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आईआईटी ने रखा लक्ष्य 2020 तक सीटों को बढ़ाकर एक लाख करने का

August 29, 2016


आईआईटी ने रखा लक्ष्य 2020 तक सीटों को बढ़ाकर एक लाख करने का

आईआईटी ने रखा लक्ष्य 2020 तक सीटों को बढ़ाकर एक लाख करने का

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सैद्धांतिक रूप से भारत के कई आईआईटी में अनिवासी छात्रों को एडमिशन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

इस समय देश में 23 आईआईटी हैं। इनमें अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट या डॉक्टरेट कोर्सेस को मिलाकर 72 हजार छात्र पढ़ रहे हैं। सभी 72 हजार छात्र रिहायशी छात्र हैं, जो कई आईआईटी के हॉस्टल में रहते हैं। अनिवासी छात्रों को शामिल करने के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद आईआईटी संस्थानों का लक्ष्य होगा 2020 तक कुल सीटों की संख्या बढ़ाकर 1,00,000 तक ले जाना।

एक अधिकारी का कहना है- “इस आंकड़े को हासिल करने के लिए आईआईटी को उस शर्त को हटाना होगा जिसके तहत उसके छात्रों का कैम्पस में रहना अनिवार्य है। संस्थान को ज्यादा से ज्यादा अनिवासी छात्रों को एडमिशन देना होगा।”

हर साल 10,000 छात्रों को बढ़ाने की योजना है। अब अलग-अलग आईआईटी के प्रशासनिक महकमे को यह तय करना है कि वह अतिरिक्त सीटें कितनी दे सकते हैं। इन 10,000 सीटों को आपस में बांटें तो करीब 4,000 सीटें अंडरग्रेजुएट कोर्सेस की होंगी और बची हुई 6,000 सीटें पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी कोर्सेस के लिए। अधिकारी चाहते हैं कि जिन छात्रों ने आईआईटी से बी.टेक किया, वहीं तत्काल आकर पीएचडी में एडमिशन लें।

आखिरी बार आईआईटी में एडमिशन की संख्या उस समय बढ़ाई गई थी जब ओबीसी कोटा लागू किया गया है। उसके बाद अनिवासी डे-स्कॉलर्स को एडमिशन देने की मंजूरी देने से होने वाली बढ़ोतरी उसके बाद से अब तक की सबसे ज्यादा होगी।

आईआईटी में पढ़ाई का सपना देख रहे सभी छात्रों के लिए इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलना एक अच्छी खबर है। जेईई जैसी कड़ी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में हर साल करीब पांच लाख से ज्यादा छात्र बैठते हैं। वह भी महज आईआईटी जैसे विश्वस्तरीय संस्थान में उपलब्ध 7,000 में से एक सीट पर कब्जा जमाने के लिए। नए प्रस्ताव को मंजूरी मिलने से आपको अगले साल की प्रवेश परीक्षा में सफलता मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। फिर चाहे वह कुछ ही प्रतिशत तक की राहत ही क्यों न हो, यह कई छात्रों के लिए वरदान ही साबित होगा।

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