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हिंदी दिवस (14 सितंबर) पर विशेष: हम यह दिन क्यों मनाते हैं?

September 11, 2017


हिंदी दिवस 2018

1918 में महात्मा गांधी, जिन्हें राष्ट्रपिता माना गया, उन्होंने  एक हिंदी साहित्य सम्मेलन में भाग लिया और हिंदी को भारत की राष्ट्रीय भाषा बनाने के लिए अनुरोध किया। इस क्षेत्र में इन्होंने प्रगति की और बताया कि हिन्दी हम सभी की मातृभाषा है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी को भी  भारत की शासकीय भाषा के रूप में स्वीकार किया गया। 1953 के बाद से भारत में इस भाषा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता रहा है।

यह कैसे मनाया जाता है?

जैसा कि, देश के अन्य त्यौहारों की तरह, हिंदी दिवस भी लोगों द्वारा पूरे दिन आनंद और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से दिल्ली में मनाया जाता है और इस  दिन को यादगार बनाने के लिए समारोहों के साथ-साथ कई महान गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है। सामान्यतः, नई दिल्ली के पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा इस दिन हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है। इस समारोह का आकर्षण-केंद्र ‘हिंदी है हम’ के रूप में जाना जाता है।  इस दिन अन्य विशेष कार्यों का भी आयोजन किया जाता है। 2016 में, भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस उत्सव में शामिल हुए थे। इसलिए, यह उम्मीद की जा सकती है कि इस वर्ष, वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस समारोह में शामिल हो सकते हैं।

स्वतंत्र भारत में हिंदी का महत्व

स्वतंत्रता के कुछ सालों बाद भारत की नव निर्मित सरकार ने विशाल देश में रहने वाले व कई भाषाएं बोलने वाले असंख्य लोगों तथा सांस्कृतिक और धार्मिक समूहों का एकीकरण करने की आवश्यकता महसूस की। एकीकरण के पूर्ण होने के लिए भारत को एक विशेष राष्ट्रीय माध्यम की आवश्यकता पड़ी। चूँकि उस समय देश में कोई भी राष्ट्रीय भाषा नहीं थी इसलिए प्रशासन द्वारा यह निर्णय लिया गया कि हिंदी वह भाषा हो सकती है, जिसकी वे तलाश कर रहे थे। यह निर्णय उस समय एक आदर्श समाधान साबित हुआ।

हिंदी ही क्यों चुनी गयी?

उस समय हिंदी उत्तरी भारत के अधिकांश भागों में बोली जाने वाली भाषा थी और इस तरह प्रशासन ने भाषा के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण का कार्यक्रम शुरू करने के लिए हिन्दी को सुरक्षित रूप से राष्ट्रीय भाषा मान लिया और फिर इसे लागू कर दिया। फिर बाद में यह स्वीकार किया गया कि यह उन समस्याओं का सही समाधान नहीं था, जिसका वे सामना कर रहे थे। देश का बहुत बड़ा एक हिस्सा, जो वास्तव में इस बात से सहमत नहीं था कि जो भाषा उनके लिए चुनी गयी थी, वह उनकी संस्कृति से अलग थी। इसी कारण हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को भी शासकीय भाषा की श्रेणी प्रदान की गई।

हिंदी का इतिहास

भारत में हिंदी की वंशावली की जानकारी इन्डो-आर्यन युग, जब आर्य लोग पहली बार देश में आए थे, उनसे मिल सकती है। इस भाषा का सम्बन्ध इंडो-यूरोपियन भाषाओं के समूह से है। हिंदी को भारत की शासकीय भाषाओं में से एक का स्थान देने के साथ ही सरकार ने अच्छे प्रभाव के लिए व्याकरण और शब्दावली भी इस्तेमाल करने की कोशिश की। समानता की भावना लाने के लिए देवनागरी को एक लिपि के रूप में इस्तेमाल किया गया। इस अर्थ में हिंदी एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा भी है और यह उन देशों में लोगों द्वारा बोली जाती है जहाँ भारतीय मूल के लोग रहते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नाम मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो हैं।