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हेग ने किया जाधव के पक्ष में पाकिस्तान की कमियों का खुलासा

May 22, 2017


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पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव, पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी और आतंकवाद में कथित संलिप्तता के लिये देश की सैन्य अदालत द्वारा दोषी ठहराये गये थे। इस्लामाबाद के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा जाधव की फाँसी रोकने के आदेश पर पाकिस्तान भड़क गया है। हेग स्थित 12-बेंचीय सदस्य अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि “पाकिस्तान यह सुनिश्चित करे कि अंतिम फैसला आने तक जाधव को प्रताड़ित नहीं किया जायेगा और मौजूदा आदेश के कार्यान्वयन में किये गये उपायों के बारे में अदालत को सूचित करेगा।” पाकिस्तानी मीडिया और विपक्ष में मचे घमासान के कारण यह मामला देखा गया। उन्होंने इस मामले में प्रभावी कानूनी टीम चुनने में कमजोर होने के कारण नवाज शरीफ की आलोचना की। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के आलोचकों ने उनको भारत को “सेलिंग आउट” (अपने व्यक्तिगत लाभ के बदले किसी व्यक्ति की अखंडता, नैतिकता, प्रमाणिकता या सिद्धान्तों से खिलवाड़ करना) करने का आरोप लगाया। उन्होंने तर्क दिया कि आईसीजे का यह आर्डर “कर्वट डील” का परिणाम था। इस सम्बन्ध में वे यह बताते है की आईसीजे के आदेश से कुछ दिन पहले ,  भारतीय उद्योगपति सज्जन जिंदल और नवाज शरीफ के बीच  पाकिस्तान के मुरी में एक गुप्त बैठक आयोजित हुई थी । पाकिस्तान के आईसीजे के सदस्य होने के कारण, जाधव का मामला हेग स्थित अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, यह इस संबंध में जारी किये गये आदेश के खिलाफ नहीं जा सकता है।

पाकिस्तान द्वारा हेग में नई कानूनी टीम और एक न्यायाधीश भेजना

पाकिस्तान जाधव का केस लड़ने के लिये, आईसीजे में केवल नई कानूनी टीम ही नहीं बल्कि एक जज को भी भेजने पर विचार कर रहा है। लेकिन सवाल यह है किः कैसे पाकिस्तान ने, जाधव को धोखे और फर्जीवीड़े के आधार पर दोषी ठहराकर अपनी चाल की रक्षा की है? किसी कानूनी टीम को केस लड़ने के लिये पर्याप्त प्रमाण की आवश्यकता होती है। लेकिन इसे पाकिस्तानी समाज का हास्यजनक रूप कहा जा सकता है कि आईसीजे में प्रभावी ढंग से यह केस लड़ने के लिये उनके देश में प्रभावशाली कानूनी मस्तिष्क नहीं है, न ही इसके पास हेग के न्यायाधीशों को प्रभावित करने के लिये पर्याप्त दस्तावेजी सामग्री है। दूसरे, यह समझना चाहिये कि जाधव को बचाने के लिये भारत ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है, जबकि पाकिस्तान ने अपने अहंकार और प्रतिष्ठा को बचाने के लिये अपनी पूरी ताकत लगा ही है, यह संदेह है कि क्या आईसीजे कोर्ट मानव जीवन को अहंकार की वेदी पर बलिदान करने की अनुमति देगी। इसका मतलब यह है यदि पाकिस्तान भारत के खिलाफ लड़ता है तो वह फिर से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपना मजाक उड़ाएग। इन सभी में, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पाकिस्तान द्वारा आईसीजे के आदेश का उल्लंघन किए जाने पर, उसे अंतर्राष्ट्रीय अपमान से बचने की इजाजत नहीं होगी जो इसे सामना करना पड़ सकता है। आईसीजे के आदेश के बावजूद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी को दंडित करना पाकिस्तान के लिये एक बड़ी मुसीबत बन सकता है। दुनिया भर में ऐसे कई उदाहरण सामने आये हैं जब आईसीजे के आदेश का विभिन्न (गलत) प्रकार से पालन किया गया है। मैक्सिको द्वारा 2004 में अमेरिका में मौत की सजा पाये कई मैक्सिको के लोगों के लिये राहत की मांग करना आईसीजे का ही दृष्टिकोण था। आईसीजे ने आमेरिका को इस मुद्दे पर पुनः विचार करने का निर्देश दिया था। भारत इसी तरह के कार्य का अनुसरण कर सकता है।

क्या है पाकिस्तान की समस्या?

पाकिस्तान की समस्या कई गुना है, यह सही और गलत में अंतर करने में सक्षम नहीं है, ऐसा लगता है कि भारत पर नैतिक जीत हासिल करने के अलावा वह जाधव को दंडित करके अपने घिनौने भारतीय शत्रुओं के निर्वाचन क्षेत्र को खुश कर लेगा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये, इस्लामाबाद आईसीजे में एक पाकिस्तानी जज की नियुक्ति पर विचार कर रहा है। पाकिस्तान को यह ध्यान रखना चाहिऐ कि 12 सदस्यीय न्यायालय में एक भारतीय जज-दलवीर भंडारी भी शामिल हैं। आईसीजे शासन के अनुच्छेद 31 के अनुसार- यदि किसी पार्टी की राष्ट्रीयता का न्यायाधीश इसमें शामिल है, तो अन्य पार्टी एक व्यक्ति को न्यायाधीश के रूप में  नियुक्त करने का विकल्प चुन सकती है। यदि पैनल में पार्टियों की राष्ट्रीयता का कोई न्यायाधीश शामिल नहीं है तो एक तदर्थ (विशेष अवसर के लिये एक या अधिक बार, एक या अधिक मामलों के लिये) न्यायाधीश भी चुना जा सकता है। इस विकल्प को देखते हुऐ, पाकिस्तान को स्वयं के लोगों द्वारा गंभीर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। यह स्वयं के तदर्थ न्यायाधीश को पैनल में जगह देने की योजना बना रहा है। लेकिन फिर, पाकिस्तान को ऐसे ही न्यायाधीश मिलते हैं जिन्होंने जाधव के अधिकारों का उल्लंघन किया हुआ होता है (उन्हें कांसुलर और वकील से मिलने को वंचित कर दिया गया था), कैसे एक अकेले न्यायाधीश की आवाज इस फैसले को मजबूती प्रदान कर सकती है? फिर भी पाकिस्तान कम प्रतिष्ठा वाला एक बुरा देश है, यह आईसीजे के आदेश को अस्वीकार कर सकता है और जाधव को घरेलू निर्वाचन क्षेत्र को संतुष्ट करने के लिए दंडित कर सकता है।

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