Home / India / भारत की प्रमुख रेल दुर्घटनाएं

भारत की प्रमुख रेल दुर्घटनाएं

June 30, 2017


Rate this post

rail-accidents-hindi

भारतीय रेलवे, दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है जो हर दिन 18 लाख लोगों को अपने गंतव्यों तक ले जाता है। प्रतिदिन 16,000 से ज्यादा रेलगाड़ियां रेलवे पटरियों पर दौडती हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि 2012 की उच्च स्तर की सुरक्षा समीक्षा समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2007-08 से अक्टूबर 2011 के बीच रेल दुर्घटनाओं में 1,019 लोगों की मृत्यु हुई थी और 2,118 लोग घायल हो गए थे। इसमें 1,600 रेलवे कर्मचारियों की भी मृत्यु हुई है और 8,700 लोग घायल हुए, प्रति वर्ष गैर-कानूनी रूप से 15,000 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है। रेल दुर्घटनाओं के लिए आग, टक्कर, पटरी से उतरना और मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग प्रमुख कारण हैं।

भारतीय रेलवे के कोष में निवेश के लिए धन की कमी है। दुर्घटना दर प्रत्येक वर्ष लगभग 300 तक दुर्घटनाएं दर्ज की जाती हैं जो बहुत अधिक हैं और इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। हालांकि, पटरी से उतरने और टकराव की घटनाएं काफी हद तक कम हो गई हैं लेकिन मानव त्रुटि और आगजनी अभी भी एक बडी समस्या है।

भारत में रेल दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण

कम निवेश – पिछले 20-23 वर्षों से भारतीय रेल अपनी क्षमता के विपरीत 15 गुना अधिक लोगों को ले जा रही है। ओवरलोडिंग निश्चित रूप से पुरानी पटरियों को हानि पहुँचाता है जिनका अपना जीवन भी है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

अधिकांश भारतीय ट्रेनों में अग्निशमन प्रणाली की सुविधा नहीं हैं ट्रेनों के कुछ वातानुकूलित डिब्बों में अग्निशमन प्रणाली की सुविधा स्थापित की जाती है लेकिन उसी ट्रेन के अन्य डिब्बों में नहीं। खुले डिब्बों में आग का पता लगाना अधिक जटिल कार्य है।

कुछ देशों की ट्रेनों में ऐसे उपकरण लगे हैं जिससे यदि ट्रेन लाल सिग्नल पार कर जाती है तो वह ट्रेन को स्वचालित रूप से बंद कर देता है। इसके द्वारा टकराव जैसी एक बड़ी दुर्घटना को आसानी से रोका जा सकता है। लेकिन इस प्रकार के किसी भी उपकरण को भारतीय रेल में जोडा नही गया है जिससे कुछ खतरनाक टकराव हो सकते हैं।

मानव त्रुटियां – भारतीय रेलवे की नई तकनीकि की कमी के कारण मानव त्रुटि की संभावना अधिक है और यह भारत में रेल दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में से एक है। हालांकि तकनीकि के साथ कुछ भी आसान नहीं हो सकता है लेकिन यह निश्चित रूप से दुर्घटनाओं की संभावना कम कर देता है। रेलवे की आंतरिक सुरक्षा रिपोर्ट का आंकलन करने के बाद सीएनएन-आईबीएन द्वारा पाया गया है कि हर 21 में से 18 दुर्घटनाएं मानव त्रुटि की वजह से होती हैं। यह भी पता चला है कि संगठन काफी समय से सुरक्षा उपायों पर समझौता कर रहे हैं। सुरक्षा कारणों से समझौता करने के कारण निवेश कम हैं और टकराव विरोधी उपकरणों को स्थापित करने में विलंब जनशक्ति में कमी के कारण हैं।

कर्मचारियों की कमी मानवीय त्रुटियों के लिए प्रमुख कारण है। कर्मचारियों की कमी के कारण अधिभार होना भारत में रेल दुर्घटनाएं चालक की गलती और रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही के कारण होती हैं।

स्टेशनों के बीच मैनुअल संकेतन प्रणाली को स्वचालित में बदला जाना चाहिए या फिर इसके लिए एक विशाल निवेश, रख-रखाव और प्रबंधन की आवश्यकता है।

मानव रहित क्रॉसिंग – भारत में 50,000 से 15,000 क्रॉसिंग मानव रहित हैं। सड़क उपयोगकर्ता सावधानी से लाइन क्रॉस नहीं करते हैं, भले ही संकेत लाल हो इस कारण दुर्घटना हो जाती है। दुर्घटनाओं को कम करने के लिए उपरिगामी पुल (ओवर ब्रिज) बनाने और बाड़ लगाने का कार्य किया जा सकता है।

भारत में प्रमुख ट्रेन दुर्घटनाएं

20 नवंबर 2016 – इंदौर-राजेंद्र नगर एक्सप्रेस 19321 के पटरी से उतरने के कारण 124 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई और 260 लोग घायल हुए थे।

5 फरवरी 2016 – कन्याकुमारी-बेंगलुरु सिटी एक्सप्रेस के चार डिब्बे ट्रैक से उतर गये थे जिससे कुछ लोग घायल हो गए थे।

25 मई 2015 – मुरी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी जिसमें चार लोगों की मृत्यु हुई और 50 लोग घायल हुए थे।

20 मार्च 2015 – देहरादून-वाराणसी जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई थी और 150 घायल हो गए थे।

13 फरवरी 2015 – बेंगलुरु सिटी-एर्नाकुलम इंटरसिटी एक्सप्रेस 12677 पटरी से उतर गई जिसमें 12 लोगों की मृत्यु हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

25 जून 2014 – डिब्रूगढ़-राजधानी एक्सप्रेस 12236 बिहार के छपरा शहर के पास पटरी से उतर गई थी जिसमें 4 लोगों की मृत्यु हुई थी और 8 लोग घायल हो गए थे।

26 मई 2014 – गोरखपुर से जा रही गोरखधाम एक्सप्रेस 12556 ने उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में खलीललाबाद स्टेशन के पास एक मालगाडी को टक्कर मार दी जिसमें लगभग 25 लोगों की मृत्यु हुई और 50 से अधिक घायल हो गए।

4 मई 2014 – दिवा जंक्शन-सावंतवाड़ी पैसेंजर ट्रेन 50105 नागोथाणे और रोहा स्टेशनों के बीच पटरी से उतर गई जिसमें लगभग 20 यात्रियों की मौत हो गई थी और 100 अन्य यात्री घायल हो गये थे।

20 मार्च 2014 – टिटवाला स्टेशन पर एक स्थानीय ट्रेन के छह डिब्बे ट्रेन की पटरी से उतर गए थे जिसमें 18 वर्षीय छात्र और नौ अन्य लोगों की मृत्यु हुई ।

28 दिसंबर 2013 – अनंतपुर जिले के कोथचेरू रेलवे स्टेशन के पास नांदेड़-बंगलौर एक्सप्रेस ट्रेन में आग लग जाने के कारण 24 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी।

27 नवंबर 2013 – बेंगलुरु-नांदेड़ एक्सप्रेस ट्रेन के एक वातानुकूलित डिब्बे में आग लगने के बाद 26 लोगों की मृत्यु हुई और 13 लोग घायल हुए।

19 अगस्त 2013 – राजधानी एक्सप्रेस बिहार में सहरसा के निकट धमारा स्टेशन पर 35 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।

30 जून 2012 – दिल्ली-चेन्नई तमिलनाडु एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लग गई जिससे 35 यात्रियों की मौत हो गई और 25 लोग घायल हो गए।

10 जुलाई 2011 – माल्वा स्टेशन पर कालका मेल के पटरी से उतरने के कारण 71 लोगों की मृत्यु हुई।

19 जुलाई 2010 – सैंथिया स्टेशन के पीछे उत्तर बंगा एक्सप्रेस और वनांचल एक्सप्रेस की टक्कर हो गई जिससे हादसे में 66 लोगों की मौत हो गई थी।

28 मई 2010 – नक्सलियों ने ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस को पटरी से उतार दिया जिससे दुर्घटना में लगभग 148 लोगों की मौत हुई थी।

22 जून 2003 – महाराष्ट्र में पहली बार बड़ी दुर्घटना कारवार-मुंबई सेंट्रल हॉलिडे स्पेशल के तीन डिब्बे और इंजन वैभववाड़ी स्टेशन के पास पटरी से उतर गए, इससे 53 लोगों की मौत हो गई और 25 लोग घायल हो गए।

वास्तव में, कई बार ऐसी दुर्घटनाएं बरसात के मौसम में पुल पर होती हैं। इसका कारण पुलों और पटरियों का अनियमित निरीक्षण है। इसके अलावा, कुछ पुल बहुत पुराने होते हैं और हाईस्पीड ट्रेनों को और यहाँ तक कि औसत गति से चलने वाली गाड़ियों को ले जाने में असमर्थ होते हैं। राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस को 160 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा करने के लिए डिजाइन किया गया है। लेकिन भारत में ऐसी उच्च गति को सहन करने के लिए पटरियों की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। लकड़ी के स्लीपरों से मिलते-जुलते ट्रैक इन गाड़ियों के लिए काम नहीं करेंगे क्योंकि इन्हें दबाव प्रतिरोधी स्टायरन या अन्य टिकाऊ सिंथेटिक सामग्री से बने ट्रैक की आवश्यकता होती है। प्रत्येक ट्रैक, डिब्बे, इंजन, गुणवत्ता में पूर्ण होने चाहिए, पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम और मानक के अनुसार निरीक्षण किया जाना चाहिए। हमें समझना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति का जीवन बहुत कीमती है।

Comments