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त्यौहारी सीजन पर जीएसटी का प्रभाव – कुछ नहीं हुआ मुफ्त

August 8, 2017


GST-impact-on-festive-season-hindiभारत में राखी, दुर्गा पूजा, दिवाली और कई अन्य त्यौहारों का मौसम तेजी से करीब आ रहा है। भारत में त्यौहारों का मौसम खरीदारी के लिये एक जैसा बन गया है, इस समय लोग हर चीज जैसे कपड़ों, आभूषणों और खाद्य पदार्थों आदि की खरीदारी करने के लिए टूट पड़ते हैं। प्री-जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) के समय में खुदरा व्यापारी, ब्रांडेड स्टोर और मॉल भारी छूट या कुछ मुफ्त सेवायें प्रदान करके इन त्यौहारों के मौसम में अपने ग्राहकों को लुभाने की पूरी कोशिश किया करते थे। भारत में ग्राहकों को उनकी पसंदों के लिए बहुत खराब तरीके से इस्तेमाल किया जाता है।

लेकिन अब ज्यादा नहीं।अब आपको निश्चित कपड़ों की खरीदारी पर टी-सेट (चाय का सेट) या पैक किये गये भोजन का एक पैकट खरीदने पर एक पैकट मुफ्त में नहीं मिलेगा।

जीएसटी लागू हो जाने के बाद उपभोक्ता वस्तुओं से संबंधित कई कंपनियाँ ग्राहकों को लुभाने के लिए नये तरीकों पर विचार कर रही हैं। इसके निम्नलिखित कारण हैं:

  • पहले से दिये गये गिफ्ट वाउचर, छूट और मुफ्त प्रदान की गई वस्तुएं भी जीएसटी के दायरे में आ जायेंगी।
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट (खरीद के मूल्य के अनुसार कर में कटौती) केवल उन वस्तुओं पर लागू हो सकता है जिनका कुछ आर्थिक मूल्य है या अपनी (प्राइस टैग) कीमत है। किसी भी ऐसे उत्पाद पर जिसका मूल्य शून्य हो अर्थात जो ग्राहक को मुफ्त में उपलब्ध करवाया जा रहा हो, पर कटौती का लाभ नहीं लिया जा सकता है। इससे उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनियों को दोहरा नुकसान होगा, क्योंकि सामान खरीदने पर वे कटौती का लाभ नहीं ले सकते हैं और इसके लिए जीएसटी का भुगतान भी करते हैं।

खुदरा विक्रेताओं ने अभी जीएसटी की नई कर प्रणाली के साथ सही तरीके से लेन-देन नहीं किया है और इसमें वे भ्रमित हैं, इसके अंतर्गत एक बड़ी राशि का भुगतान किया जाना है। विक्रेताओं की परेशानियों को और बढ़ाने के लिए इस वर्ष त्यौहारों की शुरूआत जल्द ही हो गई है।

  • परंपरागत भारतीय धागे से बनी हुई राखी पर शून्य जीएसटी लगाया जायेगा। फैंसी राखियों पर उनको बानाने में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के आधार पर जीएसटी लगाया जायेगा, यह न केवल निर्माताओं के लिए बल्कि ग्राहकों के लिए भी समस्या का एक कारण होगा।
  • चॉकलेट और भारतीय मिठाइयाँ अलग-अलग जीएसटी दरों को आकर्षिक करती हैं, चॉकलेट के स्वाद वाली भारतीय मिठाइयों पर जीएसटी के तहत लगाए जाने वाले टैक्स की दर स्पष्ट नहीं की गई है। हालांकि सरकार ने इस अस्पष्टता को दूर करके सभी भारतीय मिठाइयों पर 5 प्रतिशत जीएसटी टैक्स लगाने का फैसला लिया है।
  • बंगाल के कुमारतुली के कुम्हार साल के इस समय देवी दुर्गा की मूर्तियाँ बनाने में काफी व्यस्त हैं। इस साल लागू हुई नई कर प्रणाली ने कुम्हारों के साथ-साथ ग्राहकों के बीच मूर्ति के बजट से संबंधित काफी भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।

इस समय, भारतीय बाजार के सभी खुदरा विक्रेताओं को अग्रिम छूट को अपनाना होगा (सीधे छूट की दर चक्रवृद्धि के बिना लागू होती है)। खाद्य उद्योग के साथ-साथ निम्नलिखित प्रसिद्ध खुदरा कपड़ा व्यापारी निम्नलिखित योजनाएं बना रहे हैं-

  • वीरो मोडा, एंड और ओनली ने सीधे छूट देने का विकल्प चुना है।
  • पारले के उत्पाद एक के साथ एक मुफ्त (बाय वन गेट वन फ्री) से दूरी बनाये हुए हैं, यह अग्रिम छूट में जा रहे हैं।
  • डाबर और मैरिको को कॉम्बो पैक और प्राइस-ऑफर का विकल्प चुनना होगा।
  • डोमिनोज़ और पिज्जा हट एक की खरीद पर एक मुफ्त (बाय वन गेट वन फ्री) के ऑफर से दूर रहेंगे। इसके स्थान पर उन्होंने 2 पिज्जा की बिक्री पर 50 प्रतिशत की छूट की पेशकश की है।

ग्राहकों पर प्रभाव

हालांकि ग्राहक त्यौहार के इस मौसम में भी आकर्षण का केंद्र होगें, खुदरा विक्रेता उनको लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। वे ग्राहकों को अब अगली खरीदारी के लिए एक गिफ्ट वाउचर या इसी प्रकार के किसी उपहार को देने की संतुष्टि नहीं देगें, जो लगभग हमेशा मजेदार लगता है क्योंकि इसे देखा और महसूस किया जा सकता है। छूट का लाभ प्राप्त करने की खुशी केवल कुछ समय के लिए होती है, लेकिन पिज्जे में मिली उस छूट से कुछ समय के लिए खुशी बढ़ जाती है जो इसे एक नये स्तर पर ले जाती है।

जैसा कि पहले से ही बताया जा चुका है त्यौहार खरीदारी के लिये एक जैसे बन गये हैं, लेकिन इस साल मुफ्त उपहार और गिफ्ट वाउचर की कमी के कारण खरीदारी केवल जरूरत की वस्तुओं तक ही सीमित हो सकती है। अब लोग वास्तव में उन वस्तुओं को नहीं खरीदेगें जो जरूरत न होने पर केवल मुफ्त में एक गिफ्ट प्राप्त करने के लिए खरीद लेते थे। यह हमारे और ग्राहकों के लिए एक बड़ी खुशी की बात है।

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