Home / Government / भारतीय सेना – रैंक और भर्ती प्रक्रिया

भारतीय सेना – रैंक और भर्ती प्रक्रिया

June 28, 2018


Indian Army Ranks and Recruitment Process hindi

भारतीय थलसेना – रैंक और भर्ती प्रक्रिया

जब युद्ध और शांतिसंधि के लिए, बात आती है राष्ट्रसेवा की, तो सिर्फ एक ही संस्था हमारी नजरों के आगे आकर टिकती है और वह है भारतीय थलसेना। अपने प्रभावशावी प्रदर्शन के दम पर भारतीय सेना दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है, जिसमें 13,25,000 सक्रिय सिपाही और 21,43,000 आरक्षित सिपाही मौजूद हैं। हर साल एक लाख से ज्यादा उम्मीदवार जीडी (जनरल ड्यूटी या सामान्य सेवाओं) के लिए और हजारों अभ्यर्थी कमीशन-प्राप्त रैंक के लिए आवेदन करते हैं।

भारतीय सेना रैंक

भारतीय सेना - रैंक और भर्ती प्रक्रिया

भारतीय सेना के कमीशन-प्राप्त अधिकारी

रैंक– फील्ड मार्शल

प्रतीक चिन्हः एक क्रॉस बैटन पर राजनैतिक प्रतीक और खिला हुआ कमल

फील्ड मार्शल भारतीय थलसेना की सर्वोच्च रैंक हैं। यह एक औपचारिक और युद्धकालीन रैंक है। भारत के करीब सात दशक के इतिहास में सिर्फ दो ही सैन्य अधिकारियों को इस पद तक पदोन्नत किया गया है। एक हैं फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और दूसरे हैं फील्ड मार्शल केएम करियप्पा।

रैंक– जनरल

पहचानः एक पांच किनारों वाले स्टार के दोनों तरफ राष्ट्रीय प्रतीक, एक क्रॉस बैटन और कृपाण।

फील्ड मार्शल की मानद रैंक के बाद, यह किसी भी सैन्य अधिकारी की सर्वोच्च रैंक होती है। सिर्फ चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) ही यह रैंक हासिल कर सकता है।

मौजूदा पदाधिकारी– जनरल दलबीर सिंह, सीओएएस

सेवानिवृत्ति– सीओएएस पद पर तीन साल या 62 वर्ष उम्र, जो भी पहले हो

रैंक– लेफ्टिनेंट जनरल

पहचानः क्रॉस बैटन और कृपाण पर राष्ट्रीय चिह्न

लेफ्टिनेंट जनरल को (कमीशन प्राप्त सेवा में 36 साल तक रहने के बाद) चुना जाता है और वह वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ या आर्मी कमांडर्स का पद भी संभाल सकते हैं।

सेवानिवृत्ति– 60 वर्ष की उम्र होने पर

रैंक– मेजर जनरल

पहचानः क्रॉस बैटन और कृपाण पर पांच किनारों वाला स्टार

मेजर जनरल पद पर प्रमोशन चयन के जरिए (कमीशन सेवा में 32 साल तक रहने के बाद) होता है।

सेवानिवृत्ति– 58 वर्ष की उम्र होने पर

रैंक– ब्रिगेडियर

पहचानः तीन पांच किनारों वाले स्टारों की त्रिकोणीय संरचना पर राष्ट्रीय चिह्न।

ब्रिगेडियर के पद पर प्रमोशन चयन के जरिए (कमीशन सेवा में 25 साल रहने के बाद) होता है।

सेवानिवृत्ति– 56 वर्ष की उम्र होने पर

रैंक– कर्नल

पहचानः दो पांच किनारों वाले स्टारों पर राष्ट्रीय चिह्न।

कर्नल के पद पर प्रमोशन चयन के जरिए (कमीशंड सेवा में 15 साल रहने के बाद) होता है। समयमान के हिसाब से 26 साल की कमीशंड सेवा के बाद भी प्रमोशन मिलता है। हालांकि, समयमान से कर्नल पद तक पहुंचे अफसरों के पास लेफ्टिनेंट कर्नल का पोर्टफोलियो ही रहता है।

सेवानिवृत्ति – 54 वर्ष की उम्र होने पर

रैंक– लेफ्टिनेंट कर्नल

पहचानः पांच किनारों वाले सितारे पर राष्ट्रीय चिह्न।

कमीशन सेवा में 13 साल रहने के बाद समय-सीमा के आधार पर प्रमोशन मिलता है।

रैंक– मेजर

पहचानः राष्ट्रीय चिह्न

समय सीमा के हिसाब से 6 साल की कमीशन सेवा पूरी करने पर प्रमोशन मिलता है और यह पद मिलता है।

रैंक– कैप्टन

पहचानः तीन पांच–स्टारों वाले स्टार

दो साल की कमीशन सेवा पूरी होने पर समय सीमा के आधार पर यह प्रमोशन मिलता है।

रैंक– लेफ्टिनेंट

पहचान– दो पांच किनारों वाले स्टार

भारतीय थलसेना में एक अधिकारी के नाते कमीशन-प्राप्त करने पर यह रैंक मिलती है।

भारतीय थलसेना में जूनियर कमीश अधिकारी

रैंक– सुबेदार मेजर (इंफेन्ट्री या पैदल सेना) या रिसालदार मेजर (कैवलरी और आर्मर्ड रेजिमेंट्स या अश्वरोही और बख्तरबंद रेजिमेंट्स)

पहचानः स्ट्राइप के साथ सुनहरा राष्ट्रीय चिह्न

चयन के आधार पर प्रमोशन

सेवानिवृत्ति– 34 साल की सेवा या 54 वर्ष उम्र, जो भी पहले हो।

रैंक– सुबेदार (इंफेन्ट्री या पैदल सेना) या रिसालदार (कैवलरी और आर्मर्ड रेजिमेंट्स या अश्वरोही और बख्तरबंद रेजिमेंट्स)

पहचानः स्ट्राइप के साथ दो सुनहरे स्टार

चयन के जरिए प्रमोशन होता है।

सेवानिवृत्ति– 30 साल की सेवा या 52 वर्ष की उम्र में से जो भी पहले हो जाए

रैंक– नायब सुबेदार (पैदल सेना) या नायब रिसालदार (अश्वरोही और बख्तरबंद रेजिमेंट्स)

पहचानः स्ट्राइप के साथ एक सुनहरा स्टार

प्रमोशन चयन के आधार पर होता है

सेवानिवृत्ति– 28 साल की सेवा या 52 वर्ष की उम्र, जो भी पहले हो

भारतीय सेना के गैर–कमीश अधिकारी

रैंक– हवलदार (पैदल सेना) या दफादार (अश्वरोही और बख्तरबंद रेजिमेंट्स)

पहचानः तीन रैंक शेवरॉन

चयन के आधार पर प्रमोशन

सेवानिवृत्ति– 26 साल की सेवा या 49 वर्ष की उम्र, जो भी पहले हो जाए

रैंक– नायक (पैदल सेना) या लांस दफादार (अश्वरोही और बख्तरबंद रेजिमेंट्स)

पहचानः दो रैंक शेवरॉन

प्रमोशन चुनाव के आधार पर

सेवानिवृत्ति– 24 साल की सेवा या 49 वर्ष की उम्र, जो भी पहले हो

रैंक– लांस नायक (पैदल सेना) या प्रभारी लांस दफादार (अश्वरोही और बख्तरबंद रेजिमेंट्स)

पहचानः वन  रैंक शेवरॉन

प्रमोशन चुनाव के आधार पर

सेवानिवृत्ति– 22 साल की सेवा या 48 वर्ष की उम्र, जो भी पहले आ जाए

सैनिक

रैंक– सिपाही

पहचानः सादा कंधे का बिल्ला

सिपाही की पहचान उनके कोर से होती है, जिसमें वह सेवा देते हैं। उदाहरण के लिए, सिग्नल से एक सिपाही उसे सिग्नलमैन के रूप में पहचानते हैं, इन्फैंट्री से रिफ़लमान के रूप में और बख्तरबंद कोर से गनर के रूप में।

भर्ती प्रक्रियाः सामान्य सेवा

शैक्षणिक योग्यताः एसएसएलसी या मैट्रिक पास। कुल मिलाकर 45 प्रतिशत अंक की न्यूनतम अर्हता है और हर विषय में कम से कम 33 प्रतिशत अंक होना जरूरी है।

उम्र – 17 1/2 से 21 वर्ष

वैवाहिक स्थिति– अविवाहित पुरुष

शारीरिक दक्षता– क्षेत्र के हिसाब से शारीरिक दक्षता के मापदंड बदल जाते हैं, लेकिन सामान्य तौर पर जो दक्षता जरूरी बताई जाती है, वह है–

  • न्यूनतम कद 167 सेंमी. होना जरूरी है
  • उम्मीदवार का वजन 50 किलोग्राम से कम नहीं होना चाहिए
  • उम्मीदवार का सीना कम से कम 77 सेंटीमीटर होना चाहिए, जो फुलाने पर 5 सेंमी फूल जाए।

उम्मीदवारों को किसी भी तरह की संचारी बीमारी, संक्रमण और दिल की बीमारी नहीं होनी चाहिए। आंखों और कान से जुड़ी कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।

इंटरनेट या टीवी या रोजगार समाचार में विज्ञापन प्रकाशित होते हैं। उसे देखने पर उम्मीदवारों को आवेदन फार्म जमा करना होता है। चुनिंदा उम्मीदवारों को शारीरिक दक्षता परीक्षण में शामिल होने को कहा जाता है। जो चुने जाते हैं उनका मेडिकल टेस्ट होता है और जो चुने जाते हैं उनका एक लिखित टेस्ट लिया जाता है। इसमें सामान्य ज्ञान, गणित और कम्प्यूटर के प्रति जागरुकता से जुड़े प्रश्न किए जाते हैं।

अधिकारियों का चयन

स्थायी कमीशन

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए, पुणे)

उम्मीदवार 12वीं परीक्षा पास करने के बाद यूपीएससी की परीक्षा दे सकते हैं। चुने हुए उम्मीदवारों को पांच दिन चलने वाला सर्विसेस सिलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) का इंटरव्यू देना होता है। इसमें फिजिकल टेस्ट शामिल है। मेडिकल टेस्ट भी कराया जाता है। पास होने वाले कैडेट्स को विकल्प दिए जाते हैं (थलसेना, नौसेना, वायुसेना)। ट्रेनिंग के बाद उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून भेजा जाता है, जहां कमीशन होने से पहले एक साल तक उम्मीदवारों को रहना होता है।

कम्बाइंड डिफेंस सर्विस एग्जामिनेशन (सीडीएसई)

उम्मीदवार ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में या ग्रेजुएट डिग्री होने पर यूपीएससी की ओर से आयोजित सीडीएस प्रवेश परीक्षा में भाग ले सकते हैं। एसएसबी और मेडिकल टेस्ट पास करने के बाद उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में 18 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद उन्हें कमीशन मिलता है।

यूनिवर्सिटी एंट्री स्कीम (यूईएस)

इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष से पहले के उम्मीदवार यूईएस के जरिए आवेदन दे सकते हैं। चुने हुए उम्मीदवारों को आईएमए, देहरादून में एक साल की ट्रेनिंग दी जाती है। कोर्स पूरा होने पर अफसरों को एक साल की सीनियरिटी, प्रमोशन और इंक्रीमेंट्स दिए जाते हैं।

टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स

यह यूईएस की तरह ही है, लेकिन यह बीई या बी टेक के अंतिम वर्ष के उम्मीदवारों के साथ ही बीई या बीटेक डिग्री हासिल कर चुके उम्मीदवारों के लिए भी है।

एईसी (पुरुष)

जिन उम्मीदवारों ने एमए/एम.एससी/एम.कॉम/एमसीए/एमबीए जैसी स्नातकोत्तर डिग्री (अधिसूचित विषयों में) हासिल की है, प्रथम या द्वितीय श्रेणी में, वह आवेदन कर सकते हैं। 12 महीने की ट्रेनिंग के बाद स्थायी कमीशन दिया जाता है।

ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, गया

जिन उम्मीदवारों ने 10+2 परीक्षा 70 प्रतिशत अंकों के साथ भौतिकी, रसायन और गणित विषयों के साथ पास की है, वह नोटिफिकेशन में कट–ऑफ के आधार पर आवेदन कर सकते हैं। एसएसबी इंटरव्यू के बाद योग्य कैडेट्स को ओटीए, गया भेजा जाता है। वहां बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण और तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाता है।

शॉर्ट सर्विस कमीशन

थलसेना महिलाओं और पुरुषों के लिए 10 से 14 वर्ष की शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) का विकल्प भी देती है।

एसएससी एंट्री इनमें से किसी भी श्रेणी के लिए हो सकती है– टेक्निकल, नॉन–टेक्निकल, जेएजी या एनसीसी एंट्री।

Summary
Article Name
भारतीय सेना - रैंक और भर्ती प्रक्रिया
Author

Like us on Facebook

Recent Comments

Archives
Select from the Drop Down to view archives