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भारतीय स्कूलों में छात्र कितने सुरक्षित हैं?

September 12, 2017


 

भारतीय स्कूलों में छात्र कितने सुरक्षित हैं?

गुरूग्राम के एक नामी विद्यालय रेयान इंटरनेशनल स्कूल के बाथरूम में, सात वर्षीय प्रद्युम्न की क्रूर हत्या के कारण, पिछले हफ्ते राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में रहने वाले प्रद्युम्न के माता-पिता इस क्षेत्र को छोड़ चुके हैं और वास्तव में इस घटना की वजह से पूरा देश गहरे सदमे में है। ऐसा माना जाता है कि स्कूल के बस कंडक्टर ने प्रद्युम्न के साथ छेड़छाड़ के बाद उसका गला काट दिया था, इसके कारण पुलिस ने स्कूल के बस कंडक्टर को गिरफ्तार कर लिया है। हमलावर और खूनखराबे से परिपूर्ण विवरण की सच्चाई यह है कि जब पुलिस को बुलाया गया, तो उस समय कंडक्टर बच्चे को एक एम्बुलेंस द्वारा अस्पताल ले जाने का प्रयास कर रहा था। इस घटना को देखकर प्रद्युम्न के माता-पिता और देशभर के स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता क्रोध से आग-बबूला हो गए। इससे भी बदतर एक घटना यह है कि कुछ दिन पहले दिल्ली के एक प्रसिद्ध विद्यालय में 5 वर्षीय लड़की का (कथिततौर पर एक सुरक्षा गार्ड द्वारा) बलात्कार किया गया था।

ये अलग-अलग घटनाएं, कोई अलग कारणों से नहीं जुड़ी हैं। पिछले कुछ वर्षों में स्कूलों में होने वाले यौन उत्पीड़न की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है। न सिर्फ स्कूलों में होने वाले यौन शोषण, बल्कि लापरवाही भी गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। पिछले महीने से कुछ समय पहले, इंदिरापुरम् के जी.डी. गोयंका स्कूल में एक 10 वर्षीय छात्र की, स्कूल में गिरने के कारण चोट लगने से मौत हो गई थी। माता-पिता ने आरोप लगाया कि स्कूल का फर्स गीला था और स्कूल की लापरवाही के कारण बच्चा फिसल गया था। मई के पहले, एक छह साल के बच्चे की मौत, रेयान इंटरनेशनल के वसंत कुंज शाखा की पानी की टंकी में डूबने के कारण हो गई थी। इन मामलों ने राष्ट्र को हिलाकर रख दिया है। इस वक्त सबसे अहम सवाल यह है कि हमारे स्कूल कितने सुरक्षित हैं?

माता-पिता की सहभागिता

स्कूल ढेर सारे लाभ हासिल करने के कारण, तेजी से वाणिज्यिक संस्थान में परिवर्तित हो रहे हैं। हालांकि, बच्चों के एडमिशन के समय बेहतरीन सुरक्षा, सीसीटीवी कैमरे और एयर कंडीशनिंग (वातानुकूलन) जैसी सेवाओं का वादा किया जाता है, लेकिन वास्तव में इन सेवाओं के कई पहलू प्रदान नहीं किए जाते हैं। प्रद्युम्न की हत्या के मामले में, रेयान इंटरनेशनल स्कूल के लगभग सभी सीसीटीवी कैमरे निष्क्रिय पाए गए थे। माता पिता अक्सर इन अहम कारणों पर ध्यान देने या सवाल करने में चूक जाते हैं। क्या माता-पिता को कभी यह आशंका नहीं होती है कि यदि बाद में कोई संदेह उत्पन्न होता है, तो भी उनके बच्चों को स्कूल प्रशासन की पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है। बच्चों की सुरक्षा के लिए शिक्षकों का उच्च अनुपात होना भी आवश्यक है।

प्रद्युम्न के माता-पिता ने स्कूल से एक बहुत सटीक सवाल पूछा कि स्कूल में इतने कर्मचारियों और कड़ी सुरक्षा जाँच के होते हुए भी, आरोपी स्कूल के भीतर जाने में कैसे कामयाब हुआ। यह कैसे हो सकता है कि एक शैक्षिक संस्थान जो बच्चों से भरा हुआ है, वहाँ पर स्कूल ने किसी भी व्यक्ति को चाकू के साथ आने की अनुमति कैसे दी? यौन दुर्व्यवहार, हमले और लापरवाही जैसे अधिकांश मामलों में, स्कूल के कर्मचारी वर्ग का ही दोष आता है। हालाँकि ज्यादातर स्कूल, बच्चों की भर्ती के समय ही सुरक्षा जाँच में विफल हो जाते हैं। ऐसी स्थिति पर काबू पाने का एक सबसे अच्छा तरीका अभिभावक संघ के साथ भागीदारी करना है, जिससे वे नियमित रूप से सुविधाओं का निरीक्षण कर सकें, नियमित रूप से सुरक्षा उपायों की जाँच कर सकें और सेवाओं में सुधार के लिए निवेश प्रदान कर सकें।

स्कूलों की सुरक्षा

बच्चों के नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम या शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) के कार्यान्वयन ने, देश के कई प्रसिद्ध विद्यालयों की स्थापना के लिए रास्ता बनाया है। जबकि कुछ शहरी विद्यालय छात्रों के लिए आवश्यक भूमिकारूप व्यवस्था और सुरक्षा की उपस्थिति सुनिश्चित करते हैं, फिर भी इनकी एक बड़ी संख्या सुरक्षा के खतरों में शुमार हैं। कई ग्रामीण विद्यालयों में शौचालय भी नहीं होते हैं और छात्रों को खुले में शौच करने के लिए मजबूर किया जाता है – जो लड़के और लड़कियों के लिए समान रूप से गंभीर सुरक्षा के खतरों में से एक है। जब तक सरकार बुनियादी सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के लिए कोई कठोर कदम नहीं उठाती है और बोर्ड केवल कार्यान्वित होने पर ही संबद्धता प्रदान करते हैं, तो ऐसा लगता है कि इसकी स्थिति में कभी सुधार नहीं हो सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए नोटिस जारी किया

भारतीय सुप्रीम कोर्ट या भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने रेयान इंटरनेशनल स्कूल पर होने वाली प्रद्युम्न की हालिया हत्या के लिए नोटिस जारी किया है। अदालत ने फैसला सुनाया है कि यह केवल इस स्कूल की समस्या नहीं है, बल्कि यह देश भर के स्कूलों में घटित होने वाली एक आम समस्या है और केंद्र सरकार को भी आगे से ऐसी कोई भी घटना घटित न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। हरियाणा सरकार ने युवा लड़के (प्रद्युम्न) के माता-पिता से वादा किया है कि अगर वे गुरुग्राम पुलिस की जाँच से संतुष्ट नहीं हैं, तो वह सीबीआई जाँच भी करवा सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जल्द ही सीबीएसई और अन्य स्कूल बोर्ड स्कूलों के लिए विस्तृत निर्देशों का परिपालन करेगें, ताकि स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों की सलामती और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।