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घूमें 48 घंटे में बैंगलोर के दर्शनीय स्थल

July 28, 2016


48 घंटे में बैंगलोर में क्या क्या देख सकते है

48 घंटे में बैंगलोर में क्या क्या देख सकते है

वीकेंड पर आप क्या कर रहे हैं? इन 48 घंटों को इस्तेमाल करने का सबसे अच्छा विकल्प है बेंगलुरू यानी बैंगलोर की सैर। सांस्कृतिक ह्दय वाला भविष्य का शहर। 20वीं सदी के जाते-जाते ही वैश्वीकरण ने बेंगलुरू में दस्तक दे दी थी। भारत की सूचना प्रौद्योगिकी राजधानी में, विक्टोरिया-काल के बंगले आज भी विशाल अट्टालिकाओं की छाया में छिपे होने का अहसास दिलाते हैं और कॉस्मोपॉलिटन भीड़ भी मिलियन डॉलर स्टार्ट अप्स की ओर जाने से पहले देवी-देवताओं के मंदिरों में सिर झुकाती नजर आती है। भीड़-भाड़ वाले ट्रैफिक वाली सड़कों से होकर हवा मसालों के बाजारों की संकरी गलियों की ओर बहती है, जिनकी दीवारों पर कन्नड़ फिल्मों के पोस्टर चिपके दिखाई देते हैं।

हम यहां 48 घंटे में “भारत की सिलिकन वैली” बैंगलोर के दर्शनीय स्थलों की जानकारी दे रहे हैं-

पहला दिन

किसी भी शहर को जानने, समझने के लिए उसकी ऐतिहासिक धरोहरों को देखने से अच्छा और क्या हो सकता है! बेंगलुरू के इतिहास से मुलाकात की तारीख तय कीजिए और अपने सफर पर निकल पड़िए।

टीपू सुल्तान का पैलेस (सुबह 9 बजे)

अपने आकर्षक भित्ति चित्रों और सागौन के खंभों के लिए प्रसिद्ध 18 वीं सदी में बने टीपू सुल्तान के गर्मियों की आरामगाह इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। यह बात अलग है कि शहर में रिक्शा के हॉर्न आपको मुगल शासक के सुनहरे दिनों में लौटने नहीं देते। रोक लेते हैं। पास ही बैंगलोर फोर्ट –कैम्पेगौड़ा का मजबूत गढ़- खड़ा है। जिसके अवशेष और गुलाबी पत्थर की दीवारों का ऐतिहासिक आकर्षण बरबस ही आपको वहीं खो जाने को मजबूर कर देता है। यह पूरा परिसर केआर मार्केट (सिटी मार्केट) की संकरी गलियों में है, जहां बैंगलोरवासियों को फल और फूल विक्रेताओं के साथ मोल-भाव करने में खूब मजा आ जाता है।

बैंगलोर पैलेस (11 बजे)

ट्यूडर वास्तुकला का बेहतरीन नमूना, इस शाही निवास में आपको शाही वैभव का अहसास होगा। नियोन की लपटों के साथ आपको पुराने शहर की झलक भी यहां दिख जाएगी। इसकी मुखाकृति में आपको विंडसर कैसल की अस्पष्ट छवि दिख जाएगी। खासकर उसके वैभव काल की। भव्य भीतरी सजावट और गैलरियों में पुरानी यादें, पेंटिंग्स और पोर्ट्रेट आपका मन मोह लेंगे।

एमजी रोड या ओल्ड एयरपोर्ट रोड से गुजरते वक्त लंच कर लीजिए। शहर के पूर्वी हिस्से की ओर रवाना होने से पहले शिवोहम शिव मंदिर में थोड़ी देर रुककर अपनी ताकत और ऊर्जा को फिर से जगाइए। ताकि नई ऊर्जा के साथ आगे का सफर तय कर सके।

एचएएल हेरिटेज सेंटर और एरोस्पेस म्युजियम (3 बजे)

विमानों में रुचि रखने वालों के लिए यह स्वर्गतुल्य है। प्रतिष्ठित संग्रहालय में भारत में बने एयरक्राफ्ट के मॉडल्स रखे हैं (जैसे डोर्नियर और जगुआर)। इसके अलावा हेलिकॉप्टर और लड़ाकू विमानों से जुड़ी अन्य सामग्रियों के प्रोटोटाइप आपका ध्यान बरबस ही खींच लेंगे। एचएएल परिसर में स्थित भारत के सबसे पुराने एरोस्पेस संग्रहालय में पर्यटक ऑर्चिड से चहलकदमी करते हुए मॉक डॉगफाइट्स भी देख सकते हैं।

कब्बन पार्क (5 बजे)

यह शहर का महत्वपूर्ण हरा-भरा पार्क है, जहां सुबह से शाम तक दफ्तर की भागदौड़ में लगे रहने के बाद थोड़े विश्राम के लिए पहुंचते हैं। यह पार्क अट्टारा कचेरी (कर्नाटक हाई कोर्ट) के ठीक सामने है। यह पार्क अपने वनस्पति संपदा के लिए प्रसिद्ध है। विश्वेश्वरैया संग्रहालय, नेहरू प्लेनेटोरियम और फ्रीडम पार्क, कुछ अन्य प्रमुख आकर्षण हैं जो यहां से ज्यादा दूर नहीं है।

बेंगलुरू में नाइटलाइफ (8 बजे के बाद)

बेंगलुरू आपको क्लासिकल डांस से लेकर रॉक कंसर्ट और उडुपी व्यंजनों के चटखारों की दावत पेश करता है। विविध संस्कृतियों से आए लोगों ने बेंगलुरू की नाइटलाइफ में जान डाल दी है। ज्यादातर युवाओं का तो मंत्र ही हैं- “कड़ी मेहनत करो और मस्ती भी जमकर करो”। नो लिमिट्स, पेबल-द जंगल लाउंज, ओपस और लवशेक कुछ पसंदीदा होटल्स हैं, जहां बार पहुंचने वालों का डेरा जमा रहता है।

दूसरा दिन

ब्रिटिश शासन के दिनों में एक दिन रहने और ऐतिहासिक जगहों की यात्रा के बाद अगला दिन आप यहां के स्थानीय देवी-देवताओं की शरण में जाकर करो। गांधी बाजार में स्वादिष्ट मसाला डोसा खाना न भूलना।

बुल टेम्पल (9 बजे)

16वीं सदी के द्रविड़ स्थापत्य कला के मंदिर के दरवाजे पर स्थित है विशालकाय नंदी (भगवान शिव का वाहन) की ग्रेनाइट की प्रतिमा। मंदिर को कन्नड़ भाषा में डोड्डा गणेशन गुडी के नाम से जाना जाता है। बुल टेम्पल बिगुल रॉक के नाम से प्रसिद्ध पार्क के भीतर मौजूद है।

गवि गंगाधरेश्वर मंदिर (10 बजे)

16वीं सदी में बेंगलुरू के संस्थापक ने गविपुरम की गुफाएं पुरातत्व में रुचि रखने वालों को अचंभित करती हैं। यह स्पॉट अपने एक ही चट्टान से बनी प्रतिमाओं और सालाना होने वाली सौर घटना के लिए प्रसिद्ध है। जब सूर्य की किरणें लिंगम पर गिरती हैं। सही मायनों में इसका महत्व महसूस करने के लिए आपको इस मंदिर में या पास ही स्थित बुल टेम्पल में सुबह की प्रार्थना में भाग लेना होगा।

बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क (11 बजे)

यह चिड़ियाघर बेंगलुरू महानगर की दक्षिणी सीमाओं से परे स्थित है। बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क शहरी जनता को प्रकृति की शांति में ले जाता है। परिसर में स्थित प्राचीन मंदिरों के दर्शन के साथ ही आप हाइकिंग और ट्रैकिंग का लुत्फ भी यहां उठा सकते हैं। हाथियों की सेंचुरी, तितलियों का पिंजरा और एक स्नैक हाउस यहां की विशेषताएं हैं। आउटडोर रोमांच के लिए जंगल सफारी का विकल्प भी है।

यदि आपकी इच्छा ज्यादा वक्त छत के नीचे गुजारने की है तो आप ओरियन मॉल, यूबी सिटी या मंत्री स्क्वेयर पर शॉपिंग के लिए निकल सकते हैं। ब्रिगेड रोड और चिकपेट मार्केट में रिटेल थैरेपी आपको वाजिब दाम पर बेहतरीन वस्तुएं खरीदने में मदद करेंगी।

लाल बाग (4 बजे)

प्रसिद्ध विद्यार्थी भवन में लंच करने के बाद इस बॉटेनिकल गार्डन में पैदल घूमने निकलिए। 1760 में हैदर अली ने इसे बनवाया था। इस बगीचे में कमल के फूलों का एक तालाब और ग्लासहाउस है, जो लंदन के क्रिस्टल पैलेस जैसा नजर आता है। 240 एकड़ में फैले इस परिसर में उष्णकटिबंधीय पेड़ों का सबसे विविध संग्रह आपको देखने को मिल जाएगा।

उल्सूर लेक (6 बजे)

बेंगलुरू में, जिस तरह मसाला डोसा खाना अनिवार्य है, वैसे ही बोटिंग भी है। इस खूबसूरत झील में द्वीपों के बिंदू आपको दिख जाएंगे। फेंस किया हुआ पाथवे भी है। अपनी बोट को पैडल मारिए और सूर्यास्त का मजा लीजिए। दो दिन तक नियोन की लाइट और अन्य तामझाम में बिताने के बाद झील के किनारे ही आप अपनी दिनचर्या को आराम देकर तरोताजा कर सकते हैं।

जो लोग बेंगलुरू में और वक्त बिताना चाहते हैं वो बैंगलोर के दर्शनीय स्थल जैसे  डोड्डा अलाधा मारा, वॉन्ड्रेला अम्युजमेंट पार्क, फन वर्ल्ड, स्नो सिटी और नंदी हिल्स भी जा सकते हैं।

 

— धवल त्रिवेदी

 

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