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कितने सुरक्षित हैं हमारे खाद्य पदार्थ?

July 14, 2017


food-controversiesपिछले कुछ सालों में, सरकार और खाद्य सुरक्षा नियामकों के सख्त रवैये के तहत, लोकप्रिय खाद्य पदार्थों की सुरक्षा और गुणवत्ता के मानकों से संबंधित कई विवाद सामने आये हैं। मैगी नूडल्स के विवाद से पहले, कई और भी ऐसे खाद्य पदार्थ थे जिनके कारण विवाद उत्पन्न हुआ था। आइए हम कुछ सबसे विवाद वाले खाद्य और पेय उत्पादों के बारे में चर्चा करें, जिनका भारत पिछले कुछ सालों से सामना कर रहा था। हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि विवाद के बाद क्या हुआ, सरकार द्वारा क्या कार्यवाई की गई, कंपनी की सुरक्षा रेखा और अंतिम परिणाम क्या रहा।

मैगी नूडल्स

कंपनी – नेस्ले इंडिया

आओ इसकी शुरुआत मैगी नूडल्स से करते हैं, जो किसी भी समय कहीं पर भी दो मिनट में तैयार की जा सकती है। यह सभी की एक पसंदीदा खाद्य सामग्री थी। इसे तैयार करना बहुत आसान है, यह खाने में स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और पेट भरने के लिए उपयुक्त है। फिर भी इस पर विवाद पैदा हुआ।

  • विवाद का कारण – उच्च लेड (सीसा) और मोनोसोडियम ग्लूटामेट – मई 2014 में उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा नियामकों ने बताया कि मैगी नूडल्स में मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) की मात्रा उच्च थी। मैगी में पाये जाने वाले लेड (सीसा) की मात्रा भी अनुमोदित सीमा से ज्यादा पाई गई। एफएसडीए के अधिकारियों ने बताया कि मैगी में पाये जाने वाले लेड (सीसा) की मात्रा 17.2 पीपीएम पाई गई, जबकि इसकी स्वीकार्य सीमा 00.1 पीपीएम से 2.5 पीपीएम के बीच थी।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव – आवश्यकता से अधिक लेड (सीसा) और मोनोसोडियम ग्लूटामेट की मात्रा शरीर के लिए घातक होती है जो हर अंग को क्षति पहुँचा सकती है। यदि लेड (सीसा) और मोनोसोडियम ग्लूटामेट का अधिक समय तक सेवन किया जाये तो यह शरीर के कई अंगों जैसे यकृत (लीवर), गुर्दे (किडनी), दिमाग और हड्डियों तक फैल सकता है जो लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों का कारण बनता है। यह बच्चों पर अधिक प्रभावी होता है।
  • सरकारी कार्यवाही – मैगी की जाँच के बाद, जून 2014 में भारत सरकार और भारत के खाद्य नियामक ने मैगी की सभी प्रकार की किस्मों को बाजार से हटाने का आदेश दिया। उन्होंने मैगी को मानव उपभोग के लिए “असुरक्षित” बताया। वास्तव में, यह पिछले 40 सालों या उससे अधिक समय से बड़ी मात्रा में अपने खाद्य उत्पादों से भारत की सेवा कर रहे नेस्ले इंडिया के लिए एक बड़ा झटका था।
  • नेस्ले की रक्षात्मक रेखा – नेस्ले इंडिया ने एक बयान में कहा है कि वह जारी किए गए आदेश के अनुसार, भारत में बिक रही मैगी नूडल्स को निश्चित रूप से वापस ले लेगा। कंपनी के अधिकारियों ने यह भी कहा कि पिछले कई वर्षों से नेस्ले उत्पादों पर लोगों ने काफी विश्वास किया है इसलिये वह जल्द ही मैगी को स्टोरों और दुकानों पर उपलब्ध करवायेगें।
  • अंतिम फैसला – उम्मीद की जा रही है प्रतिबंध के छह महीने बाद मैगी नूडल्स बाजारों में बिक्री के लिए वापस आ गई है। नेस्ले इंडिया ने एक बार फिर से मैगी नूडल्स को 300 वितरकों के साथ 100 शहरों में शुरू कर दिया है, देश के आठ राज्यों में इसे बिक्री के लिए अनुमति नहीं मिली है।

डेयरी मिल्क

कंपनी – कैडबरी

चॉकलेट! कैडबरी चॉकलेट हमेशा ही सभी की पसंद रही है। लेकिन मैगी से पहले इन पसंदीदा भारतीय चॉकलेटों को भी सरकार और खाद्य नियामकों द्वारा सख्त रवैये का सामना करना पड़ा था।

  • कीड़ों के कारण विवाद – वर्ष 2003 में, कैडबरी चॉकलेटों के निर्माताओं को उपभोक्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा, जब यह बताया गया कि महाराष्ट्र में डेयरी मिल्क बार में कीड़े निकले थे।
  • सरकारी कार्रवाई – महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि नियंत्रक ने तुरंत अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कैडबरी के पुणे संयंत्र में निर्मित चॉकलेटों के संग्रह को जब्त कर लिया। बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध चॉकलेटों को वापस ले लिया गया, उन्हें अस्वच्छ तरीके से उत्पादित और अनुचित तरीके से पैक किया गया था।
  • कंपनी की रक्षात्मक रेखा – कैडबरी इंडिया ने कहा कि उत्पादन प्रक्रिया में संदूषण संभव नहीं था, लेकिन फुटकर विक्रेताओं के भंडारण और पैकिंग के दौरान ऐसा हो सकता है।
  • निर्णायक परिणाम – वर्ष 2004 में कैडबरी ने बेहतर पैकिंग सुनिश्चित करने के लिए पैकिंग मशीन लाने पर भारी मात्रा में पैसा व्यय किया और अपने ग्राहकों को विश्वास दिलाने के लिए अमिताभ बच्चन को ब्रांड एंबेसडर के रूप में शामिल (हायर) किया। आज कैडबरी भारतीय चॉकलेट बाजार का नेतृत्व कर रहा है, यह संकट से उबरने के लिए एक गहन अध्ययन का परिणाम हो सकता है।

कोक-पेप्सी

कंपनी – कोका कोला प्राइवेट लिमिटेड और पेप्सिको

लोकप्रिय पेय – कोक और पेप्सी दोनों सभी प्रकार के उत्सवों, सैरों, घरों और कार्यालयों में हमेशा सबसे आवश्यक पेय के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • कोक में कीटनाशक पर विवाद – वर्ष 2003 में विज्ञान और पर्यावरण केंद्र को नई दिल्ली में एक गैर सरकारी संगठन ने बताया कि भारत की पेप्सी और कोक जैसे सॉफ्ट ड्रिंक में निर्माताओं द्वारा कार्बोनेटेड कीटनाशक मिलाया जाता है जो कि कैंसर का कारण बनता है, यह प्रतिरक्षा तंत्र को भी प्रभावित करता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन पेय में कीटनाशक सामग्री भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा विकसित सुरक्षा मानकों की तुलना में काफी अधिक पाई गई। इसी तरह के आरोप 2016 में फिर से प्रकाश में आये। केरल में बोतल बंद पेय बनाने वाली दो कंपनियों की भी बहुत आलोचना की गई, इन कंपनियों में यह पेय बनाने वाले संयंत्र उपस्थित थे जिनके कारण जल प्रदूषण और पानी की कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो गईं जिससे स्वास्थ्य और कृषि पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
  • सरकारी कार्यवाही – केरल सरकार ने तुरंत दोनों कंपनियों को पेय बनाने या बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया। खासकर गुजरात और मध्य प्रदेश के स्कूलों और सरकारी कार्यालयों में भी सॉफ्ट ड्रिंक की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। राजस्थान और पंजाब में भी इसी तरह की घोषणा की गई थी।
  • कोका कोला और पेप्सीको की रक्षात्मक रेखा – कीटनाशक के आरोप के कारण, दोनों प्रतिद्वंद्वी कंपनी पेप्सिको और कोका-कोला दोनों ही सीएसई के निष्कर्षों पर जवाबी हमले के लिए पहली बार एक साथ आईं। दोनों कंपनियों ने कहा कि उनके सॉफ्ट ड्रिंक में स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं है, वे सबसे कड़े यूरोपीय गुणवत्ता मानकों के तहत सुरक्षित उपभोग का उत्पादन करते हैं। पेप्सिको के अधिकारियों ने यह भी घोषणा की कि चाय और अन्य खाद्य उत्पादों में अनुमत स्तरों की तुलना में शीतल पेय में कीटनाशक की उपस्थिति न के बराबर है।
  • स्वास्थ्य संबंधी खतरे – यहाँ तक ​​कि अगर इन पेय पदार्थों में मिलाये जाने वाले कीटनाशक पदार्थों को नजरअंदाज कर दिया जाये तो इनमें मिलाई जाने वाली शर्करा (चीनी, शुगर) शरीर के लिए बहुत हानिकारक होती है, जो मोटापे और मधुमेह जैसी बीमारियों का कारण बनती है। लेकिन यह सब जानने के बावजूद भी हम इन पेय पदार्थों का सेवन कर रहे हैं।
  • निर्णायक परिणाम – सभी आरोपों और विवादों के बावजूद भी कोका-कोला और पेप्सिको कंपनी भारत और विदेशों में शीतल पेय पदार्थों के बाजार में प्रमुख विक्रेताओं में से एक हैं। कोक और पेप्सी अभी भी ब्रांड्स, खेलों, मशहूर हस्तियों और उच्च जीवन शैली के साथ अपना नाता जोड़े हुए है, जो भारतीयों को बहुत आकर्षक लगती हैं।

मदर डेयरी मिल्क

कंपनी – मदर डेयरी

नवीनतम खाद्य उत्पाद जो विवाद के घेरे में आया है, वह है हमारा बहुत ही पुराना मदर डेयरी मिल्क।

  • डिटर्जेंट विवाद – जून 2015 में यूपी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की जाँच में मदर डेयरी द्वारा निर्मित दूध में डिटर्जेंट की मात्रा पाई गई थी।
  • मदर डेयरी की रक्षात्मक रेखा – मदर डेयरी ने दूध आपूर्ति में किसी भी प्रकार की मिलावट से इनकार कर दिया है। मदर डेयरी के दूध, फलों और सब्जियों के अनुभाग के प्रमुख ने कहा, दूध का पूर्ण उत्पादन विभिन्न स्तरों पर कड़ी जाँच प्रक्रिया से गुजरता है जिसमें निवेश (इनपुट), प्रक्रमरण समाधान (प्रोसेसिंग), डिस्पैच और फिर बाजार स्तर पर भेजना शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि मदर डेयरी के प्रत्येक दूध के टैंकर को 23 कड़े गुणवत्ता वाले परीक्षणों से गुजारा जाता है जिससे दूध में उपस्थित पानी, यूरिया, डिटर्जेंट, तेल आदि जैसे विभिन्न संदूषणों के साथ अन्य हानिकारक पदार्थों की जाँच करने में सहायता प्राप्त होती है। मदर डेयरी ने अपने ऊपर लगाये गये सभी आरोपों से इन्कार कर दिया।

सूची अभी समाप्त नहीं हुई है। केएफसी का चिकन, सबवे का सैंडविच, मैकडोनाल्ड्स का बर्गर, हल्दीराम की आलू भुजिया, पेप्सिको, लेस के आलू चिप्स और ऐसे कई प्रमुख उत्पादों पर अपने खाद्य उत्पादों के साथ-साथ अपर्याप्त लेबलिंग और गलत दावों के जरिए जनता को मिलावटी उत्पाद देने और गुमराह करने का आरोप लगाया गया है।

निर्णायक परिणाम

इतने सारे विवादों और आरोपों के बावजूद अभी भी यह खाद्य और पेय पदार्थ, भारतीय उपभोक्ताओं के जीवन पर कब्जा जमाए हुए हैं। भारत के उपभोक्ता, नियामक और सरकार ऐसे विवादों पर बहुत ज्यादा चिंतित नहीं दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि भारतीय सील बंद खाद्य और पेय पदार्थ अभी भी विकसित अवस्था में हैं। भारत के विपरीत पश्चिमी देशों में ऐसे आरोपों को बहुत गंभीरता से लिया जाता है और खाद्य पदार्थों को तुरंत प्रतिबंधित कर दिया जाता है। अभी भी उपभोक्ता पैक किए गए खाद्य पदार्थों के लेबल के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं, क्योंकि यह काफी कठिनाई से पकड़ में आते हैं। ज्यादातर लोग केवल हरे और लाल बिंदुओं के बारे में ही जानकारी रखते हैं, जो क्रमशः शाकाहारी और मांसाहारी भोजन के बारे में संकेत करते हैं। चल रहे खाद्य विवादों में केवल एक अस्थायी प्रतिबंध होने के कारण, यह विवादास्पद खाद्य पदार्थ बिक्री हेतु फिर से बाजार में आ जाते हैं।

लेकिन, हम सभी को इस बात को लेकर जागृत होना चाहिए कि हम क्या खा रहे हैं। साथ ही, सभी विनिर्माण कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार अपने उत्पादों की जाँच करनी चाहिए कि क्या वे सुरक्षित उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं। साथ ही, इन विनिर्माण कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके संयंत्र, संचालन, वितरण और उत्पाद पर्यावरणीय रूप से स्वस्थ हैं।