भारत का पहला हेलीपोर्ट दिल्ली, रोहिणी
मंगलवार 28 जनवरी 2017 को केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने उत्तरी पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी में देश के पहले हेलीपोर्ट का उद्घाटन किया। भारत के इस पहले एकीकृत हेलीपोर्ट का निर्माण पवन हंस लिमिटेड के द्वारा किया गया। इसका उद्घाटन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के लिये किया गया था। हेलीकॉप्टरों का पूर्ण रूप से संचालन इस साल मई तक शुरू होने की उम्मीद है।
नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि “हम उत्साहित हैं। यह दक्षिण एशिया में पहली सुविधा है। बेशक, यात्रियों के यातायात के संदर्भ में, भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है। किसी तरह से हेलीकाप्टर और कार्गो में हम लोग पीछे रहे हैं। इसलिए हमें इसमें सुधार के लिये काफी प्रयास करने की जरूरत है।”
जून 2016 में चालू की गयी नागरिक विमानन नीति के तहत सरकार ने देश के चार क्षेत्रों में चार एकीकृत हेलीपोर्ट बनाने की परिकल्पना की है।
भारत में पहले से ही 1,141 हेलीपोर्ट्स हैं जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में 5,664 हैं, अमेरिका के बाद भारत दूसरे स्थान पर है। रोहिणी भारत का पहला एकीकृत हेलीपोर्ट है।
यह रोटर विंग एयरक्राफ्ट की सुविधाओं जैसे उनकी लैंडिंग और टेक-ऑफ, स्वतंत्र वायु यातायात नियंत्रण (एटीसी), आग और ईंधन भरने वाली सुविधाओं से लैस है।
रोहिणी हेलीपोर्ट
रोहिणी उत्तर-पश्चिम दिल्ली में एक अच्छी तरह से विकसित आवासीय शहर है। यह दिल्ली नगर निगम के तहत प्रशासित 12 क्षेत्रों के अंतर्गत आता है। रोहिणी हेलीपोर्ट 25 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह भारत में इस तरह का पहला हेलीपोर्ट है और रिठाला मेट्रो स्टेशन से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
भगवान महावीर मार्ग, सेक्टर 36, रोहिणी, दिल्ली, 110039 पर स्थित हेलीपोर्ट 100 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था। इसकी टर्मिनल बिल्डिंग में 150 यात्रियों की क्षमता है। इसमे 16 हेलीकॉप्टरों की पार्किंग क्षमता वाले 4 हैंगर और 9 पार्किंग स्थल हैं। हेलीपोर्ट मे रखरखाव, मरम्मत और जीर्णोद्धार जैसी सुविधायें उपलब्ध हैं।
आपदा प्रबंधन, कानून और व्यवस्था निगरानी, पायलटों और इंजीनियरों के कौशल विकास के लिए केंद्र और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के लिए एक आदर्श विकल्प होने के अलावा, हेलीपोर्ट भारत की राजधानी को कई छोटे क्षेत्रों से जोड़ने में मदद करके सरकार की महत्वाकांक्षी क्षेत्रीय आवागमन योजना को भी बढ़ावा देगा।
हेलीपोर्ट रोहिणी में स्थापित किया गया है और अब एक साल तक इसका सफल परीक्षण किया जा रहा है। हेलीपोर्ट में ओवरहाल (रखरखाव, मरम्मत और संचालन) जैसी सुविधाएं भी हैं जो पवन हंस के बेड़े की देखभाल के लिए भी उपयोग की जाएंगी। इस हेलीपोर्ट पर तीसरे पक्ष के रखरखाव का काम भी संभव है।
रोहिणी हेलीपोर्ट दिल्ली हवाई अड्डे पर होने वाली भीड़ को कम करने में काफी मदद करेगा जो प्रत्येक दिन औसतन 40-50 हेलीकॉप्टर आवागमन की सुविधा प्रदान करते है।
हेलीपोर्ट का सही समय उद्घाटन हुआ, पहली उड़ान में गैर-सरकारी संगठन सीआरवाई के 5 लड़के और लड़कियों को ले जाया गया। दिल्ली पर एक खुशी के लिये उन्हें हेलीकॉप्टर से ले जाया गया।
दिल्ली पर ज्वॉयराइड
इस साल मार्च के आखिरी या अप्रैल के शुरूआती दिनों में इस आनंद भरी यात्रा के शुरू होने की उम्मीद की जाती है। इससे दिल्ली वासियों के साथ-साथ आगंतुक और पर्यटक जमीन के हजारों फीट ऊपर से भारत की राजधानी के आकर्षण का मजा ले सकेंगे। यद्यपि जनशक्ति और संसाधन आसानी से उपलब्ध हैं, आनन्द लेने से पहले कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनसे निपटना बहुत जरूरी है। इनमें शामिल हैं-
- हवाई मार्गों को हवा के क्षेत्र में ध्यान में परिभाषित किया जाना चाहिए जिससे कोई भी विमान बिना अनुमति के सीमा में प्रवेश न कर सके।
- वित्त और राजस्व से संबंधित समस्याओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
हेलीकाप्टर ज्वॉयराइड का किराया
हेलीकॉप्टर में 10 से 15 मिनट की यात्रा के लिये 2,499 रूपये देय होंगे। सूत्रों के मुताबिक, एयरो टर्बाइन ईंधन के लिए दिल्ली सरकार को 25% टैक्स कम कर दिया गया है और किराये को कम करने के लिये लागत को कम करने का प्रस्ताव भी रखा गया है।
आईआरसीटीसी द्वारा पवन हंस हेलीकाप्टर के लिए टिकट बुकिंग की सेवा
पवन हंस ने हेलीकॉप्टर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रेलवे केटरिंग और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) से संधि कर ली है। इस सेवा में रुचि रखने वाले लोगों के लिऐ आईआरसीटीसी की वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन टिकट बुक करने की अनुमति होगी। ‘हेली प्रोजेक्ट’ को लागू करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
वर्तमान समय में दिल्ली में हेलिकॉप्टर से आनंदभरी यात्रा करने के लिये 5,000 रुपये से 6,000 रुपये के बीच किराया देना पड़ता है।
एक दिन के लिए आगरा या जयपुर की आनंद भरी यात्रा करने के लिये लगभग 2,00,000 रुपये किराया देना पड़ता है।
भारत में आवागमन के लिए हेलीकाप्टरों का उदय
अगले 15 वर्षों में भारत में सिविल हेलीकॉप्टरों की संख्या में लगभग 800 की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना “मेक इन इंडिया” के साथ मिलकर यहॉ विकास होने की उम्मीद जताई जा रही है। जून 2016 में संरक्षित नागर विमानन नीति की प्रमुखता में क्षेत्रीय आवागमन है। सिडनी में स्थित सेंटर फॉर एशिया पैसिफिक एविएशन (सीएपीए) की भारतीय शाखा के अनुसार इन 800 हेलीकाप्टरों को नागरिक धारा में पेश किया जायेगा।
इस विकास कार्य के दो चरणों में पूरा होने की उम्मीद है, इसमें बेड़े के विस्तार के साथ-साथ पुरानी मशीनों का बदलाव भी शामिल है।
इस विकास कार्य को व्यवहार्य रूप से पूर्ण करने के लिये सरकार ने हेलिकॉप्टर उद्योग के साथ हाथ मिला लिया है जिससे भारत हेलीकॉप्टर के निर्माण के लिए एक आदर्श आधार बन गया है।
भारत अब तक हेलीकॉप्टर बनाने वाले राष्ट्रों में से एक छोटे से कुलीन समूह के अंतर्गत आता है। ध्रुव एएलएच (एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर) जो एकमात्र भारतीय डिजाइन से बना है, वर्तमान में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ उपलब्ध है।
अन्य हेलिकॉप्टरों का उत्पादन लाइसेंस के तहत किया जाता है या मौजूदा विदेशी प्रकार के हेलिकॉप्टरों के संशोधनों के अनुसार किया जा रहा है। भारत में हेलिकॉप्टर बनाने वाली बाजार में विदेशी कंपनियों में बेल, सिकोरस्की, एमडी, अगस्टावेस्टलैंड और यूरोकॉप्टर (अब एयरबस हेलीकॉप्टर) आदि शामिल हैं।
वास्तव में, यूरोकॉप्टर ने एक पूर्ण भारतीय सहायक कंपनी स्थापित की है, जो भारत में विदेशी हेलीकॉप्टर निर्माण करने वाली पहली कंपनी है।
ऐसी उम्मीद की जा रही है कि एचएएल जल्द ही सरकार और मेक इन इंडिया अभियान के समर्थन के साथ एक नयी डिजाइन लेकर आयेगा, यह आयातित हेलीकॉप्टरों के लिए एक सस्ते विकल्प के रूप में भी कार्य करेगा।

