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सरकार ने नई मेट्रो नीति को दी मंजूरी

August 18, 2017


Govt-approves-new-metro-policyमेट्रो परिवहन सबसे कुशल और प्रभावी सार्वजनिक परिवहन में से एक है। मेट्रो परिवहन सेवा कई शहरों में सेवा प्रदान कर रही है और लोगों के बीच यह सेवा बहुत लोकप्रिय है तथा अधिक से अधिक मात्रा में यात्री इस सेवा का आनंद उठाते हैं। एक नई प्रमुख योजना के विस्तार के आधार पर केन्द्र सरकार ने एक नई मेट्रो रेल नीति को मंजूरी दी है। इस योजना को नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है, इस योजना का उद्देश्य मेट्रो के विकास के साथ कई भारतीय शहरों में मेट्रो सेवाओं को लागू करना है। इस योजना का दस्तावेज 14 पेज का है, यह 2002 में दिल्ली में मेट्रो के शुभारम्भ के बाद दस्तावेजों के बाद दूसरा सबसे बड़ा दस्तावेज है। इस योजना के दस्तावेज में कई प्रमुख बिन्दु शामिल हैं, इसमें दिए गए बिन्दु न केवल वित्त वापसी पर जोर देते हैं बल्कि पर्यावरण तथा सुरक्षा मामलों के लाभों पर भी जोर देते हैं।

योजना के मुख्य बिंदु

सबसे प्रमुख बिंदुओं में, एक सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु है जो महानगरों के वित्तपोषण से संबंधित है। नई योजना ने केंद्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए निजी भागीदारी को अनिवार्य बना दिया है। यह योजना निजी उद्यमियों के लिए एक बड़ा बढ़ावा है क्योंकि इस योजना के माध्यम से निजी निवेशों के लिए सफलतापूर्वक नई खिड़की खोल दी गई है। निजी क्षेत्रों की भागीदारी को सभी विकल्पों में अनिवार्य कर दिया गया है। यह राज्य और केंद्र सरकार के बीच का एक 50:50 का न्याय संगत सहभाजन मॉडल है। एक अन्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर वित्त मंत्रालय की व्यवहार्यता अंतर अनुदान के तहत केन्द्रीय सहायता के साथ परिकल्पित है। तीसरा विकल्प एक केन्द्रीय अनुदान प्रदान करेगा जिसके तहत परियोजना की लागत का 10 प्रतिशत एक ही भुगतान में दिया जाएगा।

देश अधिक क्षमता और पूंजीगत गहन मेट्रो परियोजनाओं की मांग का गवाह रहा है और इसे पाने के प्रयास में है, निजी भागीदारी मेट्रो रेल के पूर्ण प्रावधान या कुछ असंगठित घटकों दोनों के लिए हो सकती है, जिनमें संचालन, स्वचालित किराया संग्रह, या रखरखाव शामिल हैं।

अभी भी कई मेट्रो स्टेशनों पर अंतिम व्यक्ति तक जुड़ाव की कमी है। इस प्रकार योजना में कहा गया है कि प्रत्येक मेट्रो रेल प्रस्ताव में फीडर सिस्टम, नॉन-मोटराइजड ट्रांस्पोर्ट (परिवहन) अवसंरचना और पैरा ट्रांस्पोर्ट सुविधा के प्रस्ताव होंगे जो मेट्रो स्टेशन के जलग्रहण (कैचमेंट) क्षेत्र को लगभग 5 किमी तक बढ़ा सके।

यह नीति राज्यों को बेहतर वेतन प्रदान करती है। इस योजना में उन क्षेत्रों से शुल्क लिया जाएगा जो मेट्रो परियोजनाओं की शुरूआत में लाभान्वित होंगे। लेकिन, नीति स्पष्ट रूप से बताती है कि मेट्रो परियोजना को व्यवहार्य होना चाहिए और यदि केवल सार्वजनिक परिवहन के अन्य तरीकों की तुलना में अधिक लागत प्रभावी हो तो प्रस्तावित किया जाएगा।

आने वाली नई मेट्रो परियोजनाएं

दिल्ली मेट्रो की सफलता ने अन्य राज्यों को अपने प्रमुख शहरों में मेट्रो स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया है। मेट्रो द्वारा यात्रा से समय की बचत होती है और यह सुविधाजनक है। वर्तमान में, दिल्ली मेट्रो की तरह आठ शहरों में मेट्रो का संचालन हुआ है, ये शहर दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, कोच्चि, मुंबई, जयपुर और गुरुग्राम हैं। इस बीच, 13 शहरों में मेट्रो परियोजनाएं प्रगति पर हैं। इसमें आठ शहर वे भी शामिल हैं जहां मेट्रो पहले से ही कार्यरत है। जिन शहरों में काम चल रहा है, उनमें हैदराबाद, नागपुर, अहमदाबाद, पुणे और लखनऊ शामिल हैं। मेट्रो परियोजनाएं 13 शहरों में योजना और मूल्यांकन के विभिन्न चरणों में हैं, जिसमें दस नए शहर शामिल हैं। इनमें दिल्ली मेट्रो फेश IV, दिल्ली और एनसीआर, विजयवाड़ा, विशाखापट्टनम, भोपाल, इंदौर, कोची मेट्रो फेश II (द्वितीय), ग्रेटर चंडीगढ़ रीजन मेट्रो प्रोजेक्ट, पटना, गुवाहाटी, वाराणसी, तिरुवनंतपुरम और कोझीकोड़ (लाइट रेल ट्रांसपोर्ट) और चेन्नई फेश II (द्वितीय) शामिल हैं।

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