मंजूरी दी बल्कि सिंगापुर की सरकारी एजेंसियों द्वारा तैयार किए गए मास्टर प्लान (प्रथम चरण) को भी मंजूरी दे दी है।

अमरावती की स्वर्णिम विरासत

प्राचीन हिंदुओं की पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमरावती स्वर्ग की राजधानी (अंग्रेजी में लगभग स्वर्ग के रूप में अनुवादित) है। अमरावती का प्राचीन शहर सातवाहन राजवंश की राजधानी थी जिसने 230 ईसा पूर्व और 220 ईसा पूर्व के बीच दक्षिणी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। अमरावती शहर, सातवाहन साम्राज्य के साथ अपने संबंधों के कारण तेलुगू इतिहास और विरासत में जुड़ा हुआ है।

दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में अमरावती शहर बौद्ध अध्ययन का एक प्रमुख केंद्र था। यह माना जाता है कि अमरावती के प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप का सम्राट अशोक ने खुद ही पेश किया था। यह स्तूप बहुत प्रसिद्ध है और बुद्ध की कहानियों का चित्रण करने वाली पट्टिकाओं में अंकित है।

अमरावती शहर विजयनगर साम्राज्य के सुनहरे भाग के रूप में दिखाई देता है। इस क्षेत्र के हिंदू शासक इस शहर के अमरेश्वर (शिव) मंदिर के प्रति ज्यादा मान्यता रखते थे।

नई राजधानी के लिए योजनाएं

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की नई राजधानी के लिए बहुत अच्छी योजना है। उन्होंने कहा कि शहर में ‘वास्तु बालाम’ और ‘नाम बालाम’ दोनो दर्शाते हैं कि नाम और स्थान दोनों शुभ हैं। मुख्यमंत्री के अनुसार, सिंगापुर सरकार इस नए शहर का निर्माण करने में मदद करेगी, जो कि “दुनिया का सबसे अच्छा शहर” होगा। नई राजधानी के लिए शुरुआती योजनाओं में से एक 200 किलोमीटर के राजमार्ग का निर्माण है जो विजयवाड़ा और गुंटूर दो प्रमुख शहरों को जोड़ेगा। राज्य में दो रिंग रोड और कई रेडियल रोड का निर्माण सभी महत्वपूर्ण शहरों को आपस में जोड़ने के लिए किया जाएगा। अमरावती में हैदराबाद से लगाकर चेन्नई, काकीनाडा, बैंगलोर और कुरनूल जैसै शहरों को जोड़ने के लिए अत्यंत सुविधाजनक सड़क का निर्माण किया जाएगा। नई दिल्ली-हैदराबाद फ्रेट कॉरिडोर को अमरावती तक बढ़ाए जाने की संभावना है।

जबकि राजधानी के निर्माण चरण 1 के लिए मास्टर प्लान केवल मध्य मई तक तैयार किए जाएगें, योजना और निर्माण में सहयोग करने के लिए कई जापानी कंपनियों के इच्छुक उम्मीदवार पहले से ही सम्मिलित हो रहे हैं। निकटतम हवाई अड्डे के लिए मंगलागिरी पर भी निर्माण कार्य की संभावना है।

आलोचकों का मानना कि इस भव्य राजधानी के विकास के कारण आंध्र प्रदेश सरकार पर एक बड़ी मुसीबत आ सकती है। इस शहर का निर्माण करने के लिए आवश्यक धनराशि का अनुमान 20,000 करोड़ रुपये का लगाया जा रहा है। वर्तमान में, राज्य के द्वारा मसौदा योजना प्रस्तुत किए जाने के बाद 1500 करोड़ रुपये आवंटित करने की मंजूरी दे दी गई है।

क्यों एक नया राजधानी शहर?

आंध्र प्रदेश को राजधानी के रूप में एक नया शहर बनाने की जरूरत क्यों है? आखिर विजयवाड़ा या गुंटूर जैसे बड़े शहर को भी तो राजधानी के रूप में चुना जा सकता था? ये कुछ प्रमुख प्रश्न हैं जो अब सामने आ रहे हैं। कुछ लोगों का मानना ​​है कि यह दोनों शहरों में आर्थिक और राजनीतिक प्रकोष्ठ को अलग होने से बचाने के लिए मुख्यमंत्री नायडू द्वारा किया गया प्रयास है। इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि या तो रायलसीमा क्षेत्र के प्रभावककिरयों को इन शहरों का चुनाव पसंद नहीं आया होगा।

एक नये राजधानी शहर के निर्माण में कई चुनौतियाँ हैं। शहर के निर्माण में सैकड़ों और हजारों एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि को कुरबान करना होगा। यह आंध्र प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था में भी भारी गिरावट ला सकती है। इस निर्माण के कारण भारत में धान का उत्पादन कितना प्रभावित होता है यह भी देखना चाहिए क्योंकि यह राज्य धान के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। अमरावती के लिए चुनी गयी जगह प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध है। इन संसाधनों का संरक्षण आने वाले दशकों में इस क्षेत्र की पारिस्थितिक समरसता को तय करेगा।