कुंभ मेला 2019
कुंभ मेला, सदियों से इतिहास के एक सुंदर समामेलन के रूप में, भारत की मुख्य विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कुंभ मेला यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल है। दुनिया भर से लाखों लोग इस भव्य पर्व (कुंभ मेला) में शामिल होने के लिए आते हैं।
कुंभ मेले को दुनिया के सबसे बड़ी शांतिपूर्ण समारोह में से एक घोषित किया गया है, और संभवतः, “दुनिया भर के धार्मिक तीर्थयात्रियों की सबसे बड़ी मण्डली”। इस वर्ष, इस भव्य कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज शहर में मध्य जनवरी (14 जनवरी) से शुरू होगा और 4 मार्च तक चलेगा। शहर में अनगिनत भक्तों और दर्शकों के आने की उम्मीद है।
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कुंभ मेले का इतिहास
कुंभ के मेले की उत्पत्ति के बारे में निश्चित रूप से कुछ भ्रांतियाँ हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इसका पहला रिकार्ड 644 ईस्वी में पाया गया, जिसकी शुरुआत चीनी यात्री ह्वेनसांग ने की थी। हालांकि, उनके वृत्तांत में “कुंभ” नाम शामिल नहीं है, हर पांच साल में एक बार होने वाले मेले का उल्लेख किया गया है, न कि बारह साल में।
खुल्सात-उद-तवारीख (1695 ईस्वी) और चाहर गुलशन (1759 ई.) नामक पुस्तको में इस भव्य पर्व का उल्लेख किया गया है। इनमें हरिद्वार शहर में आयोजित कुंभ मेले के बारे में बात की गई है, जबकि नासिक और प्रयाग में आयोजित इसी तरह के मेलों का वर्णन भी है।
कुंभ मेला कहाँ मनाया जाता है?
अधिक समय तक, कई मेलों ने पारंपरिक कुंभ मेला होने का दावा किया है। हालांकि, इस पावन पर्व के लिए बड़े पैमाने पर चार ऐतिहासिक स्थान मान्य हैं- हरिद्वार, प्रयाग (इलाहाबाद), त्र्यंबकेश्वर-नाशिक और उज्जैन। इनमें से, कई लोगों द्वारा हरिद्वार को सबसे पुराना स्थान माना जाता है।
इस कुंभ मेले में भक्त इस विश्वास के साथ आते हैं कि पवित्र नदी में स्नान करने से उनके पाप धुल जाएंगे।
प्रयागराज कुंभ मेला 2019
2019 में ऐतिहासिक शहर प्रयागराज में अर्ध कुंभ मेला लगेगा। मेले में बड़ी संख्या में लोगों के पवित्र स्थल पर पहुंचने की उम्मीद है। नीचे भव्य पर्व की मुख्य विशेषताएं हैं :
- खबरों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार मेले में 2500 करोड़ रुपये आवंटित करेगी।
- कुंभ स्थल पर बिजली की उचित व्यवस्था के लिए 60 करोड़ रुपये और पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए 210 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे।
- ट्रेन 18: कुंभ मेले का एक प्रमुख आकर्षण ट्रेन 18 है, जो दिल्ली और वाराणसी के बीच चलेगी। 130 किमी प्रति घंटे की प्रभावशाली गति वाले इस ट्रेन को कुंभ मेले से पहले परिचालन शुरू करने की योजना बनाई गई है।
- कुंभ मेला कई विशेषताओं के साथ अपने आप में काफी आकर्षक होगा।
- कुल पांच पंडाल तैयार किए गए हैं, जो सांस्कृतिक रूप से समृद्ध लोक कला, संगीत प्रदर्शन आदि को प्रदर्शित करते हैं।
- लेजर नाइट शो, फेरी राइड्स, टूरिस्ट वॉक जैसी असंख्य चीजों को देखने का आनंद ले सकते हैं।
कुंभ मेला देश की विरासत का एक भव्य पर्व है और यह सदियों से चला आ रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह भव्य पर्व कई लोगों की उत्सुकता को बढ़ाता है और लाखों लोग इस पवित्र शहर में एक झलक पाने के लिए पहुंच जाते हैं। क्या आप जाने के लिए उत्सुक है,? शायद आपको जाना चाहिंए और अपने आप को वहां के अनुभवों में लिप्त करें।