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भारत-पाकिस्तान तनाव

May 5, 2017


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नरेन्द्र मोदी सरकार पर जनता द्वारा दक्षिण एशिया के देश पाकिस्तान (जिसकी सेना ने दो भारतीय सैनिकों के शवों को फिर से बुरी तरह नष्ट कर दिया था) के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये दबाव डाला जा रहा है। रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सम्भालने वाले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपनी जापान यात्रा को कुछ समय के लिये आगे बढ़ा दिया है, उन्हें जापान में एशियाई विकास बैंक की बैठक में शामिल होना था। 1999 के बाद से अब पाँचवी बार, सरकार ने भारतीय सेना को पाकिस्तान की नापाक हरकत पर मुँह तोड़ जवाब देने की खुली छूट दे दी है। आज तक ऐसा नहीं हुआ कि पाकिस्तान के द्वारा किये गये घृणित कार्यों का भारतीय सेना द्वारा जवाब न दिया गया हो, सितंबर 2016 में, नियंत्रण रेखा के पार जाकर भारतीय सेना के द्वारा की गयी सर्जिकल स्ट्राइक के तहत कई पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों की हत्या, भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान को जवाब देने के दावे का एक पक्का सबूत है। लेकिन जिस तरह से पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सैनिकों के शवों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया, यह दक्षिण एशियाई देश पाकिस्तान की भारत के खिलाफअथाह नफरत को दिखाता है, हालांकि, ऐसा कहा जाता है कि दोनों पड़ोसी देशों भारत और पाकिस्तान के जातीय, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विचार एकसमान हैं। इसलिये, भारत को पाकिस्तान का सामना करने के लिये लघु, मध्यम और दीर्घकालिक कार्य योजना का निर्माण करना होगा, पाकिस्तान आतंकवाद को अपनी राज्य नीति का हिस्सा बनाने के मामले में दुनिया भर में एक बदनाम राष्ट्र है।

घटना का समय

कुछ विश्लेषक बहुत आश्चर्यचकित हैं जिनका कहना है कि हत्या का यह मामला भारतीय उद्योगपति सज्जन जिंदल की पाकिस्तानी प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के साथ इस्लामाबाद और मुर्री की पहाड़ियों में होने वाली बैठक के बाद हुआ है। जिंदल के भारतीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से काफी अच्छे संबंध हैं। चूंकि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी औऱ पाकिस्तानी प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने जून में कजाकिस्तान में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने की उम्मीद जताई है, इसलिये यह समझना आसान है कि जिंदल पाकिस्तानी प्रधान मंत्रीनवाज शरीफ से क्यों मिले? 1999 से, अक्सर यह देखा गया है कि जब भी भारत ने पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाँथ बढ़ाने की कोशिश की है, पाकिस्तानी सेना ने इस रिश्ते को तोड़ने के लिये हर गंदी चाल का प्रयोग किया है। 25 दिसंबर, 2015 को भारत और पाकिस्तान के प्रधान मंत्रियों की होने वाली बैठक में अचानक रुकावट हो जाने के जवाब में, पाकिस्तान की सेना ने देश की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस के साथ मिलकर जनवरी 2016 में पठानकोट एयर बेस पर आतंकवादी हमला कर दिया।

क्या पाकिस्तानी सेना तनाव पैदा कर रही है?

पाकिस्तानी सेना दोनों देशों के मध्य रिश्तों में फूट डालना चाहती है। पाकिस्तानी सेना को अपने रक्षा बजट में वृद्धि पर पुरस्कार प्राप्त करने और राष्ट्र के उद्धारकर्ता के रूप में जनता का विश्वास जीतने के लिये, भारत और पाकिस्तान के आपसी रिश्तों में अधिक तनाव पैदा करने की आवश्यकता होती है। पाकिस्तानी सेना द्वारा पहले से ही, कश्मीर के युवाओं को भड़का कर राज्य के खिलाफ हिंसा में उसका सहयोग देने और सैन्य शिविरों को निशाना बनाने के लिए, आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ करने के लिए प्रोत्साहित करके कश्मीर में तनाव की स्थिति पैदा कर दी गई है। यहां तक ​​कि कश्मीर के स्कूल की लड़कियों को घाटी में, जम्मू और कश्मीर की अन्य जगहों पर अशांति फैलाने के लिए प्रेरित किया गया है।

भारत पाकिस्तान को कैसे संभालेगा?

भारत के पास पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिये कई ठोस कदम हैं जिनमें नियंत्रण रेखा पर तोपखानों की संख्या बढ़ाना, सिंधु जल संधि को रद्द करना और सभी द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को तोड़ना शामिल है। पहले से ही, वार्षिक सार्क बैठक में हिस्सा न लेकर, पाकिस्तान कूटनीतिक रूप से अलग हो गया है अमेरिका ने 300 मिलियन अमरीकी डॉलर की सहायता देने से भी इन्कार कर दिया है, इसके साथ ही रूस ने पाकिस्तान के साथ अपने हेलीकॉप्टर बेचने और संयुक्त सैन्य अभ्यास के आयोजन को रद्द कर दिया है। अपने राजनयिक विचारों से ऊपर उठकर, नई दिल्ली द्वारा पाकिस्तान को यह बताने की जरूरत है कि पाकिस्तान में उत्पन्न होने वाले परमाणु युद्ध के तनाव के लिये भारत नैतिक रूप से जिम्मेदार नहीं है, बल्कि इस्लामाबाद खुद इसका जिम्मेदार है। पाकिस्तानी सेना हमेशा से भारत के साथ वैचारिक युद्ध को एक अच्छी तरह से नियोजित विजय में बदलने की कोशिश करती है, क्योंकि उसका मानना है कि नई दिल्ली नैतिक रूप से बाध्य है। इस्लामाबाद सोचता है कि परमाणु युद्ध के डर से भारत को ब्लैकमेल करके वह अपना पल्ला झाड़ सकता है। भारत को एक ऐसे दुश्मन से निपटने के लिये जो नियमों, सम्मेलन या मानदंडों का सम्मान नहीं करता, अपनी नैतिक सीमाओं से ऊपर उठकर पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाना चाहिए। इस मामले में, भारत के पास न केवल सैन्य विकल्प बल्कि राजनीतिक विकल्प भी उपलब्ध हैं। भारत को लगातार गिलगिट और बल्टिस्तान में हो रहे लोगों के मानवाधिकारों के दुरुपयोग की आवाज को द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर उठाने की जरूरत है। इसे बलूच लोगों को निर्वासन में एक सरकार बनाने की अनुमति देनी चाहिए, असंतोष से उबल रहे सिंध के कोने-कोने में अधिक अलगाववादी एजेंडे को बढ़ावा देना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत को यह भूलजाना चाहिए कि पाकिस्तान हमारे साथ अच्छा व्यवहार करेगा और आपसी संबंधों में सुधार करेगा। पाकिस्तानी सेना के दिलों और दिमाग में भारत के प्रति बहुत गहरी दुश्मनी है। वह अपने प्रशासन को कभी भी भारतीय अधिकारियों के साथ रिश्तों को मजबूत करने की अनुमति नहीं देगा। पाकिस्तान जब तक अपने सैनिकों को पैसा छापने और राष्ट्रीय हितों की कीमत पर अधिकार का उपयोग करने की अनुमति नहीं देता तब तक पाकिस्तानी सेना पाकिस्तान के लोकतंत्र को कार्यान्वित करेगी। इसलिए, अब समय आ गया है कि भारत को पाकिस्तानी सेना के सामने घुटने टेकने की बजाय, पाकिस्तानी सेना को अपने सामने झुकाने की रणनीति बनानी चाहिए, सौभाग्य से भारत में ऐसे विचारों की कोई कमी नहीं है।