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भारत को पहली होवित्जर तोपें बोफोर्स के 30 साल बाद मिली

May 20, 2017


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18 मई को भारत को बोफोर्स के बाद पहली होवित्जर तोपें मिली जो स्वीडिश कंपनी द्वारा बनाई गई थीं। इन होवित्जर तोपों को प्राप्त करने में भारत को तीन दशकों का समय लग गया। बोफोर्स घोटाला 1980 के दशक में जनता के सामने आया और उस समय इस घटना से भारतीय सेना के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पर बड़ा प्रभाव पड़ा। भारत ने अमेरिका से एक जोड़ी एम 777एस प्राप्त की हैं। यह वैश्विक हथियार दिग्गजों के साथ किये समझौते का भाग है। यह सौदा 750 मिलियन डॉलर का है। 2016 में इस सौदे पर हस्ताक्षर किये गये थे जिसके मुताबिक अमेरिका – भारत को 145 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर्स (यूएलएचएस) प्रदान करेगा। अगले कुछ सालों में अमेरिका भारत को बने बनाये हथियार प्रदान करेगा।

कुछ महत्वपूर्ण विवरण

बीएई सिस्टम्स ने इन एम 777 तोपों को बनाया है इन तोपों को परीक्षण के लिये पोखरण (राजस्थान) के फायरिंग रेंज में ले जाने की उम्मीद है। इन तोपों की अधिकतम मारक क्षमता 30 कि.मी. मानी जाती है। इनमें से 25 तोपों को फ्लाइअवे स्थिति में आने की उम्मीद है और निर्माताओं से उम्मीद की जा रही है कि वे इसे आरामदायक बनायेंगे। वे महिंद्रा डिफेन्स के साथ साझेदारी में ऐसा करेंगे। ये तोपें, भारत – चीन सीमा पर तैनात की जायेंगी। इन सीमाओं को उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र की सीमाओं के रूप में भी जाना जाता है।

सेना का आधुनिकीकरण

भारत सरकार सेना के आधुनिकीकरण के लिए 20,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि व्यय कर सकती है। इस मामले में विशेष रूप से तोपों की क्षमता में सुधार पर जोर दिया जा रहा है, यह उम्मीद है कि ये होवित्जर तोपें अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ योगदान देगीं। यह भी उम्मीद है कि इससे भारत की समग्र सैन्य क्षमता में कई गुना बढ़ोत्तरी होगी। कुल मिलाकर भारत को पाँच प्रकार की तोपें मिलने की उम्मीद है जिनका उपयोग भारत द्वारा पाकिस्तान और चीन से जुड़ी हुई सीमाओं पर किया जा सकता है।

इन बंदूकों का महत्व

इन यूएलएचएस में 39 कैलिबर की तोपें शामिल हैं। 145 तोपों का पैकेज जून 2021 तक प्राप्त होने की उम्मीद है। 2020 तक भारत ऐसी 3053 तोपों को खरीदकर सेना के 169 रेजीमेंट्स में वितरित करना चाहता है। वास्तव में यह तोपें, यह विचार करते हुऐ कि भारत के अपने पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान से कैसे संबंध हैं, सीमावर्ती युद्ध के मामले में बहुत महत्वपूर्ण हैं। निःसंदेह इस कार्य से भारत को महत्वपूर्ण लाभ होने वाला है। पहाड़ी युद्ध क्षेत्रों में ये तोपें वास्तव में बहुत उपयोगी होंगी और उपरोक्त दोनों देशों के साथ भारत की ऐसी ही सीमाऐं जुड़ी हुई हैं।

मेक इन इंडिया

शेष 120 तोपों का निर्माण मोदी के मेक इन इंडिया अभियान का हिस्सा होगा और जैसा कि आप पहले से जानते हैं कि इनका निर्माण बीएई सिस्टम्स और महिंद्रा डिफेंस के संयोजन से किया जायेगा। इसके अलावा 40 अन्य भारतीय कंपनियाँ पूरी प्रक्रिया की आपूर्ति श्रृंखला में हिस्सा लेने की उम्मीद कर रही हैं। भारतीय सेना पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में माउंटेन स्ट्राइक कॉर्पस नामक एक नए सेक्टर का निर्माण कर रही है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस नये सेक्टर में सेना द्वारा इन तोपों का इस्तेमाल किया जायेगा।

इस पूरे अभ्यास का मुख्य उद्देश्य चीन के प्रभाव का मुकाबला करना है।