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वन रैंक वन पेंशन

June 20, 2016


One Rank One Pension

भारत सरकार वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) लेकर आई है। इसे सरकार की ओर से देश के रक्षा समुदाय का ध्यान खिंचने के आखिरी प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। इस वक्त राष्ट्रीय सशस्त्र बलों की अलग-अलग शाखाओं में 14 लाख सैनिक और अफसर सेवा दे रहे हैं। भारत में 25 लाख से ज्यादा सैन्य अधिकारी हैं, जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वैसे, यह मांग काफी पुरानी है। लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हो पाया है। कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा होगी। ऐसे में इसे सत्ताधारी सरकार की ओर से उठाया गया महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, ने कहा था कि ओआरओपी को जल्द से जल्द लागू किया जाएगा और इसी वित्त वर्ष से इस पर अमल शुरू हो जाएगा। सरकार रक्षाकर्मियों के पेंशन खातों में 500 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर देगी। इस ट्रांसफर का मुख्य उद्देश्य 2006 से पहले और उसके बाद रिटायर हुए लोगों की पेंशन के अंतर को पाटना है।

बीते हफ्ते में कांग्रेस के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गांधी ने पूर्व सैन्य अफसरों की ओआरओपी की मांगों को समर्थन दिया था। एक तरह से, इस घटनाक्रम को संभावना के संकेत के तौर पर देखा जा सकता है। मौजूदा परिदृश्य को देखना होगा, जहां पूर्व सैन्य अधिकारियों, सैनिकों और उनके परिजनों को मिलाकर, तकरीबन 2 करोड़ वोटर होते हैं। सत्ताधारी पार्टी के लिए यह एक बहुत बड़ा आधार बन सकता है।

ओआरओपी के अनुसार, जिन सैन्य अधिकारियों ने समान अवधि में समान रैंक पर सेवाएं दी हैं, उन्हें समान पेंशन मिलना चाहिए। इसमें उनके रिटायरमेंट के वर्ष को महत्व नहीं मिलना चाहिए। पिछले 4-5 वर्षों में जिस तरह से ओआरओपी के मुद्दे पर सरकार ने कार्रवाई की है, उससे कई पूर्व-सैनिकों का भ्रम टूट चुका है। उन्होंने रैलियां आयोजित की। प्रदर्शन किए। अपने मैडल तक लौटाए। पिछले साल सितंबर में रेवाड़ी में एक ऐसी ही रैली आयोजित हुई थी। जिसमें सेना के पूर्व प्रमुख वीके सिंह और नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। मुख्य मुद्दा यह है कि ओआरओपी को लागू नहीं किया जा सका। हकीकत तो यह है कि कई तबकों में ओआरओपी को पास करने के कदम को आंखों का धोखा कहा जा रहा है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस व्यवस्था के लिए आवंटित पैसे को काफी कम बताया है। अधिकारी के मुताबिक यह आश्चर्यजनक है कि यूपीए ने केंद्र में होने के बावजूद चुनावों से कुछ ही महीने पहले इस उपाय का प्रस्ताव किया है। आवंटित राशि भी काफी कम है। रक्षा खातों के महानियंत्रक और रक्षा मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2014-15 के लिए ही 1,730 करोड़ रुपए की गणना की थी। कुछ आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि ओआरओपी के लिए सालाना तीन हजार करोड़ रुपए का प्रावधान करना होगा।

हालांकि, रक्षा मंत्रालय इस वित्तीय लाभ के विभिन्न पहलुओं का आकलन कर रहा है। यह भी देख रहा है कि इसे आने वाले हफ्तों में किस तरह लागू किया जाए। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक जो आंकड़ा बताया गया है, वह यह सिर्फ जताने के लिए है कि सरकार पूर्व सैनिकों को लाभ देने के लिए प्रतिबद्ध है। चिदंबरम ने कहा था कि यदि इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अतिरिक्त धनराशि की जरूरत पड़ेगी तो वह भी उपलब्ध कराई जाएगी। यह रक्षा मंत्रालय की राय की पुष्टि करता है। सरकार ने हालांकि, इस बात का कोई कारण नहीं बताया कि ओआरओपी प्रस्ताव को पहले लागू क्यों नहीं किया गया और उन प्रशासनिक व कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में भी नहीं बताया जिनकी वजह से इसमें देरी हुई।

उम्मीद की जा रही है कि सैन्य अफसरों और सैनिकों को वित्तीय फायदे देने के बाद सिविलियन भी इस तरह की मांग कर सकते हैं। इससे सरकार का सालाना खर्च 8 से 9 हजार करोड़ रुपए बढ़ जाएगा।

हालिया घटनाक्रमः

  • सरकारी सूत्रों के मुताबिक, लंबे समय से अटकी ओआरओपी योजना बिहार के विधानसभा चुनावों से पहले लागू हो जाएगी।
  • 15 जून 2015 को जालंधर जिले से ताल्लुक रखने वाले 55 पूर्व सैनिकों के एक समूह ने नई दिल्ली जंतर-मंतर पर क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की है। उनकी मांग है कि सरकार ओआरओपी नीति को लागू करने की तारीख घोषित करें।
  • 10 जून 2015 को पूर्व सैनिकों का एक समूह वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिला। उन्हें ओआरओपी योजना में हो रही देरी को लेकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया। इस योजना का लाभ करीब 22 लाख रिटायर्ड रक्षाकर्मियों को मिलेगा।
  • 3 जून 2015 को मेजर जनरल सतबीर सिंह (रिटायर्ड) के नेतृत्व में पूर्व सैनिकों का एक समूह दलबीर सिंह सुहाग से मिला था। इस दौरान ओआरओपी योजना के जल्द से जल्द क्रियान्वयन पर चर्चा हुई।

मोदी द्वारा शुरू किए गए अन्य कार्यक्रम:

भारत में सामाजिक सुरक्षा हेतु अटल पेंशन योजना (एपीवाय)

‘बेटी बचाओ, बेटी पदाओ योजना’

सुकन्या समृद्धि अकाउंटः भारत में लड़कियों के लिए नई योजना

प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाय)

भारत में सामाजिक सुरक्षा हेतु अटल पेंशन योजना (एपीवाय)

2014 में मोदी द्वारा किये गए टॉप पांच कार्यक्रम