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भारत में हेपेटाइटिस सी का इलाज सम्भव है

July 15, 2016


भारत में हेपेटाइटिस सी का इलाज सम्भव है

भारत बनेगा हेपेटाइटिस सी के निदान का बड़ा बाजार

हेपेटाइटिस सी एक संक्रमण है, जो हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) की वजह से होता है। यह लीवर (यकृत) को प्रभावित करता है और उसमें जलन पैदा करता है। यदि सही इलाज न मिले तो यह वायरस घातक और जानलेवा साबित हो सकता है। हालिया खबरों के मुताबिक, इस वायरस ने दुनियाभर में 15 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाया है। इनमें भी 1.2 करोड़ लोग तो भारत में ही हैं।

हेपेटाइटिस सी

यह एक संक्रमण है जो सीधे-सीधे लीवर को प्रभावित करता है, लेकिन इसके कोई लक्षण नहीं हैं। यह दूषित खून से शरीर में फैलता है। वजहों में गंदे और दूषित चिकित्सकीय उपकरण और असुरक्षित खून को चढ़ाना शामिल है। इंट्रावेनस दवाओं के इस्तेमाल, यौन संभोग, दूषित सुइयों से टैटू बनाने और रेजर व टूथब्रश जैसे निजी सामान को किसी और के साथ साझा करने से भी हेपेटाइटिस सी संक्रमण हो सकता है। वैसे तो इस संक्रमण के लक्षण नहीं हैं, लेकिन कुछ पुराने मामलों में निम्न लक्षण उभर सकते हैं-

लीवर सिरोसिस और लीवर पर घाव पैदा होना – लीवर फेल होना, लीवर में कैंसर, एसोफेजियल या गैस्ट्रीक वैराइसेस

बढ़ती आबादी और दुनियाभर में बढ़ती जागरुकता की वजह से भी हेपेटाइटिस सी के इलाज में महत्वपूर्ण स्तर पर बढ़ोतरी हुई है। कई तरह के इलाज, जैसे- दवाएं, सर्जरी और वैकल्पिक दवाएं भी इस बीमारी का इलाज करने के लिए उपलब्ध है। हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में पैन-जिनोटाइपिक दवा का विकास हुआ है।

हेपेटाइटिस सी के लिए दवा बनाने में सफलता

हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका में जिलीड साइंसेस ने एपक्लूसा नाम की दवा बनाई है जो हेपेटाइटिस सी का इलाज करने में कारगर है।
यह दवा हेपेटाइटिस के सभी तरह के जिनोटाइप्स का इलाज कर सकती है और इसे यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से मंजूरी भी मिल चुकी है।

एपक्लूसा पहली और इकलौती ऐसी दवा है, जो पैन-जिनोटाइपिक (दवाएं जो हर तरह के जिनोटाप के खिलाफ कारगर) है और एक ही टेबलेट हेपेटाइटिस सी वायरस के पुराने इंफेक्शन का निदान कर सकती है;

इस दवा का लाभ यह है कि इस दवा को देने से पहले जिनोटाइप का टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है और यह दवा सभी सात जिनोटाइप्स के खिलाफ काम करती है;

जिनोटाइप टेस्टिंग की जरूरत न पड़ने का मतलब है कि उसके लिए अतिरिक्त खर्च नहीं उठाना पड़ता;

यह दवा उन सभी को दी जा सकती है, जो टेस्ट में हेपेटाइटिस सी के लिए पॉजीटिव पाए गए हो, और एक गोली 8-12 हफ्ते के लिए बचाव कर सकती है।

न्यूयॉर्क सिटी में माउंट सिनाई बेथ इजरायल में डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन में एमडी और चेयरमैन इरा जैकबसन एपक्लूसा क्लिनिकल ट्रायल्स की प्रमुख जांचकर्ता थी। उनका कहना है- “एपक्लूसा को मंजूरी मिलना एचसीवी के नियंत्रण और निदान की दिशा में वैश्विक प्रयासों को एक कदम आगे ले जाता है। यह एक सुरक्षित, सरल और प्रभावी निदान है जो बहुसंख्यक एचसीवी-संक्रमित मरीजों का मर्ज दूर कर सकता है और वह भी सब तरह के जिनोटाइप पर कारगर है।”

भारत में एपक्लूसा के उत्पादन का लाइसेंस

भारत में भी एपक्लूसा के जरिए हेपेटाइटिस सी वायरस के निदान का लाभ मिलने वाला है। यह दवा जल्द ही भारत में भी उपलब्ध होगी। अमेरिकी अधिकारियों से अनुमति मिलने के बाद 11 भारतीय कंपनियां अमेरिकी निर्माता से लाइसेंस खरीदने की तैयारी में हैं। इस दवा को विकसित करने वाला जिलीड साइंसेस, अपने 11 भारतीय साझेदारों के साथ मिलकर, वायरल हेपेटाइटिस और एचआईवी का किफायती इलाज खोजने की कोशिश भी कर रहा है। वह भी स्वैच्छिक लाइसेंसिंग मॉडल के तहत जो हस्तांतरणयोग्य तकनीकी के साथ ही बौद्धिक संपदा (आईपी) में मदद करेगा।

भारतीय बाजारों में एपक्लूसा के जेनेरिक वर्जन उपलब्ध रहेंगे – भारत जेनेरिक दवाओं के उत्पादन में बहुत क्षमतावान है;

एक बार लाइसेंसिंग मॉडल भारत आया तो उसके भारतीय साझेदार सस्ती और निश्चित तौर पर कम लागत में अच्छी गुणवत्ता वाली दवा बनाने लगेंगे;
बौद्धिक संपदा अधिकार हस्तांतरित करना भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि भारत के पास अफ्रीका, एशिया, पूर्वी यूरोप और मंगोलिया जैसे इलाकों के देशों और बाजारों तक स्थापित सप्लाई चेन है;

भारत भी ज्यादा से ज्यादा मरीजों तक पहुंचने में जिलीड साइंसेस की मदद कर सकता है और अल्प-विकसित देशों में हेपेटाइटिस सी से पीड़ित मरीजों की जान बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है;

भारत की तेजी से बढ़ती जनसांख्यिकी और अर्थव्यवस्था से हेपेटाइटिस सी के निदान के वैश्विक बाजार में भारत के लिए प्रचुर संभावनाएं हैं।
हकीकत में तो यह भारत के लिए अच्छी खबर है। न सिर्फ स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बल्कि राजस्व और रोजगार अवसर पैदा करने की दिशा में भी। एपक्लूसा दवा के उत्पादन के लिए फैक्टरियां लगेंगी तो रोजगार आदि में उसका लाभ मिलेगा।

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विजि आत्रेय