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स्वास्थ्य और स्वाद – भारतीय मसाले का जादू

July 13, 2017


indian-spicesसामान्य मसाले जो कि हम अपने रसोई घर में उपयोग करते हैं, वास्तव में जब इनसे जुड़े स्वास्थ्य लाभों को ध्यान में रखा जाता है तो ये सामान्य नहीं रह जाते हैं। हर मसाले का अपना ही एक अलग स्वाद होता है जो हर व्यंजन को सम्पूर्णता प्रदान करता है क्योंकि केवल नमक हमारे स्वाद को पूरा नहीं कर सकता है। यहाँ तक कि अब वैज्ञानिक भी प्रत्येक मसालों से जुड़े स्वास्थ्य लाभों को जानने के लिए भारतीय रसोई में आने को उत्सुक हैं। जहाँ उचित मात्रा में इन मसालों का उपयोग करने से शरीरिक स्वास्थ्य लाभ होता है वहीँ इनके अत्यधिक प्रयोग से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है। कुछ लोकप्रिय मसाले जो दैनिक जीवन में अक्सर भारतीय रसोई घरों में उपयोग किए जाते हैं, उनका उल्लेख नीचे किया गया है:

लोकप्रिय भारतीय मसालों की सूची

हल्दी

चाहे उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत, हल्दी का उपयोग लगभग हर भारतीय भोजन में किया जाता है। इसमें जीवाणुरोधी और एंटीसेप्टिक गुण पाये जाते हैं। इसमें यकृत में विषहरण करने की क्षमता होती है। यह कैंसर को रोकने तथा दर्द निवारक के रूप में कार्य करती है और आंतरिक घावों के उपचार के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।

इलायची

इलायची का स्वाद सबसे अलग होता है यही वजह है कि ज्यादातर भारतीय मीठे व्यंजन जैसे कि खीर और यहाँ तक ​​कि चाय जो हम रोजाना पीते हैं उसमें अगर इलायची न डाली जाए तो चाय अधूरी लगती है। श्वसन क्रिया को नियंत्रित रखने में यह अत्यधिक लाभदायक है। पारंपरिक आयुर्वेद के अनुसार, इलाइची का उपयोग पाचन तंत्र में होने वाले विकारों के उपचार के लिए किया जाता है और यह अम्लरोग, गैस तथा पेट से संबंधित सभी बीमारियों के लिए बहुत सहायक होती है।

लाल मिर्च (लाल मिर्च)

लाल मिर्च का उपयोग भोजन को तीखा करने के लिए किया जाता है लेकिन इसके अधिक उपयोग से आपके भोजन का स्वाद बिगड़ सकता है। लाल मिर्च में बीटा कैरोटीन पाया जाता है जो फलों की तरह रोगप्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव डालता है और धूम्रपान के कारण फेफड़े के कैंसर को रोकने में मदद करता है।

लवंग (लौंग)

प्राचीन काल से यह ज्ञात किया जा चुका है कि लवंग (लौंग) लगभग सभी प्रकार की दन्त समस्याओं, विशेष रूप से दाँत दर्द और मसूड़ों में सूजन के लिए अधिक लाभप्रद है। मसाला और गर्म मसाला तैयार करने के लिए लौंग का प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग पाचन संबधी समस्याओं, खाँसी और ठंड के उपचार के लिए भी किया जाता है।

जीरा

चावल में खुशबू और बेहतरीन स्वाद के लिए जीरे का उपयोग किया जाता है। भारतीय सब्जियों और दाल को स्वादिष्ट बनाने में भी यह काफी उपयोगी है। जीरा हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखता है। मिस्र के लोगों ने ममी बनाने की प्रक्रिया के लिए भी जीरे का इस्तेमाल किया था। इन बीजों में स्थित फाइबर सामग्री में कवक (एंटी फंगल) और रेचक (लैक्सेटिव) गुण पाये जाते हैं। गर्मी को मात देने के लिए, भुने हुए जीरे को पीसकर और उचित मात्रा में नमक मिलाकर ठंडी लस्सी बनाई जाती है। जीरा संक्रामक रोगों, जैसे जुकाम से लड़ने में भी मदद करता है। यह एनीमिया और पाचन विकारों का भी इलाज करता है।

सरसों (राई)

सरसों का तेल हर भारतीय घर में अच्छी तरह से जाना जाता है। इसका उपयोग कई उद्देश्यों में एक समान रूप से किया जाता है, आपको भारतीय बाथरूम में भी सरसों के तेल की बोतल देखने को मिलेगी। सरसों ओमेगा -3 फैटी एसिड, जिंक, कैल्शियम, आयरन, विटामिन – बी तथा ई आदि में समृद्ध होती है। इसमें पाए जाने वाले लाभकारी खनिज हड्डियों और दांतों को मजबूत रखते हैं, लाल रक्त कणिकाओँ के उत्पादन को बढ़ाते हैं तथा पाचन तंत्र के कुशल संचालन में सहायता प्रदान करते हैं।

काली मिर्च

काली मिर्च का इस्तेमाल व्यंजनों में सजावट के लिए किया जाता है। इसमें खांसी, सर्दी और अन्य संक्रमणों से लड़ने के लिए भी महत्वपूर्ण औषधीय गुण पाये जाते हैं। यह पाचन तंत्र और मांसपेशियों के दर्द में सहायता प्रदान करती है यह मूत्रवर्धक गुणों वाला मसाला है और शरीर से ठीक प्रकार पसीना निकलने में मदद करता है। इसके सेवन से विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

हींग

हींग का उपयोग मसाले के रुप में किया जाता है। यह खांसी तथा पेट दर्द में भी उपयोगी है। यह पाचन क्रिया में होने वाली बाधाओँ को दूर करती है। इसमें श्वसन क्रिया में होने वाली संमस्याओँ जैसे अस्थमा और मस्तिष्क संबंधी समस्याओं का उपचार करने के औषधीय गुण पाये जाते हैं। अफीम के विषाणुओँ को नष्ट करने वाले गुणों से सम्पन्न होने के कारण हींग का उपयोग अफीम की लत छुड़वाने में भी किया जाता है।

दालचीनी

पेड़ की छाल की तरह दिखने वाला यह मसाला भरपूर ताजगी प्रदान करने वाले गुणों का खजाना है। यह मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है। इसके सेवन से दस्त, सर्दी, मासिक धर्म तनाव और कमजोर रक्त संचालन से आराम मिलता है।

काली इलायची (बड़ी इलायची)

आमतौर पर इसका उपयोग पुलाव में किया जाता है। इसका उपयोग फूले हुए पेट (गैस या अपच संबधी रोग) तथा पाचन संबंधी रोगों के उपचार के लिए किया जाता है, यह पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने में सहायता प्रदान करता है। इनमें से केवल एक मसाले के उपयोग से भोजन में एक बड़ा बदलाव आ जाता है। स्वस्थ रहने और स्वादिष्ट भोजन के लिए इन मसालों को उपयोग करें।