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शिक्षक दिवस विशेष: भारत के महान शिक्षक

August 29, 2017


शिक्षक दिवस विशेष: भारत के महान शिक्षक

हिंदुओं का एक लोकप्रिय मंत्र “गुरूर ब्रह्मा, गुरूर विष्णु, गुरूर देवो महेश्वरा अर्थात् गुरु ईश्वर के समान है”। गुरु की भूमिका, हमारे जीवन को आकार देने वाले शिक्षक को असाधारण नहीं माना जा सकता है। शिक्षक दिवस (5 सितंबर) के उपलप्क्ष में, हम भारत के उन शिक्षकों पर नजर डालने जा रहे हैं जिन्होंने भारतीय विचार और समाज पर अपना काफी प्रभाव डाला है।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन – डॉ एस राधाकृष्णन विख्यात दार्शनिक और शिक्षाविद् के साथ-साथ भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। देश भर में राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। राधाकृष्णन मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से दर्शनशास्त्र की मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद, भारतीय दर्शन के विभिन्न स्कूलों, विशेष रूप से अद्वैत वेदांत के बारे में अनुसंधान और सिखाने का कार्य कर चुके थे। दर्शनशास्त्र में बेहतरीन पकड़ के फलस्वरूप, वह मैसूर विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कई बार दर्शनशास्त्र/ पूर्वी धर्म के प्राध्यापक के पद पर नियुक्त किए गए। राधाकृष्णन की शिक्षा और शिक्षण के प्रति जुनून देखते हुए उनका सम्मान, प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को जन्मदिवस के रूप में मनाकर किया जाता है।

रामकृष्ण परमहंस – रामकृष्ण परमहंस एक पारंपरिक शिक्षक के तौर पर नहीं बल्कि, एक प्रसिद्ध हिन्दू सूफी संत और भविष्यद्रष्टा (विचारक) के रूप में भलीभाँति जाने जाते हैं। हालांकि, रामकृष्ण परमहंस को अपने अनन्त ज्ञान और स्वामी विवेकानंद जैसे महान पुरुषों को अपने आप से प्रेरित कराने की क्षमता के कारण गुरु (अध्यापक) की उपाधि प्राप्त हुई है। 1800 के दशक के दौरान रामकृष्ण परमहंस द्वारा समाज के विकास के लिए प्रस्तुत किए गए विचारों और संजीदा अवधारणाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो अभी भी दार्शनिक शिक्षा का गढ़ है, तो रामकृष्ण के अन्य शिष्य जैसे रखल चंद्र घोष, शरतचंद्र चक्रवर्ती और केशव चंद्र सेन भी महान विचारक और सामाजिक सुधारक बन गए।

स्वामी विवेकानंद – स्वामी विवेकानंद प्रसिद्ध हिंदू सूफी संत रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे। लेकिन विवेकानंद ने जिस मार्ग को अपनाया था, वह मार्ग धार्मिक सूफीवाद से हट कर था। विवेकानंद ने हिंदू धर्म, भारतीय दर्शन और धर्मशास्त्र के साथ-साथ पश्चिमी दुनिया के लिए योग की पेशकश करने में, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विश्व के धर्मों की संसद शिकागो में, अपने कई व्याख्यानों और प्रवचनों का प्रस्तुतीकरण किया था। स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं ने हिंदू दर्शन के आदर्शों का बेहतरीन तरीके से प्रदर्शन किया है।

रवीन्द्रनाथ टैगोर – “गुरुदेव” रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने साहित्यिक कार्यों और अपने द्वारा बनाए गए संगीतों के लिए काफी प्रसिद्धि प्राप्त की है। रवींद्रनाथ टैगोर ने जिस संगीत की रचना की थी, अब उसे रवींद्र संगीत के नाम से जाना जाता है। रवींद्रनाथ टैगोर ने लेखक, नाटककार और संगीतकार के रूप में उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं और इसके लिए इन्हे नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया है। हालांकि, रवींद्रनाथ टैगोर के शिक्षा और सीखने के प्रति जुनून ने भारत में शिक्षाविदों और विचारकों की पीढ़ियों को प्रेरित किया है। टैगोर ने विश्वभारती विश्वविद्यालय में शांतिनिकेतन नामक शिक्षा का केंद्र स्थापित किया था। शांतिनिकेतन में पारंपरिक भारतीय प्रणाली (गुरुकुल प्रणाली) की तरह सख्त प्राकृतिक परिस्थितियों में शिक्षा प्रदान की जाती है। टैगोर के दर्शन ने अभूतपूर्व सभ्यसमाज के साथ पूर्वी भारतीयों के विचार और सामाजिक दर्शन पर भी अपनी छाप छोड़ी है।

सावित्रीबाई फुले – सावित्रीबाई फुले 19 वीं शताब्दी में लिंग संबधी भेदभाव का विखंडन करती हुई, आधुनिक भारत की सबसे प्रसिद्ध महिला अध्यापिका के रूप में जानी जाने लगी थी। इनके द्वारा आधुनिक भारतीय महिलाओं को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए किए गए प्रयासों के कारण, सावित्रीबाई फुले की जीवनी प्रेरणादायक के रूप में आकलित है। सावित्रीबाई फुले ने महिला सशक्तीकरण का समर्थन किया और महिलाओं को उस समय सही राह दिखाई, उस समय महिलाओं को अपने घरों की दहलीज से बाहर निकलने से मना किया जाता था। इनको सम्मानित करने के लिए, पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय रख दिया गया था और इन्हे आधुनिक लड़कियों की शिक्षा की माता के नाम से भी जाना जाता है।

एपीजे अब्दुल कलाम – आधुनिक भारत के महान विचारकों में से एक, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी देश के सबसे प्रिय राष्ट्रपतियों में से थे। कलाम के नाम कई सफलताएं हैं – कलाम एक अग्रणी अनुसंधान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ भारतीय परमाणु प्रोग्राम के जनक और गतिशील राष्ट्रपति होने के साथ-साथ महान प्रशासक भी थे। इस प्रकार कलाम एक ऐसा नाम हैं, जिसे हमेशा के लिए याद किया जाएगा। इसलिए कलाम को एक शिक्षक की भूमिका में याद करना सबसे सर्वोत्तम होगा। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2010 में घोषणा की गई कि कलाम का जन्मदिवस (15 अक्टूबर) विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाएगा। कलाम अब वैज्ञानिक विचारों और महत्वपूर्ण प्रगति की विरासत को पीछे छोड़ चुके हैं।