Home / India / भारत में डिजिटल शिक्षा

भारत में डिजिटल शिक्षा

July 6, 2017


Benefits-of-E-learning-Devices-hindiइंटरनेट, मोबाइल फोन, मोबाइल एप्लिकेशन, टैबलेट, लैपटॉप और अन्य आधुनिक उपकरणों के विकास के कारण आज की दुनिया की अधिक से अधिक चीजें डिजिटल हो रही हैं। भारत के महानगरों और अन्य शहरों की शिक्षा प्रणाली भी काफी हद तक आधुनिकीकृत हो गई हैं, जिससे डिजिटलीकरण के लिए रास्ता बन गया है। डिजिटल शिक्षा कई अंतर्राष्ट्रीय स्कूलों के साथ-साथ भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में अपनी जगह बना रही है और पारंपरिक कक्ष प्रशिक्षण का स्थान ले रही है।

डिजिटल शिक्षा और कक्षा की शिक्षा के बीच मूलभूत अंतर

वह दिन गुजर गए हैं, जब कक्षा में प्रशिक्षण पाठ्य पुस्तकों द्वारा कराया जाता था। शिक्षक अपनी बातों को समझाने के लिए ब्लैकबोर्ड का इस्तेमाल करते थे और छात्र उन शब्दों को अपनी कॉपियों पर लिखते थे। सीखने के लिए छात्र अध्यापन और पारंपरिक रूप से कार्य-आधारित तरीकों के लिए शिक्षकों पर आधारित रहते थे और लिखने और याद करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करते थे। हालांकि अब ज्यादातर स्कूलों में चाक का उपयोग न के बराबर हो गया है। आजकल डिजिटल शिक्षण जैसे पीपीटी, वीडियों प्रस्तुतियों, ई-लर्निंग विधियों, अभ्यास संबन्धी डेमो, ऑनलाइन प्रशिक्षण और अन्य डिजिटल पद्धतियों या प्लेटफार्मों के उपयोग के साथ कक्षा में शिक्षण अत्यधिक संवादात्मक हो गया है।

शिक्षक-आधारित कक्षा प्रशिक्षण के फायदे

  • यह छात्रों के लिए एक बड़ी मात्रा में अध्ययन सामग्री पेश करने का एक प्रभावी तरीका है।
  • यह एक व्यक्तिगत और आमने-सामने का प्रशिक्षण है।
  • सभी को एक समय एक ही जानकारी मिलती है।
  • इसकी लागत किफायती है।

शिक्षक-आधारित कक्षा प्रशिक्षण के नुकसान

  • कभी-कभी संवादन नहीं हो पाता है।
  • व्याख्यान की सफलता शिक्षक की प्रभावशीलता पर निर्भर करती है।
  • छात्र तकनीकी कौशल और क्षमताओं को बढ़ाने के बजाय याद रखने और रटने पर अधिक ध्यान देते हैं।
  • समय की अधिक खपत होती है।

डिजिटल शिक्षा से बच्चों को लाभ कैसे मिलता है?

  • संवादात्मक: डिजिटल शिक्षा के जरिए कक्षाओं का शिक्षण अधिक मजेदार और संवादात्मक बन गया है। बच्चे इस पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। वह न केवल इसे सुन रहे हैं, बल्कि इसे स्क्रीन पर देख भी रहे हैं, जिससे उनके सीखने की क्षमता में काफी इजाफा हो रहा है। ध्वनियों और दृश्यों के माध्यम से बच्चें आसानी से सीख रहे हैं।
  • विवरणों पर ध्यान देना: संवादात्मक ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण या संवादात्मक स्क्रीन के माध्यम से व्यावहारिक सत्र में शैक्षणिक सामग्री छात्रों को विवरणों पर और अधिक ध्यान देने में मदद करती है, जिससे वे अपनी गतिविधियों को अपने दम से पूरा करने में सक्षम होते हैं।
  • शीध्र समापन: पेन और पेंसिल की बजाय टैब, लैपटॉप या नोटपैड के उपयोग की सहायता से बच्चे अपने कार्यों को कम समय में पूरा कर लेते हैं।
  • शब्दावली : सक्रिय ऑनलाइन स्क्रीन की सहायता से छात्र अपनी भाषा कौशल में सुधार कर लेते हैं। ई-बुक से या ऑनलाइन अध्ययन सामग्री के जरिए वे नए शब्द सीखते हैं और अपनी शब्दावली का विस्तार करते हैं।
  • अपनी क्षमता से सीखें: कई बार, एक छात्र अपने शिक्षक से कक्षा में प्रशिक्षण के दौरान, प्रश्न पूछने से झिझकता है। लेकिन डिजिटल शिक्षा के माध्यम से भले ही वह एक बार में कुछ भी न समझ पाए, फिर भी वह अपनी दुविधा को मिटाने के लिए रिकॉर्डिंग सत्र में शामिल हो सकते हैं। प्रौद्योगिकी एक छात्र को उनकी योग्यता के अनुसार सीखने में मदद करती है।
  • उपयोगकर्ता के अनुकूल: डिजिटल शिक्षा के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह उपयोगकर्ता के अनुकूल है। आप कहीं भी हों, आप अपने पाठ्यक्रम को बहुत आसानी से पढ़ सकते हैं। आप यात्रा के दौरान भी सीख सकते हैं। यहाँ तक कि किसी कारणवश अगर आप कुछ दिन कक्षा में उपस्थित नहीं हो पाएं हैं, फिर भी आप स्कूल की वेबसाइट से कक्षा की साम्रगी और फाइल डाउनलोड कर सकते हैं।
  • अपने आप सीखें: इसके अलावा, आजकल ऑनलाइन अध्ययन सामग्री आसानी से उपलब्ध है। यहाँ तक कि अगर पूरी शिक्षा प्रणाली डिजिटल रूप में नहीं है, फिर भी छात्र अपनी क्षमताओं के आधार पर डिजिटल सामग्री का लाभ उठा सकते हैं। इसलिए छात्र शिक्षक के बिना भी अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए, विभिन्न विषयों के विशेष ऑनलाइन अध्ययन के अनुखंडो का उपयोग कर सकते हैं।
  • बाह्य मार्गदर्शन: ऑनलाइन शिक्षा के साथ-साथ छात्र दूर के सलाहकारों और संकाय से मार्गदर्शन प्राप्त करने या प्रश्नों को हल करने के लिए उनकी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

 

बच्चों के लिए डिजिटल शिक्षा के नुकसान

हालांकि, डिजिटल शिक्षा के नुकसान भी हैं:

  • महँगी: सबसे पहले, यह महँगी है। यही कारण है कि हम देखते हैं कि अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय स्कूल और विद्यालय जिनमें शिक्षा डिजिटल है, नियमित स्कूलों की तुलना से अत्यधिक महँगें हैं।
  • आधारभूत संरचना: डिजिटल शिक्षा का मतलब यह है कि आपको न केवल स्कूल में बल्कि घर में भी, विशेष रूप से सस्ते ब्रॉडबैंड में उचित आधारभूत संरचना की आवश्यकता है।
  • कोई समय सारिणी नहीं: ऑनलाइन सीखने के लिए बेहतर प्रबंधन और कठोर योजनाओं की आवश्यकता होती है, जबकि पारंपरिक कक्षा प्रशिक्षण में सब कुछ एक निश्चित समय सारिणी के अनुसार होता है।
  • रचनात्मक क्षमताओं की कमी: इंटरनेट पर सभी जवाब आसानी से प्राप्त हो जाते हैं, जिससे बच्चों की रचनात्मक क्षमता में कमी आती है।
  • अध्ययन में आलसी दृष्टिकोण: यह खराब अध्ययन की आदतों को जन्म दे सकता है, जिससे बच्चों में आलसी दृष्टिकोण का विकास हो सकता है। डिजिटल शिक्षा बच्चों के पढ़ाई के बुनियादी तरीके को भुला सकती है। यहाँ तक ​​कि बच्चे अब साधारण समस्याओं और होमवर्क को भी नेट की सहायता से करते हैं।
  • सुरक्षा: अंतिम लेकिन किसी से कम नहीं, ऑनलाइन होने का मतलब यह नहीं है कि आपका बच्चा केवल अध्ययन सामग्रियों को नेट पर तलाश करता रहे। इसमें बहुत सारी चीजे ऐसी है जो बच्चों के लिए अच्छी नहीं हैं, वह उन तक पहुँच सकती हैं।

 

इसलिए डिजिटल शिक्षा से फायदा और नुकसान दोनों हैं। इसलिए, जब भी छात्र ऑनलाइन तकनीक का उपयोग करने जा रहे हों, उस समय उनके माता-पिता और शिक्षकों द्वारा उन्हे ठीक से निर्देशित किया जाना चाहिए।