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कुलभूषण जाधव पर आईसीजे के कारण भारत और पाकिस्तान में टकराव की उम्मीद

May 16, 2017


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किसी भी देश की सरकार की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी यह होती है कि वह अपने नागरिको की रक्षा अपनी  तथा विदेशी सरजमीं पर करे। यह इसलिए कहा जा रहा है, क्योकि 18 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) से न्याय  के लिए अनुग्रह किया है।

आईसीजे में जाधव के मुकदमे की सुनवाई

पिछले महीने के शुरुआती दिनों की खबरों से पता चला है, कि भारतीय राष्ट्रीय और नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव को 2016 में पाकिस्तान में गिरफ्तार करके, वहाँ की सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई। जाधव पर जासूसी और पाकिस्तान के अलगाववादी प्रवृत्तियों (बलूचिस्तान में) को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया गया है। पाकिस्तान ने अपने लगाए गए आरोंपों को सच साबित करने के लिए, जाधव द्वारा कथित तौर पर एक वीडियो जारी किया था। भारत ने इनके दावों को मानने से इनकार करते हुए कहा है कि वीडियो भी फर्जी बनाया गया है।

सार्वजनिक दबाव बढ़ने के कारण, पाकिस्तान ने लगातार जाधव को वाणिज्यदूत से मिलने के लिये इन्कार कर दिया, भारत के पास, हेग में स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायिक अंग में हस्तक्षेप करने के लिए अलावा कोई विकल्प नहीं था। भारत चाहता है कि आईसीजे इस मामले पर एक सक्रिय आदेश दे। आईसीजे ने इस मामले की एक खुली सुनवाई करने का फैसला किया। भारत और पाकिस्तान के मामले की जड़ को संक्षिप्त रूप से पेश करने के लिए दोनों पक्षों को 90 मिनट दिए गए और अस्थायी उपायों की कार्यवाही की माँग करते हुए यह सुनिश्चित किया गया कि आईसीजे द्वारा अपना फैसले देने से पहले जाधव को सजा नहीं दी जायेगी। भारतीय कानूनी दल ने आईसीजे के आधार तल पर अपना मामला 1.30 बजे से शुरू किया था और इसमें दीपक मित्तल और वी डी शर्मा (आईसीजे में भारत के एजेंट), वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और दो अन्य शामिल थे।

भारत का तर्क

भारत ने इस मामले के मुख्य बिंदु के बारे में अपनी बहस को ध्यान में रखते हुए, जाधव को कॉन्सुलेटर से मिलने की अनुमति नही दी थी – 1963 में वियना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलेटर रिलेशंस (वीसीसीआर) द्वारा अधिकारों का उल्लंघन किया गया था। दरअसल, भारत को जाधव की गिरफ्तारी के बारे में सूचित नहीं किया गया था। कुलभूषण जाधव के माता-पिता को पाकिस्तान जाकर, अपने बेटे से मिलने के लिए वीजा भी प्रदान किया गया। भारत और पाकिस्तान द्वारा किए गए किसी भी अनुरोध को जाधव की कानूनी सहायता के लिए उनकी पसंद के वकील द्वारा, भारत को चार्जशीट, एफआईआर, फैसले, या जाधव को भारतीय रॉ-एजेंट के रूप में निहितार्थ करने के लिए सभी प्रकार की जाँच पड़ताल की प्रतिपूर्ति भी की गई।

भारत ने भी आतंक की बढ़ती भावना के साथ यह माना है कि पिछले महीने से पाकिस्तानी मीडिया ने 18 मौतों (पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा) की सूचना भी दी है। भारत के लिए चिंता का विषय यह है कि यदि भारत जाधव को निर्दोष सिद्ध करने का समर्थन करेगा तो जाधव को मार दिया जा सकता है। यहाँ पर विचार करने वाला एक अन्य मुद्दा यह है कि ईरान (जहां जाधव भारतीय नौसेना से रिटायर होने के बाद रह रहे थे) ने अभी तक इस मामले पर अपनी जाँच का निष्कर्ष नहीं निकाला है। भारत ने आईसीजे में दलील दी कि पाकिस्तान द्वारा आयोजित सैन्य मुकदमा “फर्जी” था और जाधव ईरान से अपहरण कर लिया गया था। जाधव को बलूचिस्तान में गिरफ्तार नहीं किया गया था, जैसा कि पाकिस्तान ने आरोप लगाया था।

आईसीजे ने भारत की याचिका पर अंतर्राष्ट्रीय अदालत से आग्रह किया कि पाकिस्तान को प्रभावी ढंग से सजा देने के लिए रोक दे और इस फैसले को रद्द करने के लिए, सही कदम उठाने के निर्देश दे।

पाकिस्तान का जवाब

पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने दूसरे सत्र में अपना मामला शुरू किया। उन्होंने कहा,” कि आईसीजे में भारत के खिलाफ एक संरचित प्रतिक्रिया के साथ आने के लिये उनके पास समय की कमी थी।” उन्होंने यह भी तर्क दिया कि उनके देश के कानून और संविधान एवं उस पर भारत के 2008 के द्विपक्षीय समझौते को कॉन्सुलेटर की पहुँच पर वीसीसीआर से अधिक महत्व मिला, जिसके कारण जाँच और परीक्षण राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बना। हालांकि, यह मानता है कि वीसीसीआर का अनुच्छेद 36 अबाध्य है और भारत-पाकिस्तान के समझौते संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के साथ अभी तक पंजीकृत नहीं हुए हैं।

पाकिस्तान का कहना है, कि जाधव द्वारा बलूचिस्तान में जासूसी और अलगाववादी आंदोलन में भारत के साथ भागीदारी में समर्थन करने का उनके पास एक सबूत है। हालांकि आईसीजे ने, कथित कबूल के वीडियो प्ले के लिए पाकिस्तानी दल को अनुमति नहीं दी। पाकिस्तान ने भारत की प्रस्तुति को केवल एक तकनीकी तर्क ही बताया।

जब भारत ने आईसीजे के हस्तक्षेप की माँग की, तब से पाकिस्तान का यह विचार है कि अंतरराष्ट्रीय अदालत के पास, पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के मामले में अदालत के पास कोई अधिकार नहीं है। भारत ने स्पष्ट रूप से इस तथ्य पर ध्यान केंद्रित किया है, कि यह वास्तव में वीसीसीआर के उल्लंघन और कॉन्सुलेटर तक पहुँच की कमी के कारण न्याय करने के लिए सही जगह है। यह ऐसी चीजें है जो दुनिया के सभी देशों को प्रभावित करती हैं।

आईसीजे इस मामले में अभी तक कोई भी फैसला नहीं दे पाया है और दुनिया 15 सदस्यीय खंडपीठ की तरफ देख रही है, ताकि वह बड़े पैमाने पर उचित निर्णय दे।

भारत और पाकिस्तान दोनों ही वीसीसीआर पर हस्ताक्षर करने वाले यूएन के स्थाई सदस्य हैं। यह देखना बाकी है कि अगर पाकिस्तान आईसीजे के फैसलों का पालन करे तो इस मामले में इसके अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठने लगेंगे। वर्तमान में यह फैसला केवल भारत द्वारा माँगे गए अन्तिम उपाय कार्यवाही से संबंधित है और आईसीजे द्वारा पूरा मामला अभी तक तय किया जाना बाकी है। पाकिस्तान में आईसीजे के फैसले का पालन न करने के लिए किसी भी नैतिक दबाव को नकारने का एक विकल्प भी है, लेकिन भारत उस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के अधिकार पत्र के अनुच्छेद 94 को लागू कर सकता है और भारत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की माँग कर सकता है।

आखरी बार जब आईसीजे में भारत और पाकिस्तान ने भारतीय नौ सैनिक विमान, अटलांटिक की शूटिंग के दौरान 1993 में संघर्ष किया था, आईसीजे ने उस समय भारतीय दृष्टिकोण को बरकरार रखा था और पाकिस्तान के 60 करोड़ डॉलर के नुकसान के दावे को खारिज कर दिया था।